जयपुर
आमेर का महल

● आमेर की मावठा झील के पास की पहाड़ी पर स्थित महल, जिसे कच्छवाहा नरेश मानसिंह प्रथम द्वारा 1592 ई. में बनाया गया था।
● यह महल हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य शैली का समन्वित रूप है।
● महल के मुख्य प्रवेश द्वार में प्रवेश करते ही राजपूत-मुगल शैली पर बना ‘दीवान-ए-आम’ है जो चारों ओर से लाल पत्थरों के खम्भों की दोहरी पंक्तियों से युक्त बरामदों से घिरा हैं।
● इस विशाल द्वार को फर्ग्यूसन ने संसार का सर्वोत्कृष्ट प्रवेश द्वार बताया है।
शीशमहल

● निर्माता – मिर्जा राजा जयसिंह।
● अन्य नाम – ‘दीवाने खास’, ‘जयमन्दिर’।
● यह भीतरी दीवारों पर शीशे की जड़ाई के सुन्दर व बारीक काम के कारण यह ‘शीशमहल’ के नाम से प्रसिद्ध है।
● यह भवन दो मंजिला है भूतल पर बना जयमंदिर कहलाता है तथा प्रथम मंजिल पर बने भवन को जसमंदिर कहा जाता है।
● दीवान-ए-खास (शीश महल) में राजा अपने खास मेहमानों तथा दूसरे देशों के राजदूतों से मिलते थे।
● कवि बिहारी ने शीशमहल को ‘दर्पण धाम’ कहा।
● इसके सामने ‘बुखारा उद्यान’ स्थित है।
● 12 रानियों का महल शीशमहल के निकट ही आमेर दुर्ग में स्थित है।
सिटी पैलेस

● निर्माता – सवाई जयसिंह-द्वितीय
● निर्देशनकर्ता – विद्याधर भट्टाचार्य
● वास्तुकार – याकूब
● निर्माण वर्ष – 1729-32
● अन्य नाम – चन्द्रमहल, सतखण महल, राजमहल, सरबता
● यह जयपुर राजपरिवार का निवास स्थान था।
● गंगोज कलश या गंगाजलि – चन्द्र महल के दीवाने-खास में रखे चाँदी के दो बड़े कलश।
● उदयपोल – सिटी पैलेस में प्रवेश के लिए बने 7 द्वारों में से एक द्वार, जिसका निर्माण 1900 वर्ष में महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने करवाया था।
● सिरह-ड्योढ़ी – सिटी पैलेस का पूर्वी मुख्य प्रवेश द्वार।
● इस महल में स्थित दीवान-ए-आम में महाराजा का निजी पुस्तकालय (पोथीखाना) एवं शास्त्रागार है।
● इस पैलेस में रखे विश्व के सबसे बड़े चाँदी के पात्र और बीछावत पर बारीक काम (सूई से बना चित्र) विश्व प्रसिद्ध है।
● इस महल को सन् 1959 में सवाई मानसिंह द्वितीय द्वारा संग्रहालय का रूप दिया गया।
● सर्वतोभद्र महल – सिटी पैलेस परिसर में स्थित इस महल को दीवाने खास भी कहा जाता है। इसी के पास तालकटोरा झील के किनारे बादल महल स्थित है।
मुबारक महल

● निर्माता – सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा।
● निर्देशनकर्ता – सर स्वींटन जैकब।
● समय – (1880 से 1922)
● स्थित – सिटी पैलेस में महल।
● इसका निर्माण रियासत के मेहमानों के ठहरने के लिए किया गया।
● यह महल मुगल, यूरोपीय और राजपूत स्थापत्य कला का अद्भूत समन्वय है।
हवामहल

● निर्माता – सवाई प्रतापसिंह
● वास्तुकार – लालचन्द उस्ता
● समय – 1799
● स्थित – जयपुर
● आकार – श्रीकृष्ण के मुकुट के समान या पिरामिडनुमा।
● खिड़कियों की संख्या – 953
● आनन्द पोल – हवामहल का प्रवेश द्वार।
पाँच मंजिला –
1. हवा मंदिर (सबसे ऊपरी) 2. प्रकाश मंदिर
3. विचित्र मंदिर 4. रतन मंदिर
5. शरद या प्रताप मंदिर (सबसे निचली)
● हवा महल को वर्ष 1968 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया।
जलमहल

