फलदार पौधों की नर्सरी प्रबन्धन

फलदार पौधों की नर्सरी प्रबन्धन

– वह सीमित क्षेत्र जहाँ पर छोटे-छोटे व महँगे बीजों को बोया जाता है तथा अंकुरित होने से लेकर पौधरोपण तक सभी विपरीत परिस्थितियों से बचाने के लिए सभी संभावित सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।

पौधशाला के लिए स्थान का चुनाव:-

1. पौधशाला के स्थल की स्थिति:-

– नर्सरी का स्थान अन्य स्थानों से कुछ ऊपर उठा हुआ होना चाहिए (ऊँचाई पर स्थित) क्योंकि इससे नर्सरी में जल-भराव की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

– नर्सरी हमेशा शहर के पास व मुख्य रास्तों के नजदीक होनी चाहिए।

2. मिट्टी:-

– किसी भी नर्सरी की सफलता उसकी मृदा, उपलब्ध संसाधनों व प्राकृतिक कारकों पर निर्भर करती है।

– नर्सरी के लिए चयनित स्थल की मिट्टी जीवांश खाद, पोषक तत्त्वों व कार्बनिक पदार्थों से युक्त होनी चाहिए, मृदा हमेशा उथली हुई अर्थात् मृदा में सख्त/कठोर परत नहीं होनी चाहिए।

– नर्सरी के लिए हमेशा बलुई दोमट मृदा युक्त क्षेत्र/स्थान का चुनाव करना चाहिए।

इन मृदाओं में पौधे की वृद्धि अच्छी होती है।

3. सिंचाई की व्यवस्था:-

– नर्सरी के लिए पानी की स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए।

4. यातायात की सुविधा:-

– नर्सरी ऐसी जगह पर हो जहाँ यातायात की प्रभावी सुविधा उपलब्ध हो।

5. जीवांश खाद की उपलब्धता:-

6. श्रमिकों की उपलब्धता:-

– श्रमिकों की उपलब्धता सस्ती व आसान होनी चाहिए।

पौधशाला के खेत की तैयारी:-

– नर्सरी चाहे छोटी हो या बड़ी लेकिन उसके लिए विभिन्न कारकों/बातों का ध्यान रखना अतिआवश्यक है, जैसे ̵

 (i) पौधशाला के खेत की घेराबंदी

 (ii) उपकरणों की उपलब्धता

 (iii) सिंचाई की व्यवस्था

नर्सरी की योजना:-

– नर्सरी की सफलता या असफलता उसकी कार्य योजना पर निर्भर करती है।

अत: एक आदर्श पौधशाला के निर्माण में योजना बनाते समय निम्न बिंदुओं का ध्यान रखें–

 1. कार्यालय एवं आवास स्थान

 2. स्थायी सिंचाई खण्ड क्षेत्र

 3. खाद भण्डारण क्षेत्र

 4. बीज बोने के लिए क्यारियाँ

 5. स्थानान्तरित क्यारियाँ

 6. मातृ वृक्ष खण्ड क्षेत्र

 7. गमले व बीज पात्र क्षेत्र

 8. विशेष इकाई क्षेत्र

बीज बोने की क्यारियाँ:-

– नर्सरी में बीजों की बुआई करने के लिए बीज क्यारियों की चौड़ाई 1 मी. व लंबाई 3 मी. होनी चाहिए।

– बीज क्यारियाँ हमेशा मृदा से 10-15 सेमी. ऊँची उठी हुई होनी चाहिए।

– इन क्यारियों में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि नर्सरी/पौधशाला में आर्द्रगलन रोग का प्रभाव अधिक नहीं हो।

स्थानान्तरित क्यारियाँ:-

– ये क्यारियाँ बीज क्यारियों की अपेक्षा बड़ी होती है तथा इन क्यारियों में बीज क्यारियों में तैयार पौधों को स्थानान्तरित क्यारियों में रखा जाता है।

