फलपाक (जैम), अवलेह (जेली), केन्डी, शर्बत, पानक (स्क्वेश) आदि को बनाने की विधियाँ
फलपाक (जैम)
· जैम बनाने के लिए मीठे फलों के गुद्दे को चीनी के साथ मिलाकर अच्छी तरह पकाया जाता है। जिससे अपारदर्शी पदार्थ प्राप्त होता है, जो जैम कहलाता है।
अवयव:-
· फलों का भाग – 45%
· TSS की मात्रा – 68.5 %
· अम्लता – 0.5 – 0.6 %
· चीनी की मात्रा – 68 %,
· pH मान = 3.5 – 4.2
· उपयुक्त फल – सेब, पपीता, स्ट्रॉबेरी, आँवला, गाजर, करौंदा
· सबसे अच्छी जैम सेब से बनाई जाती है।
· जैम में तैयार गुदे की किस्म व खटास के अनुसार चीनी मिलाई जाती है।
· चीनी की मात्रा – मीठे फलों में – 750 gm/kg गुदा
· खट्टे फलों में – 1.25 kg/kg गुदा
· जैम को पकाते समय मिश्रण में 1.5 ग्राम/किग्रा की दर से नीबू का रस भी मिलाना चाहिए।
अंतिम बिंदु की जाँच:-
· तैयार जैम अपारदर्शक होता है। तैयार जैम का TSS 68 प्रतिशत होना चाहिए।
· तैयार जैम मे मिलाई गई चीनी के लगभग 1.5 गुना होती है।
· तैयार जैम का उबलते समय तापमान 105°C (221F) होना चाहिए।
· तैयार जैम को चम्मच से गिराने पर एक धार के रूप में गिरती है।
· तैयार जैम को पानी से भरे बीकर में डालने पर बिना घुले पेंदे में बैठ जाती है।
· जैम की पैकिंग करने के लिए काँच के जार काम में लिए जाते हैं व इनका भण्डारण नमी रहित स्थान पर करते हैं।
अवलेह/जैली
· पेक्टिन युक्त फलों के रस को चीनी के साथ पका कर तैयार किया गया अर्द्धपारदर्शी व अर्द्धठोस पदार्थ जैली कहलाता है।
· सबसे अच्छी जैली अमरूद से बनाई जाती है।
· उपयुक्त फल – जिन फलों में पेक्टिन की मात्रा अधिक पाई जाती है वे जैली बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं। जैसे – अमरूद, आम, करौंदा, अँगूर, जामुन, खट्टे सेब, नारंगी।
जैली का संघटन –
· फलों का भाग – 45 %
· T.S.S. की मात्रा – 65 %
· पेक्टिन – 1.0 %
· चीनी – 60 – 65 %
· अम्लता – 0.75 – 0.90 %
· पानी की मात्रा – 33 – 38 %
· pH का मान – 3.2 -3.3
आदर्श जैली की पहचान –
· अच्छी जैली चमकदार, आकर्षक व पारदर्शक होती है।
· अच्छी जैली जिस पात्र में रखी जाती है ठण्डी होने पर उसी का आकार ले लेती है।
· हिलाने पर धीरे-धीरे हिलती है (क्वरलिंग) परन्तु तिरछा करने पर बहती नहीं है। ।
जैली में पेक्टिन का परीक्षण–
· जैलीमीटर द्वारा – जैलीमीटर में 1.25 पाठ्यांक का तात्पर्य पेक्टिन की मात्रा पर्याप्त होना है।
· एल्कोहॉल परीक्षण – उबलती हुई जैम की एक चम्मच में दो चम्मच एल्कोहॉल मिलाने पर संपूर्ण जैम का एक बड़ा ढेला बनने पर पेक्टिन की मात्रा पर्याप्त मानी जाती है।
· जैली का अंतिम बिन्दु परीक्षण – तैयार जैली का 105°c तापमान पर TSS 65% होता है।
· चद्दर टेस्ट/शीट टेस्ट/फ्लेक टेस्ट/ड्रॉप टेस्ट – शीट टेस्ट के लिए जैली को एक-एक बून्द के रूप में गिराया जाता है। यदि बून्द-बून्द के रूप में गिरे तो जैली तैयार नहीं है साथ ही जैली तिकोनी शीट (चद्दर) के रूप में नीचे लटक जाए तो जैली पूर्णतया पक कर तैयार है।
जैली के निर्माण में आने वाली कठिनाइयाँ–
1. जैली का रोना (Whipping Jelly) –
· जैली के जमते समय उसमें से धीरे-धीरे पानी बाहर निकल आना।
· कारण – चीनी की कमी, खटास की अधिकता व पेक्टिन की कमी
2. जैली का नहीं जमना –
· अधिक शक्कर मिलाने से जैली नही जमती है। कम व अधिक पकाने से।
· अपर्याप्त खटास व पेक्टिन के कारण
3. अपारदर्शक जैली (Cloudy or Foggy Jelly) –
· फलों को अच्छी तरह से साफ नहीं करना।
· अधिक पकाने से व अपरिपक्व फलों का उपयोग तथा जैली को बहुत अधिक ठण्डा करना।
4. रवेदार जैली (Crystal Formation) –
· अधिक चीनी मिलाने से
· कम खट्टे फलों में अधिक चीनी मिलाकर पकाने से।
पानक (Squash)
· फल का रस, गुदा, चीनी व अम्ल को एक निश्चित मात्रा में मिलाकर तैयार किया जाने वाला पेय पदार्थ, पानक कहलाता है।
· सबसे अच्छा पानक संतरा के ज्यूस से तैयार किया जाता है।
संघटन –
· फल रस – 25%
· TSS – 40%
· चीनी की मात्रा – 33 – 55%
· अम्लता – 1 – 2%
· उपयुक्त फल – आम, अंगूर, संतरा, नीबू, फालसा, लीची।
· पानक बनाने के लिए 70 ब्रिक्स की चाशनी काम मे ली जाती है।
· आँवला के पानक में साइट्रिक अम्ल नहीं मिलाया जाता है।
· फालसा व जामुन में परिरक्षक पदार्थ सोडियम बेन्जोएट तथा अन्य फलों में पोटैशियम मेटा बाई सल्फाइट का प्रयोग किया जाता है।
· पानक में फल रस, चीनी व पानी का अनुपात 1 : 2 : 1 रखा जाता है।
· पानक को उपयोग मे लेने से पूर्व 1 भाग पानक में 3 भाग पानी को मिलाया जाता हैं।
शर्बत(Syrup)
इसमें फल के रस की मात्रा 25 प्रतिशत होती है।
TSS 65 प्रतिशत
अम्लता 1.2-1.3 प्रतिशत
नोट- सबसे अच्छा मुरब्बा आँवले व सबसे अच्छी कैन्डी पेठे की बनती है।
भारत में आम का अचार सर्वाधिक पंसद है।
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