जलवायु

● भारतीय मानसून एवं जलवायु की सर्वप्रथम व्याख्या अरबी यात्री अलमसूदी ने की थी।
● किसी स्थान की दीर्घकालीन वायुमंडलीय दशाएँ जलवायु तथा अल्पकालीन वायुमंडलीय दशाएँ मौसम कहलाती है।
● जलवायु के निर्धारक घटक तापक्रम, वायुदाब, आर्द्रता, वर्षा एवं वायु वेग हैं।
● किसी भी क्षेत्र की जलवायु का निर्धारण अक्षांशों की सहायता से किया जाता है। अक्षांशों के द्वारा विश्व को निम्नलिखित ताप कटिबंध क्षेत्रों में बाँटा गया है–

● राजस्थान का 1% भाग (डूँगरपुर व बाँसवाड़ा का दक्षिणी भाग) उष्ण ताप कटिबंधीय क्षेत्र में आता है तथा शेष 99% यानी कर्क से उत्तरी क्षेत्र शीतोष्ण ताप कटिबंधीय क्षेत्र में आता है।
● 2312° अक्षांशों से 35° अक्षांशों तक ‘उपोष्ण जलवायु’ क्षेत्र आता है।
● इसी कारण राजस्थान की जलवायु शुष्क से उप-आर्द्र तथा उप उष्ण (शीतोष्ण) है।
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक–
1. अक्षांशीय स्थिति–
● राजस्थान 23°3’ उत्तरी अक्षांश से 30°12’ उत्तरी अक्षांशों के मध्य स्थित है।
● राजस्थान के दक्षिण का भाग उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आता है जबकि अधिकांश भाग उपोष्ण कटिबंध में आता है, जहाँ ग्रीष्म और शीतकाल में तापमान सामान्य रहता है।
2. समुद्र से दूरी/महाद्वीपीयता–
● अरब सागर का समुद्र तट राजस्थान से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। अत: समुद्री प्रभाव नगण्य है।
● यहाँ की जलवायु महाद्वीपीय जलवायु से मुक्त है जो गर्म और शुष्क होती है, जिससे यहाँ नमी कम होती है।
● समुद्र से दूरी बढ़ने पर शुष्कता बढ़ती है और आर्द्रता घटती है- जैसे – जोधपुर व कलकत्ता एक ही अक्षांश पर स्थित परंतु जोधपुर की जलवायु शुष्क जबकि कलकत्ता की जलवायु आर्द्र प्रकार की है।
3. भूमध्य रेखा से दूरी–
● राजस्थान भूमध्यरेखा से 2595.62 किलोमीटर दूर स्थित है।
4. स्थान की समुद्र तल या धरातल से ऊँचाई/उच्चावच–
● प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1°C तापमान कम हो जाता है। अतः माउण्ट आबू ठण्डा रहता है। राजस्थान के सामान्य तापमान व माउण्ट आबू के ताप में लगभग 11°C का अन्तर है।
● राजस्थान की धरातलीय ऊँचाई 370 मीटर से कम है एवं अरावली पर्वतमाला और दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र की धरातलीय ऊँचाई 370 मीटर से अधिक है।
● पश्चिमी रेतीले भू-भाग में ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान कभी-कभी 50°C तक पहुँच जाता है, वहीं रात्रि का तापमान 14°C से 17°C तक पहुँच जाता है।
● शीत ऋतु में तापमान कभी हिमांक बिंदु से भी नीचे पहुँच जाता है और पाला पड़ना एक सामान्य बात है।
● शीत ऋतु में पश्चिमी हवाओं के साथ आने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात जब राजस्थान से होकर गुजरते हैं, तब उत्तरी राजस्थान में अधिक तथा अन्य भागों में कम वर्षा करते हैं।
5. अरावली पर्वतमाला की स्थिति–
● अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर राज्य के मध्य भाग में कर्णवृत्त रूप में फैली हुई है जो अरब सागरीय मानसून के समानान्तर है। इस कारण राजस्थान में अधिक वर्षा नहीं हो पाती है।
● वर्षा ऋतु में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व को बहने वाली मानसूनी हवाएँ इनके सहारे-सहारे हिमालय पर्वत तक पहुँच जाती हैं।
6. भौगोलिक स्थिति (प्रकृति)–
● राजस्थान विश्व के सबसे युवा मरुस्थल (थार) का भाग है। अतः यहाँ गर्म जलवायु रहती है।
● विभिन्न ऋतुओं में तापमान की विषमताओं के कारण राजस्थान की जलवायु को महाद्वीपीय जलवायु कहा जाता है।
राजस्थान के जलवायु प्रदेश (भारतीय मौसम विभाग द्वारा प्रस्तुत)-
● राजस्थान के जलवायु प्रदेश के निर्धारण में वर्षा एवं तापक्रम मुख्य मापदण्ड हैं, तापक्रम की अपेक्षा वर्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है और इस आधार पर पाँच भागों में जलवायु प्रदेश को बाँटा गया है–