● अवस्थिति – जयपुर-आमेर मार्ग पर मानसागर झील में स्थित।
● निर्माता – सवाई जयसिंह-द्वितीय
● यह पानी, प्रकृति और प्राचीनता का अनूठा संगम है। कहा जाता है कि सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ में आमंत्रित ब्राह्मणों के भोजन व विश्राम की व्यवस्था इसी महल में कराई थी।
● सवाई प्रतापसिंह ने इन महलों को आधुनिक रूप दिया।
सिसोदिया रानी का महल

● निर्माता – सवाई जयसिंह (द्वितीय)।
● स्थित – जयपुर
● यह 1728 में ‘सिसोदिया रानी चन्द्र कुंवरी’ के लिए बनाया गया।
● महल की भीतरी दीवारों पर म्यूरल पेंटिंग में शिकार के दृश्य और राधा-कृष्ण के चित्र बने हुए हैं।
● इसी महल में सिसोदिया रानी ने माधोसिंह प्रथम को जन्म दिया।
सामोद महल

● जयपुर से 40 कि.मी. पूर्व में स्थित इस महल का निर्माण राजा बिहारीदास ने 1645 से 1652 के मध्य करवाया।
● महल का मुख्य आकर्षण शीशमहल है।
● शीशमहल का निर्माण रावल शिवसिंह ने 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में करवाया।
● सामोद में कलात्मक एवं विशाल महलों में चित्रकारी के अलावा काँच और मीनाकारी का बेमिसाल काम है।
● यहाँ सुल्तान महल भी दर्शनीय है।
● सामोद में सात बहनों का मंदिर भी है।
एक समान नौ महल
● स्थित – नाहरगढ़ दुर्ग, जयपुर
● निर्माण – सवाई माधोसिंह द्वितीय
मोती डूँगरी महल

● निर्माता – सवाई माधोसिंह द्वारा।
● स्थित – जयपुर
● यह प्राचीन स्कॉटलैण्ड किले के रूप में निर्मित करवाया गया, इसे सवाई मानसिंह की तीसरी पत्नी गायत्री देवी ने सुसज्जित करवाया।
● यहाँ का तख्तेशाही महल प्रसिद्ध है। मोती की भाँति दिखाई देता है तख्तेशाही महल का निर्माता सवाई माधोसिंह था।
● इसकी तलहटी में गणेशजी का सुप्रसिद्ध मंदिर है।
रामबाग पैलेस

● इसे केसर बड़ारण का बाग भी कहा जाता है।
● महाराजा रामसिंह द्वारा इसे शाही मेहमानों, अतिथि राजाओं के ठहरने के लिए 1836 ई. में इसका निर्माण करवाया।
24 रानियों का महल
● स्थित – आमेर (जयपुर)
बादल महल
● स्थित – जयपुर
● निर्माण – सवाई जयसिंह-द्वितीय
अलवर
विजय मंदिर पैलेस

● वर्ष 1918 में अलवर महाराजा जयसिंह द्वारा विजयसागर झील के तट पर निर्मित।
● इस महल में सीताराम का भव्य मंदिर है।
● झील के निकट बने इस मनोहारी भवन की दीवारें धार्मिक एवं पौराणिक संदर्भों पर आधारित भित्ति चित्रों से अलंकृत हैं।
सरिस्का पैलेस

● स्थित – अलवर-जयपुर सड़क मार्ग पर अलवर से 35 कि.मी. दूर स्थित।
● निर्माता – अलवर के महाराजा जयसिंह द्वारा।
● जयसिंह ने इसका निर्माण ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग की शिकार यात्रा के उपलक्ष्य में करवाया था।
● अब इसे ‘होटल-सरिस्का पैलेस’ में परिवर्तित किया गया।
सिटी पैलेस (अलवर)

● इसका निर्माण राजा बख्तावरसिंह द्वारा 1793 में करवाया गया था।
● इस पैलेस के एक ओर मूसी महारानी की छतरी है तथा उसके पास ही सागर झील है।
● इस महल के निर्माण में मुगल व राजपूत स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता हैं। इस महल का चतुष्कोणीय प्रांगण बहुत ही भव्य है।
● इस महल में मुहम्मद गौरी, अकबर, जहाँगीर व औरंगजेब की तलवारें मुख्य आकर्षण है।
● इस महल में एक ऐसी म्यान है जिसमें दो तलवारें रखी जा सकती हैं।
ईटाराणा की कोटी
● स्थित -अलवर
● निर्माता – महाराजा जयसिंह
● उत्कृष्ट जाली-झरोखों व तोरणनुमा टोडे से युक्त मनोहारी महल।
मोती की डूँगरी (अलवर)
● 1882 ई. में निर्मित।
● 1928 ई. तक अलवर शासकों का शाही निवास स्थान।
● 1928 ई. में महाराजा जयसिंह द्वारा इसका जीर्णोद्धार करवाया गया।
सिलीसेढ़ महल

