राजस्थान की प्रमुख फसले

प्रमुख फसले

● राजस्थान की अर्थव्यवस्था प्रमुखत: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है।

● राजस्थान में लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है।

● यहाँ कुल कामगारों में 62 प्रतिशत कामगार जीवनयापन के लिए कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र पर निर्भर है।

राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान

● कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का कुल योगदान प्रचलित कीमतों पर 28.95% व स्थिर कीमतों पर 28.50% है।

● कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उप-क्षेत्रों का प्रचलित मूल्यों पर वर्ष 2022-23 में योगदान।

● वर्ष 2021-22 की तुलना में 13.84% वृद्धि दर्ज  की गई।

कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उप-क्षेत्रअंश (प्रतिशत)
फसल क्षेत्र46.00
पशुधन क्षेत्र46.41
वानिकी क्षेत्र7.20
मत्स्य क्षेत्र0.39
कुल योगदान  100

● स्थिर मूल्यों पर कुल वृद्धि दर 2021-22 की तुलना में 2022-23 में 5.22 % है।

कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उप-क्षेत्रवार्षिक वृद्धि दर (%)
फसल क्षेत्र6.39
पशुधन क्षेत्र3.91
वानिकी क्षेत्र5.18
मत्स्य क्षेत्र17.65

कृषि उत्पादन

● प्रारम्भिक पूर्वानुमान के अनुसार राज्य में वर्ष 2022-23 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 253.99 लाख मैट्रिक टन होने की  सम्भावना है जो कि गत वर्ष के 231.52 लाख मैट्रिक टन की  तुलना में 9.71 प्रतिशत अधिक है।

● वर्ष 2022-23 में खरीफ खाद्यान्न का उत्पादन 97.98 लाख मैट्रिक टन होने की सम्भावना है जो कि गत वर्ष के 85.82 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 14.17 प्रतिशत अधिक है।

● वर्ष 2022-23 में रबी खाद्यान्न का उत्पादन 156.01 लाख मैट्रिक

टन होना अनुमानित है, जो कि गत वर्ष 2021-22 में 145.70 लाख मैट्रिक टन की तुलना में 7.08 प्रतिशत की वृद्धि  दर्शाता है।

भू-उपयोग सांख्यिकी 2020-21

भू-उपयोगक्षेत्रफल(लाख हैक्टेयर)प्रतिशत(क्षेत्रफल)
वानिकी27.728.08
कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग भूमि20.105.86
ऊसर तथा कृषि अयोग्य भूमि23.676.91
स्थायी चारागाह तथा अन्य गोचर भूमि16.674.86
 वृक्षों के झुण्ड तथा बाग0.300.09
बंजर भूमि37.2710.87
अन्य चालू पड़त भूमि20.936.10
चालू पड़त16.754.89
शुद्ध बोये गए क्षेत्रफल179.4852.34
कुल342.89100

राजस्थान में कृषि की प्रमुख विशेषताएँ :

1. राज्य में कृषि मानसून पर आधारित है अत: मानसून की सक्रियता और निष्क्रियता का कृषि पर प्रभाव पड़ता है।

2. राजस्थान में उगाई जाने वाली रबी की फसलों में गेहूँ, सरसों, जौ, चना, तारामीरा इत्यादि हैं तथा खरीफ की फसलों में बाजरा, ज्वार, ग्वार, मूँग, उड़द, सोयाबीन, मूँगफली इत्यादि प्रमुख हैं। जायद की फसलों में खीरा, तरबूज, ककड़ी, खरबूजा व हरी सब्जियाँ इत्यादि।

3. भारत के कुल कृषिगत क्षेत्रफल का लगभग 11 प्रतिशत भाग राजस्थान में है लेकिन सतही जल की उपलब्धता देश की मात्र 1.16 प्रतिशत ही है।