1. शुष्क जलवायु प्रदेश–
● यहाँ बहुत कम वनस्पति पाई जाती है। केवल कँटीली झाड़ियाँ पाई जाती हैं। वर्षा का औसत 10 से 20 सेमी. है। पश्चिमी राजस्थान में वाष्पीकरण दर अधिक,ग्रीष्म ऋतु में तापमान 45°C से 50°C के मध्य और शीत ऋतु में तापमान 0°C से 8°C के मध्य रहता है। शुष्क रेतीला मैदान बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, एवं पश्चिमी जोधपुर व चूरू जिले का कुछ भाग आता है।
● यहाँ मरुद्भिद वनस्पति (जीरोफाइट्स) पाई जाती है।
● ग्रीष्म ऋतु में लू व धूल भरी आँधी चलती हैं।दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर उच्च रहता है।
2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश–
● इस प्रदेश में वर्षा का औसत 20 से 40 सेमी., ग्रीष्म ऋतु में तापमान 36° से 42°C के मध्य और शीत ऋतु में तापमान 10° से 17°C के मध्य रहता है। यह प्रदेश जालोर, पाली, हनुमानगढ़, नागौर, सीकर व झुंझुनूँ, जोधपुर का पूर्वी भाग एवं चूरू के अधिकांश भाग में विस्तृत है।
● यहाँ स्टेपी तुल्य वनस्पति पाई जाती है।
3. उप आर्द्र जलवायु प्रदेश–
● यहाँ पर्वतीय व पतझड़ वनस्पति पाई जाती है। वर्षा का औसत 40 से 60 सेमी., ग्रीष्म ऋतु में तापमान 28° से 36°C के मध्य तथा शीत ऋतु में तापमान 12° से 18°C के मध्य के रहता है। यह प्रदेश सीकर का पूर्वी भाग, जयपुर, दौसा व अजमेर जिलों में विस्तृत है।
4. आर्द्र जलवायु प्रदेश–
● यहाँ पतझड़ वनस्पति पाई जाती हैं। वर्षा का औसत 60 से 80 सेमी., ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30° से 34°C के मध्य ,शीत ऋतु में तापमान 14° से 17°C के मध्य रहता है। यह प्रदेश अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, बूँदी, चित्तौड़गढ़ व राजसमंद हैं।
5. अति आर्द्र प्रदेश–
● यहाँ मानसूनी सवाना वनस्पति पाई जाती है। वर्षा का औसत 80 से 100 सेमी. या अधिक, ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30° से 40°C के मध्य और शीत ऋतु में तापमान 12° से 18°C के मध्य रहता है।
● इस प्रदेश का विस्तार झालावाड़, कोटा, बाराँ, (माउण्ट आबू) सिरोही, बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर व प्रतापगढ़ में हैं।
राजस्थान में ऋतुएँ–
1. ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून)
● 21 मार्च के बाद सूर्य की स्थिति कर्क रेखा की ओर होती है। इसी दिन से सूर्य का उत्तरायण होना प्रारंभ होने से उत्तरी-गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।
● उत्तरी-गोलार्द्ध का सबसे गर्म दिन 21 जून को माना जाता है क्योंकि इसी दिन सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लम्बवत् चमकता है। इस समय राजस्थान में औसत तापमान 38°C से अधिक रहता है किन्तु सर्वाधिक तापमान 40° से 45°C तक रहता है।
● ग्रीष्म ऋतु में राजस्थान में सूर्य की तीव्र किरणों, अत्यधिक तापमान, शुष्क व गर्म हवाओं व वाष्पीकरण की अधिकता के कारण आर्द्रता में कमी आ जाती है।
● ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक गर्म जिला चूरू एवं स्थान फलोदी (जोधपुर) रहता है।
हवाएँ-
● इस समय चलने वाली पश्चिमोत्तर हवाएँ तापमान को ओर अधिक शुष्क कर देती है, क्योंकि ये मरुस्थलीय प्रदेश से आती है।
● राज्य में वायु की अधिकतम गति लगभग 140 किलोमीटर/घण्टा है।
● ग्रीष्म ऋतु में गर्म, तेज हवाएँ और आँधी पश्चिमी राजस्थान की विशेषताएँ हैं।
● राजस्थान में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाएँ ‘लू’ कहलाती हैं। सर्वाधिक ‘लू’ बाड़मेर जिले में चलती है।
आँधी–
● राजस्थान में सर्वाधिक आँधियाँ मई-जून के महीने में चलती है।
● राज्य में सर्वाधिक आँधियों वाले जिले क्रमशः श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ हैं।
● राज्य में न्यूनतम आँधी वाले जिले क्रमशः झालावाड़ व कोटा हैं।
● राजस्थान में छोटे क्षेत्र में उत्पन्न वायु भँवर (चक्रवात) को स्थानीय क्षेत्र में ‘भभूल्या’ कहते हैं।
2. वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितम्बर)
● भारतीय मानसून की उत्पत्ति हिन्द महासागर के दक्षिण-पश्चिम में होती है इसे ही दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहा जाता है।
● वर्षा का आगमन राज्य में मध्य जून से प्रारंभ होता है तथा सामान्य वर्षा का दौर सितंबर तक चलता है।
● मानसून अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ – मौसम/ऋतु/हवाओं की दिशा में परिवर्तन होता है।
(i) अरब सागरीय मानसून शाखा–
● अरब सागरीय मानसूनी शाखा राजस्थान में सर्वप्रथम बाँसवाड़ा जिले में प्रवेश करती है। बाँसवाड़ा को राजस्थान का मानसून प्रवेश द्वार कहा जाता है।
● इस शाखा से राजस्थान के बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर तथा सिरोही में 10% वर्षा होती है।
● अरब सागरीय मानसून का सर्वाधिक ठहराव तथा सर्वाधिक सक्रियता सिरोही जिले में होती है।
● अरब सागरीय मानसून की राजस्थान में दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व रहती है।
● अरब सागरीय मानसून से पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होती है। इसका प्रमुख कारण अरावली पर्वतमाला का अरब सागरीय मानसून के समांतर स्थित होना है।
(ii) बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा–
● राज्य में बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी पवनों को ‘पुरवइया’ कहते हैं।
● बंगाल की खाड़ी शाखा राजस्थान के झालावाड़ जिले से प्रवेश करती है तथा राजस्थान के अधिकांश जिलों में लगभग 90% मानसूनी वर्षा करती है।
● इस शाखा से थार के मरुस्थल में वर्षा कम होती है। इसका प्रमुख कारण अरावली का ‘वृष्टि छाया’ प्रदेश का होना है।
राजस्थान की जलवायु विशेषताएँ–
● राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा 57.51 सेमी. होती है। वर्षा की मात्रा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर कम होती जाती है।
● राजस्थान में जून से सितम्बर तक 90 प्रतिशत वर्षा होती है।
● राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला महीना अगस्त व कम आर्द्रता वाला महीना अप्रैल है।
● राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला जिला झालावाड़ व कम आर्द्रता वाला जिला जैसलमेर है।
● राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान माउण्ट आबू (सिरोही) व कम आर्द्रता वाला स्थान फलोदी (जोधपुर) है।
3. शीत ऋतु (अक्टूबर से फरवरी)
(मानसून का प्रत्यावर्तन काल – अक्टूबर से मध्य दिसम्बर)
(शीतऋतु – मध्य दिसम्बर से फरवरी तक)
● इस ऋतु में उत्तरी भाग में न्यूनतम तापमान 12°C से कम व दक्षिणी भाग में 10°C से अधिक रहता है।
● 23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित रहता है, जिसे सूर्य का ‘दक्षिणायन’ होना कहते हैं।
● सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में तिरछी पड़नी शुरू हो जाती हैं, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में धीरे-धीरे शीत ऋतु का आगमन हो जाता है।
● 22 दिसंबर के दिन सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में सर्वाधिक तिरछी पड़ती हैं।
● सीकर, चूरू, फलोदी, डेगाना व माउंट आबू में तापमान काफी निम्न रहते हैं।
● राजस्थान का सबसे ठण्डा माह जनवरी है। सबसे ठण्डा जिला चूरू व स्थान माउण्ट आबू है। दूसरा सबसे ठण्डा स्थान डबोक (उदयपुर) है।
● राजस्थान में शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी मानसून से या भूमध्यसागरीय मानसून या पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा को ‘मावठ’ कहते हैं। राज्य में पश्चिमी विक्षोभ से कुल वार्षिक वर्षा की 10% वर्षा होती है। यह रबी की फसलों के लिए उपयोगी हैं, इसे ‘गोल्डन ड्रॉप्स या ‘सुनहरी बूँदे कहते हैं।
● राज्य में मानसून पूर्व की वर्षा को ‘दोंगड़ा’ कहते हैं।
● राज्य में भारतीय मौसम विभाग की ‘वैधशाला जयपुर’ में है।