● स्थित – सिलीसेढ़ झील, अलवर
● निर्माण – महाराजा विनयसिंह
● वर्ष – 1844
● वर्तमान में राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) ने होटल का रूप दे दिया है।
● ध्यातव्य है कि सिलीसेढ़ झील को ‘राजस्थान का नन्द कानन’ कहा जाता है।
अजमेर
रूठी रानी का महल

● स्थित – अजमेर
● यह रानी उमादे का महल है जो राव मालदेव से रुठकर यहाँ रही।
● मुगल सम्राट जहाँगीर की बेगम नूरजहाँ जब रूठकर यहाँ चली आई तो जहाँगीर उसे मनाने इस महल में आया। इसलिए यह ‘रूठी रानी का महल’ नाम से प्रसिद्ध हो गया।
● ध्यातव्य है कि रूठी रानी के अन्य महल जयसमन्द (उदयपुर) एवं मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में भी हैं।
● उदयपुर के रूठी रानी महल का निर्माता महाराणा जयसिंह था।
मानमहल

● स्थित – पुष्कर
● निर्माण – आमेर के मिर्जा राजा मानसिंह
● वर्तमान में ‘होटल सरोवर’ के रूप में प्रसिद्ध।
झुंझुनूँ
खेतड़ी महल

● स्थित – झुंझुनूँ
● निर्माता – भोपालसिंह (खेतड़ी महाराजा)
● उपनाम – ‘राजस्थान का दूसरा हवामहल’
(खिड़कियों व झरोखों से सुसज्जित होने के कारण)
● महाराजा ने इस महल का निर्माण अपने ग्रीष्मकालीन विश्राम हेतु करवाया गया था।
● इस बहुमंजिले महल में लखनऊ जैसी भूल-भूलैया एवं जयपुर के हवामहल की झलक देखने को मिलती है।
जोधपुर
उम्मेद भवन

● निर्माण – महाराजा उम्मेदसिंह
● इस महल की नींव 18 नवम्बर, 1929 को रखी गई और यह 16 वर्षोँ में बनकर पुरा हुआ।
● इंजीनियर – हेनरी वॉगन लेंचेस्टर।
● यह विश्व का सबसे बड़ा रिहायशी महल है।
● यह महल छीतर पत्थर से निर्मित होने के कारण ‘छीतर पैलेस’ भी कहलाता है।
● इस महल का निर्माण अकाल राहत कार्यों के तहत सम्पन्न हुआ था।
● यह भवन ‘इंडो-डेको स्टाइल’ (Beaux Arts Style) में निर्मित किया गया।
● वर्तमान में उम्मेद भवन में संग्रहालय, थियेटर, केन्द्रीय हॉल व उद्यान दर्शनीय हैं।
● इस भवन में घड़ियों का एक संग्रहालय भी है।
अजीत भवन

● स्थित – जोधपुर
● देश का पहला हैरिटेज होटल।
बीजोलाई के महल

● जोधपुर में कायलाना की पहाड़ियों के मध्य महाराजा तख्तसिंह द्वारा निर्मित महल।
एक थम्बा महल

● स्थित – मंडोर (जोधपुर)
● यह महाराजा अजीत सिंह (1707 ई. – 1724 ई.) के शासनकाल में लाल व बलुआ पत्थरों से निर्मित तीन मंजिला महल है।
● अन्य नाम – प्रहरी मीनार।
जनाना व मर्दाना महल

● जोधपुर में महाराजा सूरसिंह द्वारा निर्मित महल।
राईका बाग पैलेस

● जोधपुर में महाराजा जसवंत सिंह प्रथम की रानी हाड़ी जी ने 1663 ई. में राईका बाग पैलेस का निर्माण करवाया।
● महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय इस महल में बैठकर स्वामी दयानन्द के उपदेश सुना करते थे।
● मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) में स्थित – मोतीमहल, फूलमहल, फतेहमहल, खबका महल, बिचला महल, जनाना महल, चोखेलाव महल।
उदयपुर
राजमहल