जिससे प्रतिकूल दशाओं को सहन करने की क्षमता में वृद्धि होती है।

मातृ वृक्ष खण्ड क्षेत्र:-

– नर्सरी की विश्वसनीयता के लिए नर्सरी मातृ वृक्ष क्षेत्र होना चाहिए जिससे हम यहाँ पर नर्सरी के लिए बीजों का उत्पादन तथा प्रवर्द्धन में काम आने वाले मातृ वृक्षों की सांकुर डालियों का प्रयोग विश्वसनीयता के साथ कर सके।

– नर्सरी में महँगे व कीमती पौधों के बीजों को हमेशा गमलों व बीज पात्र में ही उगाया जाना चाहिए।

पौधशाला में मिट्टी की तैयारी:-

– मिट्टी हमेशा समतल होनी चाहिए।

– पौधशाला में बीजों की बुवाई के 1-1.5 माह पूर्व अच्छी प्रकार से सड़ी हुई गोबर खाद/कम्पोस्ट/वर्मीकम्पोस्ट की 20-25 किग्रा. मात्रा प्रति 10 वर्गमीटर में प्रयोग करें।

– नर्सरी की मिट्टी को निर्जलीकृत करने के लिए 1% फार्मलीन (फार्मेल्डिहाइड) का 4.5-5.0 लीटर पानी के घोल को प्रति वर्गमीटर मृदा को उपचारित कर मृदा को 2-3 दिन के लिए ढक दिया जाता है जिससे मृदा में उपस्थित जीवाणु व कवकों का नियंत्रण हो जाता है। मृदा को 15 सेमी. गहराई तक उपचारित करें।

– मृदा को दीमक से बचाने हेतु क्लोरोपायरीफॉस का प्रयोग करें।

पौधशाला में पौध तैयार करना:-

– पौधशाला में पौध के लिए बीजों की व्यवस्था सही समय पर करें तथा ये बीज किसी विश्वसनीय स्थान; यथा – NSC, SSC, कृषि विधि निजी संस्थान से खरीदें तथा पौध निम्न विधि से तैयार करें।

1. बीजों को छिटककर बोना:-

– फूल वाले पौधे तथा गोभीवर्गीय सब्जियों के बीजों को छिटककर बोया जाता है।

2. पंक्तियों/लाइनों में बीज की बुवाई:-

– पपीता, अमरूद, फालसा, टमाटर, मिर्च, बैंगन, प्याज आदि के बीजों को पंक्तियों में बोकर नर्सरी तैयार की जाती है। बारीक बीजों को 1 सेमी. व बड़े बीजों को 4-5 सेमी. की गहराई पर बोना चाहिए।

3. चुबोकर बीजों की बुवाई:-  

फूलों की नर्सरी तैयार करना:-

– फूलों की नर्सरी के लिए क्यारी का आकार 1.0 मी. चौड़ाई तथा 1.5 मी. लंबाई व मृदा से 10-15 सेमी.  उठी हुई होनी चाहिए।

– नर्सरी में पौधों की आपसी दूरी 8-10 सेमी. तथा बीज को लगभग 1 सेमी. की गहराई पर रोपित किया जाता है।

– फूलों के बीजों को बुवाई से पूर्व कवकनाशी (थायरम, केप्टॉन, बॉविस्टीन, कार्बोन्डाजिम, एग्रोसन जी. एन) के द्वारा प्रति किग्रा बीज को 2-3 ग्राम कवकनाशी की मात्रा से बीजों को उपचारित किया जाना चाहिए जिससे कि बीजों को कवक/जीवाणुओं से बचाया जा सके।

– फूलों के बीज नर्सरी में बुवाई के 3-4 सप्ताह बाद रोपने के योग्य हो जाते हैं अर्थात् नर्सरी से निकालकर खेत में लगाया जा सकता है।

शाक/सब्जियों की नर्सरी तैयार करना:-

– सब्जियों में टमाटर, मिर्च, बैंगन, प्याज, फूलगोभी, पत्तागोभी, गाँठगोभी आदि सब्जियों की सबसे पहले नर्सरी तैयार करके रोपण किया जाता है।

– इन के बीजों को 6-10 सेमी. की दूरी पर 1-1.5 सेमी की गहराई में नर्सरी के अंदर बीजों को लगाया जाता है।