4. राज्य में भू-जल की स्थिति भी बहुत विषम है। साथ ही इसमें पिछले दो दशकों में तेजी से गिरावट आई है। भारत का गतिशील भू-जल संसाधन मूल्यांकन (2022) के अनुसार राजस्थान में कुल 302 ब्लॉक है, जिनमें से 38 ब्लॉक सुरक्षित, 20 ब्लॉक अर्द्ध संकटग्रस्त, 22 ब्लॉक संकटग्रस्त, 219 ब्लॉक अत्यधिक दोहित और 03 ब्लॉक लवणीय हैं।

5. राजस्थान में कृषि प्राथमिक रूप से वर्षा पर निर्भर है एवं सिंचाई की सुविधाओं में कमी के कारण प्रति हैक्टेयर उत्पादकता काफी कम रहती है।

6. राज्य में सिंचाई के प्रमुख स्रोत कुएँ, नलकूप, नहर और तालाब हैं, जिसमें सर्वाधिक प्रतिशत क्षेत्र कुओं व नलकूपों का है।

7. राज्य में प्रतिव्यक्ति स्रोत के आकार में निरंतर गिरावट आई है।

राज्य की प्रमुख कृषि फसलें :

प्रमुख रूप से इसे हम तीन भागों में बाँट सकते हैं-

1खरीफ फसलें – खरीफ के मौसम को राजस्थान में चौमासा एवं स्यालु कहा जाता है।

● राज्य में ये फसलें जून-जुलाई में बोई जाती हैं तथा सितम्बर, अक्टूबर में काटी जाती हैं। मुख्य खरीफ फसलें – ज्वार, बाजरा, चावल, मक्का, मूँग, उड़द, अरहर, मोठ, मूँगफली, अरण्डी, तिल, सोयाबीन, कपास, गन्ना, ग्वार आदि।

● राज्य में खरीफ की 90 फसलें बारानी क्षेत्र पर बोई जाती हैं, जो पूर्णत: वर्षा पर निर्भर होती हैं।

● खाद्यान्नों में बाजरे का कृषित: क्षेत्रफल सर्वाधिक है।

2. रबी फसलें – इन्हें उनालु कहा जाता है।

● ये फसलें अक्टूबर-नवम्बर में बो कर मार्च-अप्रैल में काट ली जाती हैं।

● मुख्य रबी फसलें – गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों, अलसी, तारामीरा, सूरजमुखी, धनिया, जीरा, मैथी आदि हैं।

3. जायद फसलें – इन फसलों को मार्च–अप्रैल से मध्य जून तक उगाया जाता है।

● राज्य में जायद फसलों की कृषि जल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में की जाती है।

● मुख्य जायद फसलें – तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, सब्जियाँ इत्यादि।

कृषि के अन्य प्रकार :

1. जीवन निर्वाह कृषि:-

● यह कृषि परंपरागत तरीके से की जाती है। इसका उद्देश्य मात्र उदरपूर्ति करना होता है।

2. यांत्रिक कृषि:

● यह कृषि विस्तृत क्षेत्र में होती है तथा इसमें यंत्रों का उपयोग सर्वाधिक होता है।

● राजस्थान का सबसे बड़ा यांत्रिक कृषि फार्म सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) में 15 अगस्त, 1956 को रूस की सहायता से स्थापित किया गया था।

● राज्य का दूसरा यांत्रिक कृषि फार्म जैतसर (श्रीगंगानगर) में स्थापित किया गया।

3. व्यापारिक कृषि:

● इसका प्रमुख उद्देश्य नकदी कमाना होता है। इसकी प्रमुख फसलें गन्नाकपास एवं तंबाकू हैं।

4. मिश्रित कृषि:

● कृषि एवं पशुपालन कार्य को एक साथ करना मिश्रित कृषि कहलाती है।

5. समोच्च कृषि:-

● पहाड़ी क्षेत्रों में समस्त कृषि कार्य और फसलों की बुवाई ढाल के विपरीत करना ताकि वर्षा से होने वाली मृदा क्षरण को न्यूनतम किया जा सके।

6. स्थानांतरण कृषि:-

● इसे झूमिंग कृषि भी कहते हैं। यह कृषि सर्वाधिक आदिवासी या जनजातीय लोग करते हैं।

● राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों (डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, बाराँ आदि) में यह कृषि की जाती है।

