ऊँट की नस्लों का विवरण
– ICAR – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, (NBAGR) के अनुसार भारत में ऊँटों की कुल 9 नस्लें पंजीकृत है।
1. | Bikaneri | Rajasthan |
2. | Jaisalmeri | Rajasthan |
3. | Jalori | Rajasthan |
4. | Kutchi | Gujrat |
5. | Malvi | Madhya Pradesh |
6. | Marwari | Rajasthan |
7. | Mewari | Rajasthan |
8. | Mewati | Rajasthan and Haryana |
9. | Kharai | Gujarat |
- राजस्थान की 6 नस्लें – बीकानेरी, जैसलमेरी, मेवाड़ी, मेवाती, मारवाड़ी, जालोरी।
- गुजरात की 2 नस्लें – कच्छी, खाराई। मध्यप्रदेश की 1 नस्ल – मालवी
– ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं।
Camel Classification
1. जगत (Kingdom) – जन्तु जगत (Animalia)
2. संघ (Phylum) – र्कोडेटा (Cordata)
3. वर्ग (Class) – स्तनधारी (Mammalia)
4. गण (Order) – आर्टियोडेटक्टाइला (Artiodactyla)
5. कुल (Family) – केमिलीडी
6. वंश (Genus) – केमिलस बैक्टिरिनियस (इसमें दो Hump होते है)
7. जाति (Species) – केमिलस ड्रोमेडेरियस (इसमें एक Hump होती है।)
Terminology
1. हर्ड (Herd) – ऊँटों की झुण्ड
2. बुल केमल – वयस्क ऊँट (Adult Female)
3. सी केमल – वयस्क ऊँटनी (Adult Female)
4. टोरड़ा – जवान ऊँट (Young male)
5. टोरड़ी – जवान ऊँटनी (Young Female)
6. केमल काफ – ऊँट का बच्चा (New born)
7. ऊँट में गुणसूत्रों की संख्या – 74
8. केमिलस ड्रोमोडेरियस – ऊँट का वैज्ञानिक नाम
9. केमिलस – ऊँट का वंश व फैमेली
1. बीकानेरी :-

– यह नस्ल बीकानेर व इसके समीपवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है।
– राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र जोहड़ बीड़ (बीकानेर) में इस नस्ल पर अनुसंधान चल रहा है।
– इस नस्ल को सिंधि एवं बलुची ऊँटों के संकरण से तैयार किया गया है।
– ऊँट के दूध में इंसुलिन पाया जाता है, परंतु ग्लुकोज को कम करने की प्रवृत्ति पाई जाती है, जिससे मधुमेह रोगियों को इस दूध से फायदा मिलता है।
– इस नस्ल की आँखें गोल व बड़ी तथा शरीर मजबूत होता है।
– इस नस्ल का रंग ज्यादातर काला भूरा अर्थात् गहरा भूरा होता है।
– इस नस्ल के आँख, कान व गले पर घने बाल पाए जाते हैं।
– ऊँटों की सबसे सुन्दर नस्ल मानी जाती है।
– इस नस्ल के ऊँटों की ऊँचाई 10-12 फीट होती है।
– इस नस्ल में खोपड़ी में ललाट के ऊपर एक गड्डा (Fossa) होता है जिसे stop कहा जाता है।
– Stop केवल बीकानेरी में होता है।
– इस नस्ल में आँखों के ऊपर काले व घने बाल पाए जाते हैं जिसे सामान्य भाषा में झीपरा कहा जाता है।
– झीपरा भी केवल बीकानेरी में होता है।
– इस नस्ल में पिन अस्थी (Pin Bone) अंदर की तरफ दबी हुई रहती है।
– इस नस्ल को बोझ ढोने व कृषि कार्य में काम में लिया जाता है।

2. जैसलमेरी :

– यह नस्ल जैसलमेर के आसपास के क्षेत्रों में पायी जाती है।
– यह नस्ल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में थारपारकर जिले से उत्पन्न मानी जाती है।
– यह नस्ल दुबली-पतली होती है। इनकी ऊँचाई 7-9 फीट तक होती है।
– इस नस्ल के कान छोटे एवं पास-पास होते हैं।
– यह हल्के भूरे रंग का ऊँट होता है।
– इस नस्ल में पैरों के तलवे छोटे होते हैं जो तेज चलने में मदद करते हैं।
– इनका शरीर छोटा व पतला होने के कारण तेज दौड़ने में माहिर होते हैं। यह 100-120 किमी/घंटा भाग सकता है।
– इसे सेना में गश्त लगाने में उपयोग किया जाता है।
– इनमें stop व झीपरा नहीं होते हैं।
– एक प्रशिक्षक ऊँट ठण्डी रात में 100-140 किमी. तक यात्रा कर सकते है।
– इस नस्ल के ऊँट सवारी हेतु उपयुक्त माने जाते हैं।
नोट:- राजस्थान में नाचना ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर में पाया जाता है। यह ऊँट सबसे सुन्दर ऊँट माना जाता है। सवारी व सबसे तेज दौड़ने में माहिर होते हैं।

3. मेवाड़ी :-

– यह नस्ल मेवाड़ क्षेत्र में अधिक पाई जाती है।
– इनका रंग हल्का भूरा होता है तथा इनके शरीर पर मोटे व सघन बाल पाए जाते हैं।
– इस नस्ल में नीचे का होंठ गिरा हुआ (लटका हुआ) होता है जो उस नस्ल की मुख्य विशेषता है।
– इस नस्ल में चेस्ट पेड (छाती की गद्दी) व फुट पेड (पैर के गद्दे) अत्यंत कठोर व मजबूत होते हैं क्योंकि इनको पहाड़ों में चलने में आसानी होती है व चोट नहीं लगती है।
– इस नस्ल की आँखें छोटी-छोटी सुस्त होती है।

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