● राजस्थान में सम्भावित वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन वार्षिक दर सबसे अधिक जैसलमेर जिले में हैं
कोपेन के अनुसार राजस्थान के जलवायु प्रदेश-
● कोपेन ने जलवायु का वर्गीकरण तापमान, वर्षा और वनस्पति के आधार पर किया है।

1. Aw (उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु प्रदेश) –
● इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, झालावाड़ व दक्षिणी चित्तौड़गढ़, कोटा, बाराँ आते हैं। इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30°C से 40°C के मध्य तथा शीत ऋतु में तापमान 12°C से 15°C के मध्य रहता है। यहाँ सवाना तुल्य वनस्पति पाई जाती हैं। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 80 से 100 सेमी. तक होती है।
2. BShw (अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश) –
● इस प्रदेश के अन्तर्गत, जालोर, बाड़मेर, सिरोही, पाली, नागौर, जोधपुर, चूरू, सीकर व झुंझुनूँ आते हैं।
● इस प्रदेश में जाड़े की ऋतु शुष्क, वर्षा कम (20-40 सेमी.) व स्टेपी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। काँटेदार झाड़ियाँ एवं घास यहाँ की मुख्य विशेषता है।
● ग्रीष्म ऋतु में तापमान 32°C से 35°C के मध्य और शीत ऋतु में तापमान 15° से 20°C के मध्य रहता है।
3. BWhw या उष्ण कटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश–
● यहाँ वर्षा बहुत कम होने के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है।
● इस प्रदेश में मरुस्थलीय जलवायु पाई जाती है। इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर तथा जोधपुर व चूरू का कुछ भाग आता है।
● वर्षा 10-20 सेमी., ग्रीष्म ऋतु में तापमान 35°C से अधिक और शीत ऋतु में तापमान 12-18°C रहता है।
● यहाँ मरुद्भिद जीरोफाइट्स वनस्पति एवं कँटीली झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
4. Cwg या उपआर्द्र जलवायु प्रदेश–
● इस जलवायु प्रदेश में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, दौसा, करौली, टोंक, बूँदी, भीलवाड़ा, राजसमंद, अजमेर, जयपुर व चित्तौड़गढ़, कोटा, बाराँ का उत्तरी भाग आते हैं।
● अरावली के दक्षिण-पूर्वी भाग इस जलवायु प्रदेश में आते हैं। यहाँ वर्षा केवल वर्षा ऋतु में होती है। वर्षा 60 से 80 सेमी. तथा शीतऋतु में कुछ मात्रा में वर्षा होती है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान 28°C से 34°C के मध्य और शीत ऋतु में तापमान 12°C से 18°C के मध्य रहता है।
● इस जलवायु प्रदेश में शुष्क मानसूनी वन पाए जाते हैं।
थॉर्नवेट के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित-

● राजस्थान जलवायु प्रदेश का आधार -: वनस्पति, वाष्पीकरण, वर्षा, तापमान।
1. EA’d (शुष्क कटिबंधीय जलवायु प्रदेश)
● यह अत्यन्त गर्म और शुष्क जलवायु प्रदेश है। यहाँ प्रत्येक मौसम में वर्षा की कमी अनुभव की जाती है।
● यहाँ केवल मरुस्थलीय वनस्पति ही उगती है।
● राजस्थान के मरुस्थल में स्थित जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर, दक्षिणी-पश्चिम बीकानेर व पश्चिमी जोधपुर का क्षेत्र आता है।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 10 से 20 सेमी. तक होती है।
2. DB’w (अर्द्ध शुष्क मिश्रित जलवायु प्रदेश)
● इस प्रदेश के भागों में शीत ऋतु छोटी और शुष्क परन्तु ग्रीष्म ऋतु लम्बी और वर्षा वाली होती है।
● यहाँ कँटीली झाड़ियाँ और अर्द्ध-मरुस्थलीय वनस्पति पाई जाती है। राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, उत्तरी भाग चूरू व झुंझुनूँ का एवं उत्तरी-पूर्वी बीकानेर के अधिकांश भाग इस प्रदेश में आते हैं।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 15 से 20 सेमी. तक होती है।
3. DA’w (उष्ण कटिबंधीय आर्द्र शुष्क जलवायु प्रदेश)