● राजस्थान में भूमि के कटाव की अधिकता के कारण कई क्षेत्रों में स्थानांतरित कृषि की जाती हैउसे ‘वालरा’ कहते हैं।

● यह कृषि राज्य के दक्षिणपूर्वी पठारी क्षेत्र में सर्वाधिक होती है।

● यह कृषि जंगलों को साफ करके की जाती है। यहाँ पर 3-4 फसलों के बाद नए स्थान की तलाश शुरू कर दी जाती है।

6. बारानी कृषि:-

● यह ऐसी कृषि पद्धति है जो पूर्णतवर्षा जल द्वारा की गई सिंचाई पर निर्भर होती है।

● इसमें सिंचाई हेतु किसी भी कृत्रिम साधन का प्रयोग नहीं किया जाता है।

● इसमें बोई जाने वाली फसलें ज्वारबाजरामक्कातिलहनकपास आदि पूर्णतवर्षा जल पर ही निर्भर रहती हैं।

7. रोपण कृषि:-

● एक विशेष प्रकार की खेती जिसमें रबड़चायकहवा आदि बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं।

बागवानी फसलों के प्रमुख उत्पादन जिले:-

क्र.सं.फसलप्रमुख उत्पादन जिले
1.आमबाँसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, दौसा
2.संतराझालावाड़, भीलवाड़ा, कोटा
3.अमरूदसवाई माधोपुर, बूँदी, बाराँ
4.आँवलाजयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा
5.केलाचित्तौड़गढ़, उदयपुर, बाँसवाड़ा
6.करोंदाअजमेर, जैसलमेर, जोधपुर
7.किन्नूश्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, धौलपुर
8.नींबूपाली, दौसा, बूँदी
9.पपीतासिरोही, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा
10.अंगूरसिरोही
11.अनारबाड़मेर, जालोर, जोधपुर
12.खजूरजैसलमेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर
13.बेरजयपुर, बाड़मेर, हनुमानगढ़
14.मौसमीश्रीगंगानगर, बीकानेरए हनुमानगढ़
15.सीताफलराजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़
16.शहतूतजयपुर, दौसा
17.चीकूसिरोही, चित्तौड़गढ़, बाड़मेर
18.फालसाधौलपुर, अजमेर

(Horticulture department)

मसालें

फसलेंप्रमख उत्पादन जिलों के नाम
1. अजवाइनचित्तौड़गढ़राजसमंदभीलवाड़ा
2. मिर्चसवाई माधोपुरभीलवाड़ाजालोर
3. धनियाझालावाड़नागौरबाराँ
4. जीराजोधपुरबाड़मेरजालोर
5. सौंफनागौर,सिरोहीजोधपुर
6. मैथीबीकानेरजोधपुरसीकर
7. लहसुनबाराँकोटाझालावाड़
8. अदरकडूँगरपुरउदयपुरप्रतापगढ़
9. हल्दीबूँदीउदयपुरभीलवाड़ा

(Horticulture department)

कृषि जलवायु प्रदेश

1. शुष्क पश्चिमी मैदान क्षेत्र (I-A)

● इस कृषि जलवायु प्रदेश में पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर व बाड़मेर जिले आते हैं।

● इस क्षेत्र में औसत वर्षा 200 से 370 मिमी. होती है।

● यहाँ तापमान ज्यादा से ज्यादा 40° व न्यूनतम 8° रहता है।

● इस भू-भाग में मरुस्थलीय एवं बालुका स्तूप प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – बाजरा, मोठ, तिल 2. रबी-गेहूँ, सरसों एवं जीरा।

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र मण्डोर (जोधपुर) में है।

2. सिंचित उत्तरीपश्चिमी मैदान (I-B)

● इस कृषि जलवायु प्रदेश में उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के श्रीगंगानगर व   . हनुमानगढ़ जिले आते हैं।