● पिछोला झील के तट पर स्थित राजमहल का निर्माण राणा उदयसिंह ने करवाया था।
● प्रसिद्ध इतिहासकार फर्ग्यूसन ने इन्हें ‘राजस्थान के विंडसर महलों’ की संज्ञा दी।
● यह महल दो हिस्सों (मर्दाना महल एवं जनाना महल) में विभाजित है।
● राजमहल में मयूर चौक पर बने 5 मयूरों का सौन्दर्य अनूठा है।
● इसी महल में महाराणा प्रताप का वह ऐतिहासिक भाला रखा है जिससे हल्दीघाटी युद्ध में आमेर के मानसिंह पर प्रताप ने वार किया था।
जगनिवास
जगनिवास पैलेस
● पिछोला झील के मध्य स्थित।
● इसका निर्माण 1746 ई. में महाराणा जगतसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया।
● एक टापू पर बने इस महल के चारों ओर पानी है।
● प्राचीन महलों में संगमरमर का बना हुआ ‘धोला महल’ देखने योग्य है।
जगमंदिर पैलेस

● स्थित – पिछोला झील के मध्य महाराणा कर्णसिंह द्वारा इस महल को बनाना प्रारम्भ किया गया था, इसे महाराणा जगतसिंह प्रथम ने पूर्ण करवाया था।
● जहाँगीर के विरुद्ध विद्रोह करने के बाद शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) ने इसी महल में शरण ली थी।
● माना जाता है कि इसी महल की भव्यता को देखकर ताजमहल का स्मारक बनाने की प्रेरणा मिली।
● इसी महल में ‘बाबा गफूर की मजार’ भी है।
सज्जनगढ़ पैलेस