– सब्जियों के लिए क्यारियों की चौड़ाई 1-1.5 मी. तथा लम्बाई 2.0-3.0 मी. रखी जाती है तथा क्यारियाँ जमीन/मृदा से 10-15 सेमी. उठी हुई होनी चाहिए जिससे नर्सरी में पानी नहीं भरता।

– बीजों को नर्सरी में बुवाई पूर्व कवकनाशियों से 2-3 ग्राम प्रति किग्रा. बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए जिससे फसल को संभावित आर्द्रगलन (Damping Off) से बचाया जा सकता है।

– सब्जियों में टमाटर, मिर्च, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी की नर्सरी 4-6 सप्ताह में रोपण के योग्य हो जाती है तथा प्याज की नर्सरी लगभग 6-8 सप्ताह में रोपण योग्य होती है।

– सब्जियों की नर्सरी में जलनिकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे नर्सरी में आर्द्रगलन रोग की समस्या उत्पन्न न हो।

– राजस्थान में खरीफ प्याज अलवर/अजमेर में उत्पादित किया जाता है।

– सामान्यत: टमाटर, मिर्च, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी की नर्सरी 250 वर्ग मी. में तैयार की जाती है।

– प्याज की नर्सरी 500 वर्ग मी. में तैयार की जाती है।

फलों की नर्सरी तैयार करना:-

– पपीता, फालसा, लसोड़ा, करौंदा, बेल, बेर, आम की बीजू किस्में जिनका बीज द्वारा प्रवर्द्धन होता है, के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं।

– अधिकतर पौधों का प्रवर्द्धन/प्रसारण अलैंगिक विधि/वानस्पतिक प्रवर्द्धन होता है; जैसे- कलम, ग्राफ्टिंग, बडिंग, दाब लेयरिंग लेकिन ग्राफ्टिंग व कलिकायन विधि में मूलवृन्त (Root Stock) को बीज द्वारा तैयार किया जाता है।

– फलों के बीजों को नर्सरी में बीज क्यारियों तथा पॉलिथीन की थैलियों में भी लगाया जाता है।

– बीजों को नर्सरी की क्यारियों में तथा पॉलिथीन की थैलियों में जून-जुलाई माह व फरवरी-मार्च माह में लगाया जाता है।

– मोटे बीजों (आम/बेर) को 30 सेमी. तथा पपीते के बीजों को 2-3 सेमी. की दूरी पर लगाया जाता है। बारीक बीजों को 1-1.5 सेमी. तथा मोटे बीजों को 4-5 सेमी. की गहराई पर लगाया जाता है।

– पपीते का पौधा 2 माह में नर्सरी से खेत में रोपण योग्य हो जाता है। लेकिन दूसरे फलदार पौधे लगभग 1 वर्ष में रोपण योग्य होते हैं।

– फूलों व शाक (वार्षिक) के पौधे लगभग 4-6 सप्ताह में प्रतिरोपण योग्य हो जाते हैं।

– फलदार/बहुवर्षीय पौधों को नर्सरी से मिट्टी के पिण्ड सहित उठाकर ही खेत में लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पौधों की जड़ें नहीं हिलती हैं।

नर्सरी क्यारियों के प्रकार:-

 1. समतल बीज क्यारी (Flat Bed) – बसंत ग्रीष्मऋतु

 2. उठी हुई बीज क्यारियाँ (Raised Bed) – वर्षा ऋतु

 3. धँसी हुई बीज क्यारियाँ- शीत ऋतु

विरलीकरण:-

– आवश्यकता से ज्यादा पौधों को नर्सरी की बीज क्यारियों से उखाड़कर फेंकना।

सख्तीकरण (Hardening Off):-

– नर्सरी में पौध का अधिक ख्याल व सुविधा से पौधे कोमल हो जाते हैं इसलिए इनके रोपण से 10 दिन पूर्व पानी देना बंद कर देते हैं। जिससे यह पौधे बाहरी वातावरण में रोपित करने पर सफल पौधे हो सके अर्थात् नर्सरी से रोपण तक लाने में भी बचाने वाली सख्ती।

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