औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ में सामान्य ज्ञान

औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ में सामान्य ज्ञान

औषधीय पादप

1. तुलसी (Ocimum)

 साधारण नाम  तुलसी, तुलीन

 वानस्पतिक नाम – ओसिमम प्रजाति

 कुल – लेमिएसी

 उत्पत्ति स्थल – एशिया उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र

– इसे ‘अमृत बूटी’ के नाम से भी जाना जाता है।

– तुलसी में 0.1 – 0.25 प्रतिशत सुगंधित तेल की उपस्थिति जो हल्का हरा होता है।

– तेल का प्रयोग कपूर, सिट्रॉल, प्रसाधन सामग्री में, जिरोनीओला

– तुलसी का रस + शहद = कैंसर में लाभप्रद

– विभिन्न रोगों में दिव्य औषधि के रूप में उपयोग यथा – मलेरिया, श्वास कफ, खाँसी, उल्टी, कोलेस्ट्रोल में।

– नियमित सेवन हृदय को शक्ति देता है।

– उपयोगी भाग – बीज व पत्तियाँ

– प्रवर्द्धन – 200-250 ग्राम बीज

– फूल व बीज में पूजीनोल पाया जाता है।

2. गिलोय

  वानस्पतिक नाम – टीनोसपोरा कार्डीफोलिया

 कुल – मेनिसपर्मिएसी

– औषधि गुणों के कारण ‘अमृता’ कहते हैं।

– ज्वर में उपयोगी पौधा

– उपयोगी भाग – जड़/तना, हरी व ताजी गिलोय उपयोगी

– जीवंती भी कहते हैं।

– बहुवर्षीय पादप

– आचार्य चरक ने वातहर माना है, कफ शामक

3. सफेद मूसली

 वानस्पति नाम – क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम

 कुल – लिलिएसी

 उपनाम – धोली मूसली, सुफेला मूसली, शैदेबेली, तानिवितांग

 उत्पत्ति – अफ्रीका

 उपयोग – आयुर्वेदिक, एलोपैथिक, यूनानी दवाइयों में

 सफेद मूसली कंदयुक्त पौधा है। ऊँचाई 45 सेमी.

– इसकी कंदिल जड़ें जिसे कंद या फिंगर्स कहते हैं।

– बाजार मूल्य 1800-3000 रु. किलो

– औषधीय उपयोग  शक्तिवर्धक, प्रसवोपरान्त शारीरिक क्षतिपूर्ति प्रजनन क्षमता में वृद्धि, माताओं में दूध वृद्धि।

– सफेद मूसली को द्वितीय शिलाजीत कहा जाता है।

– जिन्सेग (पेनेक्स) का विकल्प

– विदेशों में कैलाग जैसे फ्लेक्स बनाए जाते हैं। जिसे नाश्ते में प्रयोग करते हैं।

– बुवाई – जून-जुलाई, बीजदर – 4-6 कंद

– जड़ों में सेपोनिन पाया जाता है।

– आदिवासी लोग कोली कहते हैं।

– उपज 10-12 कंदिल जड़ व 2-2.5 सूखी जड़

4. सनाय (Indian Senna)

 सामान्य नाम – सोनामुखी, सेना सनायमकी

 वानस्पतिक नाम  केसिया अंगस्टीफोलिया

 कुल  फैबेसी

 उपकुल  सिजलपिनाइडी

 उत्पत्ति  अरब देश, सोमालिया (स्वर्ण पत्ति)

 भारत में – केसिया एक्यूटिफोलिया

– संस्कृत में मार्कण्डी, मार्कण्डिका कहते हैं।

– उपयोग भाग – पत्तियाँ व फलिया

– जलवायु – शुष्क

– बीजदर – 10 किग्रा./हेक्टेयर

– वर्षा ऋतु में रोपाई की जाती है।

– राजस्थान में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर

– सनाय मुख्यत: रेचक का काम करता है।

– पत्तियों व फलियों में सोनासाइड/सेनोसाइड/सोनाप (एल्केलोइड)

