कोशिका एवं कोशिका विभाजन: जीव विज्ञान की मूलभूत इकाइयाँ और उनके क्रियाकलाप (Cell and cell division: their functions)

कोशिका एवं कोशिका विभाजन

– समस्त जीव कोशिकाओं के बने हैं। पेड़ों या जानवरों की सभी जीवन क्रियाएँ कोशिकाओं द्वारा ही संचालित की जाती हैं, जैसे आनुवंशिक पदार्थ का प्रजनन, प्रोटीन निर्माण के लिए आनुवंशिक संदेश को कार्य-रूप देना, ऊर्जा स्थानान्तरण की क्रिया, पदार्थों के आदान-प्रदान को नियमित करना, रासायनिक ऊर्जा का परिवर्तन; इसलिए कोशिका ही जीव की प्राथमिक रचना है।

– बैक्टीरिया जैसे साधारण एककोशिकीय प्राणियों में उनके छोटे जीवन-काल के कारण जल्दी परिवर्तनशील उपापचय होता है। वनस्पति कोशिकाएँ बड़ी धानिकाओं व पतली सेल्युलोज की परत के कारण रचना की दृढ़ता को वातावरण के साथ परासरण सन्तुलन (osmotic balance) द्वारा बनाए रखती हैं।

– कोशिका का वर्णन सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में किया था।

– वस्तुत: कॉर्क के तराश में देखी गई इन खाली स्थान या गुहाओं को उसने कोशिका या सेल का नाम दिया।

– एन्टोन वॉन ल्यूवेनहॉक (Anton Van Leeuwenhoek) नामक डच फ्रांसीसी सूक्ष्मदर्शक वैज्ञानिक ने पौधों की कोशिकाओं में हरे रंग के पिण्ड देखे। इन पिण्डों को हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट कहते हैं।

– रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने यह बताया कि सभी कोशिकाओं में एक बड़ी व गहरे रंग की वस्तु होती है जिसे उसने केन्द्रक या न्यूक्लियस (Nucleus) का नाम दिया। सर्वप्रथम 1880 ई. में स्ट्रॉसबर्गर (Strasburger) ने न्यूक्लियस की संरचना व उसके विभाजन के प्रारूप का सन्तोषजनक ढंग से वर्णन किया। इसके पश्चात् 1884 ई. में स्ट्रॉसबर्गर (Strasburger), वीज़मैन (Weismann) और अन्य वैज्ञानिकों ने यह बतलाया कि न्यूक्लियस का सम्बन्ध जीवों की वंशागति से है।

 सारणी : कोशिका विज्ञान के अध्ययन से सम्बन्धित प्रमुख वैज्ञानिक एवं उनके योगदान:-

क्र. सं.वैज्ञानिक का नामयोगदान
1.ड्यूटरोशेटसभी पादप एवं जन्तु कोशिकाओं द्वारा निर्मित होते हैं।
2.टर्पिनकोशिका विभाजन का वर्णन
3.रॉबर्ट ब्राउनकेन्द्रक की खोज
4.डुजार्डिनप्रोटोप्लाज्म का सार्कोड के रूप में वर्णन
5.श्लीडेन एवं श्वानकोशिका सिद्धान्त का वर्णन
6.पुर्किन्जे व वॉन मोहलकोशिका अवयवों को प्रोटोप्लाज्म नाम दिया।
7.विर्कोवसभी कोशिकाएँ पूर्व से स्थित कोशिकाओं द्वारा ही बनती हैं।
8.वॉल्डेयरगुणसूत्रों का वर्णन
9.हेकलप्लास्टिड्स का वर्णन
10.मिशरन्यूक्लिक अम्लों का नामकरण
11.वॉन बेनडनसेन्ट्रिओल का वर्णन
12.स्ट्रॉसबर्गरकोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक द्रव्य का नामकरण एवं वर्णन
13.ऑल्टमैनमाइटोकॉण्ड्रिया का अध्ययन
14.कैमीलो गॉल्जीगॉल्जीकाय का वर्णन
15.सटनवंशागति के गुणसूत्र सिद्धान्त का वर्णन
16.मॉर्गनड्रोसोफिला में लिंकेज का अध्ययन
17.ग्रिफिथजीवाणुओं में ट्रांसडक्शन का अध्ययन
18.लेविसकोशिका-पायन की खोज
19.नॉल एवं रस्काइलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज
20.बीडल एवं टॉटमएक जीन एक एन्जाइम सिद्धान्त का प्रतिपादन
21.क्लॉडराइबोसोम्स का पृथक्करण
22.पोर्टरएण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज
23.मुलरX- किरणों द्वारा उत्परिवर्तनों की खोज
24.डी ड्यूवलाइसोसोम की खोज
25.वॉटसन एवं क्रिकDNA के द्विकुण्डल संरचना का प्रतिपादन
26.बीडल एवं टॉटमसिस्ट्रॉन का सिद्धान्त
27.क्रिकसेन्ट्रल डोग्मा का प्रतिपादन
28.जेकब व मोनोडओपेरोन अवधारणा का प्रतिपादन
29.खुरानाकृत्रिम जीन का निर्माण
30.बर्ग, सेंगर व गिलबर्टजीन स्प्लाईसिंग तकनीक का विकास एवं वर्णन