● इस क्षेत्र में औसत वर्षा 100 से 350 मि.मी. होती है।

● यहाँ तापमान ज्यादा से ज्यादा 42° व न्यूनतम 4.7° रहता है।

● यहाँ पर जलोढ़ एवं लवणीयता से युक्त मिट्टी मिलती है।

● प्रमुख फसलें 1. रबी – गेहूँ, सरसों, चना 2. खरीफ – कपास एवं ग्वार

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र, श्रीगंगानगर में है।

● इस कृषि जलवायु प्रदेश के कुछ भागों में सेम (जल प्लावन) समस्या   . होती है।

3. अति शुष्क एवं आंशिक सिंचित प्रदेश (I-C)

● जैसलमेर, बीकानेर एवं चूरू जिले इस कृषि जलवायु प्रदेश के क्षेत्र में  . आते हैं।

● यह राजस्थान का सबसे बड़ा कृषि जलवायु प्रदेश है।

● इस क्षेत्र में वर्षा 100 से 350 मि.मी. होती है।

● इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा  तापमान 48° व कम से कम 3° रहता है।

● इस भू-भाग में मरुस्थलीय मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – बाजरा, मोठ एवं ग्वार 2. रबी-गेहूँ, सरसों, चना।

● इस कृषि जलवायु प्रदेश का कृषि अनुसंधान केन्द्र बीछवाल (बीकानेर) में है।

4. आंतरिक जल निकासी शुष्क प्रदेश (II-A)

● इस जलवायु प्रदेश में नागौर, सीकर, झुंझुनूँ व चूरू का भाग आता है।

● इस भू-भाग में 300 से 500 मि.मी. वर्षा होती है।

● यहाँ पर कम से कम 5.3° व ज्यादा से ज्यादा 39.7° तापमान रहता है।

● इस क्षेत्र में रेतीली चूना युक्त एवं उथली लाल मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. रबी – सरसों एवं चना 2. खरीफ – बाजरा, ग्वार    . एवं दलहन।

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र फतेहपुर (सीकर) में है।

5. लूणी बेसिन का सक्रांति मैदान (II-B)

● इस कृषि जलवायु प्रदेश में पाली, जालोर, सिरोही व जोधपुर का भाग . आता हैं।

● इस क्षेत्र में वर्षा 300 से 500 मि.मी. होती है।

● यहाँ कम से कम 4.9° व ज्यादा से ज्यादा 38° तापमान रहता है।

● इस भू-भाग में लाल मरुस्थलीय मृदा, चिरोजय मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ–बाजरा, ग्वार एवं तिल 2. रबी – गेहूँ, सरसों।

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र, केशवाना (जालोर) में है।

6. अर्द्धशुष्क पूर्वी मैदान (III-A)

● इस क्षेत्र में जयपुर, अजमेर, टोंक व दौसा जिले आते हैं।

● यहाँ पर वर्षा 500 से 700 मि.मी. होती है।

● यहाँ पर कम से कम 8.3° व ज्यादा से ज्यादा 40.6° तापमान      रहता है।

● इस क्षेत्र के पूर्वी भाग में चिरोजम तथा पश्चिमी-उत्तरी भाग में चूना युक्त मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – बाजरा, ग्वार एवं ज्वार 2. रबी – गेहूँ,      . सरसों, चना।

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र, दुर्गापुरा (जयपुर) में है।

7. बाढ़ प्रभावित पूर्वी मैदान (III-B)

● अलवर, धौलपुर, भरतपुर, करौली व सवाई माधोपुर जिले इस क्षेत्र में  . आते हैं।

● इस क्षेत्र में 500 से 700 मि.मी. वर्षा होती है।

● यहाँ का तापमान ज्यादा से ज्यादा 40° व कम से कम 8.2° रहता है।

● इस भू-भाग में जलोढ़ मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – बाजरा, ग्वार एवं मूँगफली 2. रबी – गेहूँ, . जौ, सरसों, चना।

● इसका कृषि अनुसंधान केन्द्र, नवगाँव (अलवर) में है।

8. उप-आर्द्र दक्षिणी मैदान (IV-A)

● इस कृषि जलवायु प्रदेश में भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, उदयपुर एवं सिरोही जिले का भाग आता है।