● इस जलवायु प्रदेश में ग्रीष्मकालीन तापमान उच्च रहता है। वर्षा कम होती है तथा अर्द्ध मरुस्थलीय वनस्पति पाई जाती है। राजस्थान का अधिकांश भाग अर्थात् बाड़मेर व जोधपुर का अधिकांश भाग, बीकानेर, चूरू एवं झुंझुनूँ का दक्षिणी भाग, सिरोही, जालोर, पाली, अजमेर, उत्तरी चित्तौड़गढ़, बूँदी, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, भरतपुर, जयपुर, अलवर, कोटा व बाराँ का उत्तरी भाग तथा उदयपुर का कुछ भाग वाले जिले इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 50 से 80 सेमी. तक होती है।
4. CA’w (उप आर्द्र जलवायु प्रदेश)
● इस प्रकार का प्रदेश अधिकांशतया दक्षिणी-पूर्वी उदयपुर, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, झालावाड़ तथा कोटा व बाराँ का अधिकांश भाग आदि जिलों में पाया जाता है। यहाँ वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। शीत ऋतु प्रायः सूखी रहती है। यहाँ सवाना तथा मानसूनी वनस्पति पाई जाती है।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 80 से 100 सेमी. तक होती है।
ट्रिवार्था के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित राजस्थान जलवायु प्रदेश–

1. Aw (उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश) –
● इस प्रकार के प्रदेश में उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु मिलती है जिसमें तापमान 21°C तक रहता है और औसत वार्षिक वर्षा 80 से 100 सेमी. तक होती है। बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, झालावाड़ तथा कोटा व बाराँ का दक्षिणी भाग तथा दक्षिणी-पूर्वी उदयपुर इसके अन्तर्गत आते हैं।
2. BSh उष्ण कटिबंधीय अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश) –
● उष्ण और अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु इस प्रदेश की विशेषता है।
● इस जलवायु प्रदेश में पश्चिमी उदयपुर, बाड़मेर व बीकानेर का अधिकांश भाग, हनुमानगढ़, राजसमन्द, सिरोही, जालोर,जोधपुर,पाली, अजमेर, नागौर, चूरू, झुंझुनूँ, सीकर, श्रीगंगानगर, पश्चिमी भीलवाड़ा, जयपुर, टोंक का पश्चिमी भाग आते हैं।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 40 से 60 सेमी. तक होती है।
3. BWh (उष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश) –
● इस प्रदेश के अन्तर्गत उष्ण और अर्द्धउष्ण मरुस्थल जलवायु पाई जाती है। जैसलमेर, पश्चिमी बीकानेर, उत्तरी -पश्चिमी बाड़मेर जिले इसके अन्तर्गत आते हैं।
● यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 10 से 20 सेमी. तक होती है।
4. Caw (उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु प्रदेश) –
● यह अर्द्ध उष्ण आर्द्र प्रदेश है, जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 50 से 80 सेमी. तक होती है, शीत ऋतु में कुछ वर्षा चक्रवातों द्वारा होती है। इसमें जयपुर का पूर्वी भाग,बूँदी, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर, धौलपुर, दौसा व भीलवाड़ा का कुछ भाग तथा कोटा व बाराँ का उत्तरी भाग तथा टोंक, अलवर का अधिकांश भाग आता हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य–
● 1000 Mb समदाब रेखा सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़ एवं झालावाड़ से गुजरती है।
● जनवरी में 1017 Mb समदाब रेखा दक्षिणी राजस्थान से, 1018 Mb समदाब रेखा मध्य राजस्थान से एवं 1019 Mb समदाब रेखा उत्तरी राजस्थान से गुजरती है।
● राजस्थान में औसत वर्षा वाले दिनों की संख्या 29 दिन है।
● राजस्थान का अधिकांश क्षेत्र ‘उपोष्ण कटिबन्ध’ में स्थित है।
● राजस्थान में शीतकाल में होने वाली वर्षा ‘मावठ’ का कारण भूमध्य सागरीय चक्रवात(पश्चिमी विक्षोभ) है।
● राजस्थान में सर्वाधिक वार्षिक वर्षा माउंट आबू (48 दिन) में होती है।
● 50 सेमी. सम वर्षा रेखा राजस्थान को दो भागो में विभाजित करती है।
● संवहनीय क्रियाएँ राजस्थान में धूलभरी आँधियों के चलने के लिए आवश्यक दशा है।
● राजस्थान के सुदूर पश्चिमी भाग में सर्वाधिक वर्षा परिवर्तनीयता पाई जाती है।