पशुओं की आयु ज्ञात करना (Ageing of Animals)
पशुओं में आयु निम्न प्रक्रियाओं से ज्ञात की जाती है–
1. पशु का रिकॉर्ड देखकर (date of birth)
2. पशु की शारीरिक दशा देखकर – आँखें, पीठ, त्वचा अयन, थन स्वभाव आदि को देखकर।
3. पशु का खुर देखकर – यह पशुओं में उम्र ज्ञात करने की सटीक विधि नहीं है।
4. सींग पर छल्ले देखकर

– पशुओं में प्रथम व द्वितीय वर्ष सींग पर छल्ला नहीं बनता। तीसरे साल से प्रत्येक वर्ष सींग पर एक छल्ला बनता है जिसे देखकर उम्र ज्ञात की जा सकती है।
– इस विधि द्वारा सींग वाले पशुओं की उम्र ज्ञात की जाती है।
– भैंस में सींग पर छल्ला साफ दिखाई देता है जबकि गाय में सींग पर छल्ला स्पष्ट दिखाई नहीं देता है।
जैसे – 1-2nd year (छल्ला नहीं बनता है)
3rd year (प्रथम छल्ला)
4th year (द्वितीय छल्ला)
– सींग पर छल्ला देखकर उम्र ज्ञात करने का सूत्र –
पशु की उम्र = सींग पर छल्लों की संख्या + 2
1. खुर देखकर
2. दंत सूत्र द्वारा
– पशुओं में सबसे उपयोगी व सटीक उम्र ज्ञात करने की वैज्ञानिक विधि है।
4. दंत सूत्र द्वारा –
– पशुओं में निम्न दाँतों को देखकर उम्र ज्ञात की जाती है–
1. कृतनक (Incisor) – कुतरना
2. रदनक/कील दंत (Canine) – चीरना/फाड़ना
3. अग्रचवर्णक (Premalor) – चबाना
4. चवर्णक (Molar) – स्थायी दंत तीन जोड़ी ऊपरी जबड़े में तथा तीन जोड़ी नीचले जबड़े में पाए जाते हैं।
– मानव, गाय, भैंस व बकरी में कुल 32 दाँत होते हैं जिसमें से 20 जीवन में दो बार आते हैं व 12 दंत एक बार आते हैं।
– कृतनक, रदनक, अग्रचवर्णक – दो बार
चवर्णक – एक बार
– अस्थानीय दाँत – जन्म से एक माह के भीतर निकल आते हैं तथा कुछ समय बाद गिर जाते हैं उसे अस्थायी दाँत कहते हैं।
– इसे मिल्क टीथ भी कहते हैं।
– स्थायी दंत – अस्थायी दंत के गिरने के बाद जो दाँत आते हैं उसे स्थायी दंत कहा जाता है।
1. कृतनक दंत – गाय, भैंस, भेड़ व बकरी के ऊपरी जबड़े के दाँत नहीं होते हैं यहाँ रिक्त स्थान होता है जिसे Dental pad (दन्त्यूपूर) कहा जाता है।
– Dental pad से इन पशुओं में चारा (भोजन) बाहर नहीं फिसलता है।
– इनके नीचले जबड़े में आठ तीखे कुतरने (Incisor) वाले दाँत होते हैं जो कृतनक/कर्तन/इंसाइजर कहा जाता है।
– कृतनक दाँत का पहला जोड़ा केन्द्रीय (Central) जोड़ा कहलाता है जो जन्म से प्रथम सप्ताह के बीच आता हैं।
– द्वितीय सप्ताह में कृतनक का दूसरा जोड़ा आता है जिसे मध्यम (Medium) कृतनक दाँत कहा जाता है।
– तीसरे सप्ताह में तीसरी जोड़ी कृतनक आते हैं जिन्हें पार्श्व (Lateral) कृतनक दाँत कहा जाता है तथा चौथे सप्ताह में अंतिम कृतनक आते हैं जिसे कॉर्नर कृतनक कहा जाता है।
– चौथे सप्ताह से एक माह की अवधि में सभी अस्थायी अग्रचवर्णक (Premolar) दंत आ जाते हैं।
2. रदनक (केनाइन)/कीलदंत –
– कील दाँतों की कुल संख्या चार होती हैं जो नुकीले होते हैं।
– गाय, भैंस, भेड़, बकरी में अनुपस्थित होते हैं। इनकी जगह खाली होती है। (डायेस्टेमा)
– रदनक दंत कुत्ता, बिल्ली व सूअर आदि में पाए जाते हैं।
– 6th महीने में प्रथम जोड़ी चवर्णक (Molar) दाँत निकलता है इसके एक साल बाद अर्थात् 18th महीने (11/2 साल) में दूसरा चवर्णक (Molar) दाँत निकलता है तथा 30th महीने (21/2 साल) में तीसरा चवर्णक (Molar) दाँत निकलता है।
– 1st Month → अस्थायी [इंसाइजर (8), प्रीमोलर (12)] 8+12 = 20
– 6th Month → M1 (चवर्णक)
– 18th month → M2 (11/2 साल)
– 30th Month → M3 (21/2 साल)
– दूसरे साल (24 month) में कृतनक दाँतों का पहला स्थायी जोड़ा आता है।
– 21/4-21/2 साल के मध्य अग्रचवर्णक (Premolar) दाँतों का स्थायी जोड़ा आता है। (P1 व P2)
– 21/2 साल (30 महीने) में तीसरा चवर्णक (Molar) दाँत आता है।
– 21/2 -3 साल के बीच द्वितीय कृतनक का स्थायी जोड़ा आता है।
– 3 साल में तीसरा कृतनक (I3) व तीसरा अग्रचवर्णक (P3) का स्थायी जोड़ा आता है।
– Full mouth – 4 से 5वें साल के मध्य चौथा कृतनक का स्थायी जोड़ा आता है। इस स्थिति को भरा हुआ मुँह (Full mouth) कहा जाता है।
– Broken mouth – वह पशु जिसकी उम्र अधिक हो जिससे पशु के मुँह से एक या एक से अधिक दाँत गिर जाते हैं उसे ब्रोकन माउथ कहते हैं।
– गाय, भैंस, भेड़, बकरी में दंत सूत्र –
रूमिनेंट (जुगाली करने वाले) –