● इस क्षेत्र में वर्षा 500 से 900 मि.मी. होती है।

● यहाँ पर तापमान ज्यादा से ज्यादा 38.6° व कम से कम 8.1° रहता   . है।

● इस भू-भाग में जलोढ़ एवं पर्वतीय मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – मक्का, दलहन एवं ज्वार 2. रबी – गेहूँ    . एवं चना।

● इस क्षेत्र का कृषि अनुसंधान केन्द्र, उदयपुर में है।

9. आर्द्र दक्षिणी मैदान (IV-B)

● इस कृषि जलवायु प्रदेश में डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़  . एवं उदयपुर जिले का भाग आता है।

● यह राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु प्रदेश है।

● इस भू-भाग में 500 से 1100 मि.मी. वर्षा होती है।

● यहाँ पर तापमान, ज्यादा से ज्यादा 39° व कम से कम 7.2° रहता है।

● इस क्षेत्र में लाल मृदा, पर्वतीय ढालों पर लाल मृदा तथा उथली मृदा घाटियों में पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – मक्का, चावल, ज्वार एवं उड़द 2. रबी – . गेहूँ एवं चना।

10. आर्द्र दक्षिणीपूर्वी मैदान (V)

● इस क्षेत्र में कोटा, झालावाड़, बूँदी, बाराँ एवं सवाई माधोपुर जिले का  . भाग आता है।

● इस भू-भाग में वर्षा 650 से 1000 मि.मी. होती है।

● इस क्षेत्र में तापमान ज्यादा से ज्यादा 42.6° व कम से कम 10.6°     . रहता है।

● इस भू-भाग में काली जलोढ़ एवं चिकनी मृदा पाई जाती है।

● प्रमुख फसलें – 1. खरीफ – ज्वार एवं सोयाबीन 2. रबी – गेहूँ, सरसों।

● इस क्षेत्र का कृषि अनुसंधान केन्द्र, उम्मेदगंज (कोटा) में है।

(Eco. Surve 2022-23)

प्रमुख फसलों के उत्पादन का तुलनात्मक विवरण
क्र.सं.फसलप्रथम स्थानद्वितीय स्थानतृतीय स्थानराजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान (प्रतिशत में)
1बाजराराजस्थानउत्तरप्रदेशहरियाणा41.71
2सरसोंराजस्थानमध्यप्रदेशहरियाणा44.57
3 पोषक अनाजराजस्थानकर्नाटकमहाराष्ट्र16.30
4कुल तिलहनराजस्थानमहाराष्ट्रमध्यप्रदेश22.00
5कुल दलहनमध्यप्रदेशराजस्थानमहाराष्ट्र16.75
6चनामध्यप्रदेशमहाराष्ट्रराजस्थान19.37
7मूँगफलीगुजरातराजस्थानतमिलनाडु18.91
8.ज्वारमहाराष्ट्रकर्नाटकराजस्थान12.35
9सोयाबीनमहाराष्ट्रमध्यप्रदेशराजस्थान8.49
10.ग्वारराजस्थान84.60

● स्रोत – भारत सरकार द्वारा प्रकाशित सांख्यिकी पुस्तिका एक नजर में वर्ष 2021 के आधार पर।