● उदयपुर में फतेहसागर सागर के पीछे एक ऊँची बांसदरा पहाड़ी की चोटी पर स्थित सज्जनगढ़ पैलेस का निर्माण महाराणा सज्जनसिंह ने करवाया।
● इस महल का निर्माण महाराणा फतेहसिंह ने पूरा करवाया। इस पैलेस को ‘मानसून पैलेस’ भी कहा जाता है।
खुश महल
● उदयपुर में महाराणा सज्जनसिंह द्वारा निर्मित।
महाराजा या राजकुमार के महल
● उदयपुर में जयसमन्द झील के किनारे महाराजा फतेहसिंह द्वारा निर्मित महल।
● उदयपुर में स्थित अन्य महल – मोतीमहल, धोलामहल, सात मंजिला प्रासाद।
झालावाड़
काष्ठ प्रासाद
● झालावाड़ में स्थित महल।
● लकड़ी से निर्मित यह महल राव राजेन्द्रसिंह द्वारा वर्ष 1936 में बनवाया गया।
● यह महल लगभग 3500 वर्ग फुट में फैला हुआ है।
गढ़ पैलेस भवन
● 1838 ई. में झाला मदनसिंह द्वारा निर्मित। गढ़ पैलेस चौकोर है तथा इसके तीन द्वार हैं।
टोंक
सुनहरी कोठी
● टोंक की सुनहरी कोठी का निर्माण 1824 ई. में नवाब अमीर खाँ द्वारा प्रारम्भ किया गया जो 1834 में टोंक नवाब वजीरुद्दौला खाँ के समय पूर्ण हुआ।
● इस कोठी की दूसरी मंजिल का निर्माण नवाब इब्राहिम अली खाँ ने 1870 ई. में करवाया था।
● सुनहरी कोठी में स्वर्ण की नक्काशी व चित्रकारी का कार्य नवाब इब्राहिम अली खाँ ने करवाया था।
● नवाब इब्राहिम अली खाँ ही सुनहरी कोठी के वास्तविक निर्माता माने जाते हैं।
● सुनहरी कोठी की दीवार एवं छतों में काँच, रत्न जड़ित सोने की बेल, बूटियाँ, फूल, पच्चीकारी एवं मीनाकारी का कलात्मक स्वरूप आज भी आकर्षक है।
● पहले यह ‘शीशमहल’ के नाम से जानी जाती थी।
मुबारक महल
● इसका प्रारम्भिक नाम जरगिनार था।
● टोंक जिले में सुनहरी कोठी के दायरे में स्थित है, जिसमें बकरा ईद के अवसर पर ऊँट की कुर्बानी दी जाती थी।
● यह महल ऊँट की कुर्बानी के लिए प्रसिद्ध है।
राजमहल
● देवली (टोंक) के 12 कि.मी. दूर स्थित महल। यह महल बनास, खारी एवं डाई के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
कोटा
अभेड़ा महल
● कोटा के पास चम्बल नदी के किनारे स्थित ऐतिहासिक महल अब राज्य सरकार पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है।
अबली (अमली) मीणी का महल
● मुकुन्दसिंह द्वारा अपनी चहेती पासवान अबली (अमली) मीणी के लिए बनवाया गया महल।
● कर्नल जेम्स टॉड ने इस महल को ‘राजस्थान का दूसरा या छोटा ताजमहल’ की संज्ञा दी थी।
कोटा का हवामहल
● कोटा दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही महाराव रामसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित महल।
गुलाब महल
● निर्माता – महाराव जैत्रसिंह हाड़ा
छत्रविलास महल
● निर्माता महाराव दुर्जनशाल
जगमंदिर महल
● कोटा के किशोरसागर तालाब के बीच स्थित महल।
बूँदी
राजमहल (गढ़ पैलेस)
● राजमहल में छतरमहल, दीवान-ए-आम, रंगविलास, अनिरुद्ध महल दर्शनीय हैं।
सुखमहल
● बूँदी में जैतसागर झील के निकट स्थित सुखमहल का निर्माण राजा विष्णुसिंह ने करवाया।
रतनदौलत दरीखाना
● बूँदी राजप्रासाद में स्थित महल, जिसमें बूँदी नरेशों का राजतिलक होता था।
● इसी महल के पास में चित्रशाला व अनिरुद्ध महल बने हुए हैं।
रंगमहल
● बूँदी महाराव छत्रशाल द्वारा निर्मित।
● भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध महल। इस महल की भित्ति चित्रों में धार्मिक, ऐतिहासिक एवं शिकार संबंधी दृश्य चित्रित किए गए हैं।
● बूँदी के अन्य महलों में दुर्गमहल, उम्मेद महल, छत्रमहल, रंगविलास महल आदि प्रमुख हैं।
जैसलमेर
बादल विलास महल
● जैसलमेर के महारावलों के निवास हेतु सिलावटों द्वारा 1844 ई. में बादल विलास महल का निर्माण किया गया जिसे उन्होंने तत्कालीन महारावल वैरीशाल को भेंट कर दिया। बादल विलास में बना पाँच मंजिला ‘ताजिया टॉवर’ दर्शनीय है।
● जैसलमेर के अन्य महलों में सर्वोत्तम विलास महल, राजविलास महल, जवाहर विलास महल तथा रंगमहल प्रमुख हैं।
डूँगरपुर
एकथम्बिया महल
● डूँगरपुर के गैबसागर झील के तट पर उदयविलास राजप्रासाद में स्थित शिवालय।
● इसका निर्माण महारावल शिवसिंह द्वारा अपनी माता राजमहिषी ज्ञानकुंवरी की स्मृति में करवाया।
● इसे ‘कृष्ण प्रकाश’ भी कहा जाता है।