¨ बकरियों में दंत सूत्र से आयु की गणना :-
– बकरियों में दंत सूत्र गाय व भैंस जैसा ही होता है।

– जन्म से एक महीने के भीतर सभी अस्थायी कृतनक (I) व अग्रचवर्णक (PM) दाँत आ जाते हैं।
– तीन महीने में प्रथम चवर्णक (Molar) या चौथा कपोल दाँत आता है।
– नौ महीने में द्वितीय चवर्णक दाँत या पाँचवा कपोल दाँत आता है।
– 15वें महीने में तृतीय चवर्णक दाँत या छठवां कपोल दाँत आता है।
– अस्थायी कृतनक (इंसीजर) के घिसने पर स्थायी कृतनक दंत इनकी जड़ों से आने लगता है व 12-14 महीने (1 साल) में स्थायी केन्द्रीय कृतनक दंत आता है।
– 22-24 महीने में द्वितीय स्थायी मध्यम कृतनक दंत आता है।
– तीसरे साल I3 के साथ में प्रथम व द्वितीय अग्रचवर्णक (PM) का स्थायी जोड़ा आता है।
– चौथे साल में (48-50 माह) चौथा कृतनक या कॉर्नर कृतनक दंत आता है व इसके साथ तीसरा अग्रचवर्णक (PM) दंत भी आ जाता है।

नोट:- मुर्गियों में दाँत के स्थान पर चोंच होती है।
गाय भैंस तथा बैल के दाँतों के द्वारा आयु ज्ञात करना

बकरियों में दाँतों से उम्र ज्ञात करना
भेड़ों में दाँत से आयु की गणना :-


Special Point:-
– पोपला (Gummer) – सभी स्थायी दाँतों का टूट जाना।
– डायस्टेमा – कर्तनक दंत तथा अग्रचर्वण दंत के बीच का रिक्त स्थान
– वोल्फ टीथ ऊँट में पाए जाते हैं।
– ऊँट तथा घोड़े में कील दंत को Tushes कहते हैं।
– अग्रचर्वण तथा चर्वण दंत को Check teeth कहते हैं।
विभिन्न पशुओं में औसत जीवनकाल

विभिन्न पशुओं में शरीर का भार ज्ञात करना:-
– भार ज्ञात करने का उद्देश्य – पशु का उपचार करने के लिए, रोगों को पता लगाने के लिए, उत्तर प्रजनन के लिए, अनुसंधान कार्य हेतु, संतुलित पोषण हेतु तथा शरीर की वृद्धि के लिए शरीर का भार ज्ञात किया जाता है।
– भार ज्ञात करने का सूत्र:-
1. शेफर का फॉर्मूला:- इस सूत्र को गाय व भैंस में शरीर का भार ज्ञात करने में सबसे ज्यादा काम में लिया जाता है।

– शरीर की लंबाई – कंधे का अग्रिम बिंदु (Point of Shoulder) से लेकर अपला अस्थि के बिंदु की लंबाई इंच में (Point of pin bone)
– Chest Girth – सीने का नाप इंच में
– छोटे पशुओं जैसे – भेड़, बकरी में शरीर का भार स्प्रिंग बेलेंस विधि द्वारा ज्ञात किया जाता है।
– बड़े पशुओं में शरीर का भार ज्ञात करने के लिए Platform weighing machine को काम में लिया जाता है।
2 thoughts on “पशुओ की आयु ज्ञात करना (Age of Animals)”