● *ग्वार फसल में वर्ष 2019-20 की स्थिति।

राजस्थान की प्रमुख फसलों की स्थिति:-

क्र.सं.फसलसर्वाधिक क्षेत्र वाला जिलासर्वाधिक उत्पादन वाला जिलासर्वाधिक उत्पादक/ उपज वाले जिलेजलवायु व मिट्‌टी
1.चावलबूँदीबूँदी, हनुमानगढ़हनुमानगढ़कोटाश्रीगंगानगरउष्ण व नम जलवायु उपयुक्त। वर्षा-50 से 200 सेमीवार्षिक। तापमान-20º से 30º सेन्टीग्रेड। मिट्टीकाली व चिकनी दोमट।
2.बाजराबाड़मेरअलवरजयपुरअलवरधौलपुरकरौलीनम व उष्ण मौसम उपयुक्त। मिट्टीरेतीली दोमट।
3.मक्काभीलवाड़ाचित्तौड़गढ़, भीलवाड़ाबूँदी, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा24º से 30º सेन्टीग्रेड तापमान। यह गर्म मौसम का पौधा है। जल की प्रचुर आपूर्ति उपयोगी। दोमट मिट्टी उपयुक्त।
4.ज्वारअजमेरअजमेर, भीलवाड़ाराजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़गर्म जलवायु की फसल।औसत तापमान-26º-30º से.ग्रे.।वर्षा-35 से 150 सेमी.।मिट्टीबलुई व चिकनी दोमट।
5.गेहूँहनुमानगढ़श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़अलवर, कोटा, बाराँशीतोष्ण जलवायुआर्द्रता-50 से 60%, मिट्‌टीदोमट।
6.जौजयपुरजयपुर, श्रीगंगानगरश्रीगंगानगरअलवर, जयपुरशीतोष्ण जलवायु। मिट्‌टी– दोमट व बलुई दोमट।
7.चनाचूरूचूरूअजमेरबाराँ, कोटा, सवाई माधोपुरठण्डी व शुष्क जलवायु। वर्षा मध्यममिट्‌टी हल्की दोमट।
8.मोठबीकानेरबीकानेर, चूरूजैसलमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर 
9.मूँगनागौरनागौर, जोधपुरटोंक, जयपुर, हनुमानगढ़शुष्क व गर्म जलवायुवर्षा25 से 40 सेमीवार्षिक, मिट्‌टीदोमट।
10.उड़दबूँदीबूँदी, टोंकप्रतापगढ़, डूँगरपुर, उदयपुरउष्ण कटिबंधीय आर्द्र व गर्म जलवायु, वर्षा40 से 60 सेमीवार्षिकमिट्‌टीदोमट व चिकनी दोमट।
11.चवलाझुंझुनूँझुंझुनूँ, सीकरसीकर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ 
12.मसूरझालावाड़झालावाड़, प्रतापगढ़बीकानेर, टोंक, झालावाड़ 
13.मूँगफलीबीकानेरबीकानेर, जोधपुरबीकानेर, सिरोही, सीकरउष्ण कटिबंधीय जलवायु, तापमान– 250300 से.ग्रे.,वर्षा-50 से  100 सेमीएवं  मिट्‌टीबलुई व दोमट।
14.अरण्डीजालोरजालोर, सिरोहीहनुमानगढ़, चूरू, बूँदी
15.तारामीरानागौरनागौरपालीजोधपुरटोंकजालोर
16.तिलपालीपाली, सवाई माधोपुरअलवर, भरतपुर, दौसाउष्ण व समोष्ण जलवायु, तापमान 250-270 से.ग्रे., वर्षा– 30-100 सेमी., मिट्‌टी– हल्की बलुई दोमट।(Area Production and Yield of Agri. Crops 2021-22)