जूना महल
● डूँगरपुर में धन माता पहाड़ी पर निर्मित इस महल की नींव 12वीं सदी के अंत में महारावल वीर सिंह ने रखी।
● यह महल आकर्षक भित्ति चित्रों एवं शीशे के कार्यों से अलंकृत हैं।
● 7 मंजिला महल के चौकोर खम्भे, छज्जे, झरोखे व बारीक काम वाली जालियाँ राजपूत स्थापत्य कला का सुन्दर नमूना पेश करती है।
बादल महल
● गैब सागर झील के किनारे स्थित इस महल का निर्माण दो चरणों में किया गया था। बरामदा और जमीन तल का निर्माण महारावल गोपीनाथ ने करवाया था। दूसरे चरण में महारावल पुंजराज ने कुछ नवीनीकरण के साथ पहली मंजिल और गुंबद के सामने बरामदा बनवाया था। इस दो मंजिले बादल महल में 6 गोखड़े व प्रवेश द्वार हैं।
उदयविलास पैलेस
● डूँगरपुर में गैब सागर के तट पर स्थित इस महल का निर्माण महारावल उदयसिंह ने करवाया।
● सफेद संगमरमर और नीले पत्थर से बना यह महल पाषाण कारीगरी का नायाब नमूना है।
बाँसवाड़ा
सरिता निवास
● महारावल पृथ्वीसिंह द्वारा विट्ठलदेव गाँव (बाँसवाड़ा) में निर्मित महल
नृपति निवास
● महारावल पृथ्वीसिंह द्वारा बाँसवाड़ा में कागदी नदी के तट पर स्थित महल।
कुशलबाग महल
● स्थित – बाँसवाड़ा
राजमंदिर
● अन्य नाम – सिटी पैलेस।
● यह बाँसवाड़ा के राजाओं का शाही निवास था।
भरतपुर
डीग के महल
● डीग, भरतपुर जिले का महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है।
● यह नगर भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है।
● इसे ‘जलमहलों की नगरी’ कहा जाता है।
● जलमहल का निर्माण सर्वप्रथम 1725 में राजा बदनसिंह ने करवाया था।
● डीग के महलों में गोपाल भवन, केशव-भवन, किशन भवन, नंदभवन, सूरज भवन तथा सावन भादो महल प्रमुख हैं।
● डीग के जलमहल का निर्माण भरतपुर के जाट राजा सूरजमल ने 1755 से 1763 ई. के मध्य करवाया गया था।
गोपाल भवन
● डीग के महलों में सबसे बड़ा व भव्य।
● इसका निर्माण महाराजा बदनसिंह ने शुरू करवाया जिसे बाद में महाराजा सूरजमल ने पूर्ण करवाया था।
● यहाँ शाहजहाँ का संगमरमर का झूलेनुमा सिंहासन है।
● डीग के महल अपनी विशालता, उत्कृष्ट शिल्प सौन्दर्य तथा इनके बीच स्थित मुगल शैली के सुन्दर उद्यान एवं फव्वारों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
मृगया महल
● स्थित – बयाना (भरतपुर)
किशोरी महल
● स्थित – भरतपुर
चित्तौड़गढ़
पद्मिनी महल
● चित्तौड़गढ़ में रावल रतनसिंह द्वारा निर्मित।
खातड़ रानी का महल
● चित्तौड़गढ़ दुर्ग में पद्मिनी के महलों के पीछे महाराणा क्षेत्रसिंह की पासवान कर्मा खाती के महल हैं, जिसे ‘खातड़ रानी का महल’ कहते हैं।
● फतेह प्रकाश महल एवं गोरा-बादल महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित हैं।
सिरोही
स्वरूप निवास महल
● महाराजा स्वरूपसिंह द्वारा निर्मित।
केसर विलास महल
● महाराजा केसरसिंह द्वारा निर्मित।
बीकानेर
लालगढ़ पैलेस
● इस इमारत का निर्माण 1902 ई. में महाराजा गंगासिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में करवाया गया।
डिजाइनर – सर स्विंटन जैकब
● उद्घाटन – ‘लालगढ़ पैलेस’ का 24 नवम्बर, 1915 को भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्स द्वारा उद्घाटन किया गया था।
● इस महल में ‘अनूप संस्कृत लाइब्रेरी’ एवं ‘सार्दुल संग्रहालय’ है।
● यह पैलेस दुलमेरा की खानों से लाए गए लाल पत्थर से बनाया गया है।
● यहाँ 1974 ई. से ‘लालगढ़ पैलेस’ होटल प्रारम्भ किया गया।
सरदार निवास महल
● बनेड़ा (भीलवाड़ा) में राजा सरदार सिंह द्वारा निर्मित।
झाली रानी का मालिया
● स्थित – उदयपुरे
● कुम्भलगढ़ में राणा कुम्भा द्वारा निर्मित।
खानपुर महल
● धौलपुर में स्थित यह महल मुगल बादशाह शाहजहाँ का आरामगाह था।
● इस महल के पास ही तालाब-ए-शाही झील है।
● इस महल का निर्माण 1622 ई. में जहाँगीर के मनसबदार सुलेह खाँ खान ने शाहजहाँ हेतु करवाया।
रावत पैलेस
● करौली में लाल व सफेद पत्थरों से निर्मित राजमहल।
जोगी महल
● रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) राष्ट्रीय उद्यान में निर्मित।
मालजी का कमरा
● चूरू में।
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