कोशिका सिद्धान्त (Cell Theory):-

– जर्मन वनस्पति शास्त्री एम. जे. श्लाइडन ने पौधों के लिए व जन्तु शास्त्री टी. श्वान ने जन्तुओं के लिए इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। जिसके निम्नलिखित प्रमुख बिन्दु हैं-

1.  सभी सजीव कोशिकाओं द्वारा बने होते हैं।

2.  कोशिका सजीवों की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है।

3.  कोशिकाएँ आनुवंशिक एकक (Unit of Heredity) हैं।

4.  नई कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं द्वारा बनती हैं।

5.  बहु कोशिकीय जीवों की क्रियाएँ, सभी कोशिकाओं की क्रियाओं का परिणाम है।

कोशिका सिद्धान्त के अपवाद (Exceptions of Cell Theory):-

–  प्रोटोजोआ के सदस्य:- इन्हें अकोशिकीय (Acellular) जन्तु कहा जाता है।

–  वायरस (Virus):- इनमें जीवद्रव्य नहीं पाया जाता है। ये पोषी कोशिका (Host cell) की अनुपस्थिति में जनन नहीं कर पाते हैं। इन्हें सजीव व निर्जीव के बीच की योजक कड़ी (Connecting link) कहते हैं।

– प्रोकैरियोट:- जीवाणु, माइकोप्लाज्मा व नील हरित शैवाल में सुगठित व सुस्पष्ट केन्द्रक का अभाव होता है।

कोशिकाओं की सामान्य विशेषताएँ (Common Features of Cell):-

– सभी कोशिकाओं में जीवित पदार्थ (Living substance) पाया जाता है, जिसे जीवद्रव्य (Protoplasm) कहते हैं।

– जीवद्रव्य में केन्द्रक पाया जाता है।

– सभी कोशिकाओं के चारों ओर एक चयनात्मक पारगम्य (Selectively permeable) कला पाई जाती है, जिसे प्लाज्मालेमा या कोशिका झिल्ली कहते हैं।

–  सभी कोशिकाओं में उपापचय (Metabolic) क्रियाएँ पाई जाती हैं।

– सभी कोशिकाओं में न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic acid) आनुवंशिक पदार्थ का कार्य करता है।

– सभी कोशिकाओं में न्यूक्लिक अम्ल व प्रोटीन संश्लेषण की विधि एक समान होती है।

– कोशिकाओं में स्वतन्त्रतापूर्वक विभाजन की क्षमता पाई जाती है।

– कोशिका बाहर से पदार्थों को ग्रहण करने की क्षमता रखती है।

– कोशिका में वृद्धि की क्षमता पाई जाती है।

– कोशिकाएँ बाहरी वातावरण से उद्दीपन (Stimulus) ग्रहण करने की क्षमता रखती है।

कोशिका आमाप (Cell Size):-

– अधिकांश जन्तु कोशिकाएँ आकार में अत्यधिक सूक्ष्म होती हैं, जिन्हें सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है।

– शुतुरमुर्ग का अण्डा (Ostrich Egg) सबसे बड़ी कोशिका है।

– PPLO सबसे छोटी कोशिका है।

– तन्त्रिका कोशिका सबसे लम्बी कोशिका है, मनुष्य में इसकी लम्बाई 90 सेंटीमीटर तक होती है।

कोशिका आकृति (Cell Shape):-

–   कोशिकाओं की आकृति भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है व यह भिन्नता उसके कार्य पर आधारित होती है।

–  कुछ कोशिकाओं की आकृति में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं; जैसे-अमीबा, ल्यूकोसाइट्स आदि।

– कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार, घनाकार, नलाकार, प्लेट के समान आकृति की होती है।

कोशिकाओं की संख्या (Number of Cells):-

– एक कोशिकीय जन्तुओं में एक कोशिका पाई जाती है, बहुकोशिकीय जन्तुओं में अनेक कोशिकाएँ पाई जाती हैं।

– शरीर में कोशिकाओं की संख्या, शरीर के अमाप (Size) पर निर्भर करती है।

– 60 किग्रा के व्यक्ति में कोशिकाओं की संख्या 60 × 1015 होती है। इसमें से 30 – 1015 रक्त कोशिकाएँ (Blood cells) पाई जाती हैं।

कोशिका संरचना (Cell Structure):-

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