राज्य की प्रमुख व्यापारिक फसलों की स्थिति:-

क.सं.फसलसर्वाधिक क्षेत्र वाला जिलासर्वाधिक उत्पादन वाला जिलासर्वाधिक उत्पादक/ उपज वाले जिले
1.सोयाबीनझालावाड़झालावाड़, बाराँभीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, उदयपुर
2.अलसीप्रतापगढ़प्रतापगढ़, झालावाड़करौली, बाराँ, झालावाड़
3.कपासहनुमानगढ़हनुमानगढ़, श्रीगंगानगरजालोर, बाँसवाड़ा, श्रीगंगानगर
4.गन्नाश्रीगंगानगरश्रीगंगानगर, चित्तौड़गढ़करौली, जयपुर, टोंक
5.ईसबगोलबाड़मेरबाड़मेर, नागौरसीकर, राजसमंद, प्रतापगढ़
6.तम्बाकूजालोरजालोर, अलवरझुंझुनूँ, राजसमंद, जालोर
7.ग्वारबीकानेरश्रीगंगानगर, बीकानेरकरौली, राजसमंद, अलवर
8.सरसोंश्रीगंगानगरश्रीगंगानगर, अलवरधौलपुर, अलवर, करौली(Area Production and Yield of Agri. Crops 2021-22)
राजस्थान के कृषि विकास हेतु प्रयासरत संस्थाएँ:-
नामस्थापना वर्षउद्देश्य व अन्य विवरण
1. केन्द्रीय कृषि फार्म, सूरतगढ़(श्रीगंगानगर)अगस्त, 1956एशिया का सबसे बड़ा फार्म। सोवियत रूस के सहयोग से स्थापित किया गया।
2. केन्द्रीय कृषि फार्म, जैतसर (श्रीगंगानगर) कनाडा देश के सहयोग से स्थापित किया गया।
3. काजरी (Central Arid ZoneResearch Institute-CAZRI),जोधपुर1959सर्वप्रथम मरुस्थल वनरोपण वर्ष 1952 (जोधपुर) में स्थापित, बाद में वर्ष 1957 में मरुस्थलीय वनीकरण और मृदा स्टेशन में विस्तारित किया गया, अत: वर्ष 1959 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के तहत केन्द्रीय शुष्क अनुसंधान संस्थान (CAZRI) में अपग्रेड किया गया।काजरी के क्षेत्रीय स्टेशन – बीकानेर, जैसलमेर, पाली, मारवाड़, भुज (गुजरात) व लेह हैं।
4. राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड(Rajasthan State AgricultureMarketing Board)1974कृषि विपणन के अन्तर्गत वे सभी गतिविधियाँ या सेवाएँ आती हैं जो कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचाने में करनी पड़ती है; जैसे – परिवहन, प्रसंस्करण, भण्डारण, ग्रेडिंग आदि।
5. राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक मापीकरण इस संस्था, भारतीय बीज अधिनियम 1966 की धारा 8 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा संस्थापित संस्था है, जो राज्य में बीज एवं पूरे राष्ट्र में जैविक प्रमाणीकरण का कार्य करती है।संस्थान की स्थापना वर्ष 1977 में राज्य सरकार के गजट नोटिफिकेशन के द्वारा की गई थी, जिसका पंजीकरण राजस्थान सोसायटीज एक्ट 1958 के अन्तर्गत किया गया था। जैविक प्रमाणीकरण हेतु संस्था को राज्य सरकार के गजट नोटिफिकेशन द्वारा वर्ष 2005 में अधिकृत किया गया था। इसके लिए संस्थान में निदेशालय स्तर पर राजस्थान राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गई।संस्था को जैविक प्रमाणीकरण का कार्य हेतु भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग के संस्थान एपीडा (Apeda) द्वारा वर्ष 2007 में मान्यता दी गई थी। जैविक प्रमाणीकरण का कार्य राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के तहत निर्धारित मानको के अनुरूप वर्ष 2007 से किया जा रहा है। संस्थान को अगस्त, 2018 में पशुधन उत्पाद व मधुमक्खी पालन प्रमाणीकरण की मान्यता एपीडा (Apeda) नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गई।
6. AFRI (Arid Forest Research Institute), जोधपुर(स्थापना 30 जून, 1987) इस संस्थान का जनादेश ‘राजस्थान, गुजरात, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में जैव विविधता के संरक्षण और जैव-उत्पादकता में वृद्धि के लिए शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों’ पर विशेष जोर देने के लिए वानिकी अनुसंधान है।
7. राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र2000तबीजी (अजमेर) में स्थापित।
8. राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान संस्थान, सेवर, भरतपुर1993फरवरी, 2009 में, ICAR ने NRCRM को रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय (DRMR) के रूप में नामित किया।
9. केन्द्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, (RARI) जोबनेर (जयपुर)उद्देश्य – यह संस्था राष्ट्र को अपनी जनसंख्या वृद्धि और कृषि उत्पादन के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए, गुणवत्ता और लाभप्रदता मे सुधार करने के लिए जनसंख्या के दबाव के बिना, इस केन्द्र में अभी की कठोर प्रयास जारी है।

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