– पौधे से प्राप्त रॉल (Resin) का ‘इजिफल असाकदुस’ युनानी दवा बनाने में प्रयोग

– बीज + अमलतास + दही = दाद में उपयोगी

5. ईसबगोल (Psyllium)

 वानस्पतिक नाम – प्लांटेगो ओवेटा

 कु – प्लांटेजिनेसी

 उत्पत्ति – पश्चिम एशिया, परसिया (ईरान)

 भारत सर्वाधिक उत्पादक व नियमिक देश

 उपयोगी भाग  बीज /भूरी

– राजस्थान में इसे घोड़ा जीरा भी कहते हैं।

– राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन बाड़मेर और जालोर

– जलवायु – शुष्क व ठण्डी

– बीजदर  7-8 किग्रा.

– समय  अक्टूबर-नवम्बर

– उपज – 8-10 क्विंटल बीज/2.5-3.0 क्विंटल भूसी

– भूसी का भाग  30 प्रतिशत

– किस्म – निहारिका, ईसबगोल 29, GI – 1 – GI – 12

– ईसबगोल का छिलका मूर्गियों के आहार में

6. रतनजोत

 वानस्पति नाम – जेट्रोफा कर्कस

 कुल – यूफोरबिएसी

 उत्पत्ति – भारत

 उपयोगी भाग – बीज

 पौध रोपण – जुलाई-अगस्त

 बीजदर – 2 किग्रा./हेक्टेयर

 उपनाम – चन्द्रजोत/जैट्रोफा/जंगली अरण्ड

 तत्त्व – जेट्रोफीन (कैसर में उपयोगी),

– जाड़ीनुमा 2-7 फीट ऊँचा वन औषधीय पौधा

7. अश्वगंधा/विंटर चेरी

 वानस्पतिक नाम – विथानिया/सोमनीफेरा

 कुल – सोलेनेसी

 उत्पत्ति – भारत/अफ्रीका

 उपयोगी भाग – जड़

 बीजदर – 8-10 किग्रा.

 बुवाई – जुलाई-सितम्बर

– इसमें विथेनीन, सोमनीफेरम पाया जाता है।

8. एलोवीरा/ग्वारपाठा

 वानस्पतिक नाम – एलोवीरा बारबाडेन्सिस

 कुल – लिलिएसी

 तत्त्व – एलोनिन व बारबालोनिन (ग्लुकोसाइडिस)

9. कालमेघ

 वानस्पतिक नाम – एन्ड्रोगापिस पेनीकुलाटा

 कुल – एकेनथीएसी

 उत्पत्ति – भारत

 तत्त्व – एन्ड्रोग्राफिओलिडी

पुष्पोत्पादन

Loose flower – जैसमीन, क्रॉसएन्ड्रा, रजनीगंधा (ट्यूबरॉज) काइसेन्थीमम, गेंदा, हिबिस्कस

Cut flower – गुलाब, कार्नेशन, आर्चिड, एनथ्यूरियम ग्लेडियोलस, डेहलिया, झरबेरा

● पुष्प का सबसे बड़ा उत्पादक देश नीदरलैण्ड है।

● भारत विश्व का सर्वाधिक खुला फूल (Loose flower) उत्पादक देश है।

● भारत में सर्वाधिक खुला फूल (Loose flower) उत्पादक राज्य तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश है।

● भारत में सर्वाधिक कतरे फूल (Cut flower) उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक है।

● पुष्पोत्पादन में क्षेत्रफल की दृष्टि से जम्मू एवं कश्मीर, केरल एवं तमिलनाडू अग्रणीय है।

● विश्व में कतरे फूल (Cut flower) निर्यातक राष्ट्र नीदरलैण्ड है।

● विश्व में पुष्पोत्पादन में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का प्रथम स्थान है।

● विश्व में सर्वाधिक पुष्पायतक में जर्मनी एवं यू.एस.ए. है।

● विश्व में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक पुष्पों की खपत स्वीट्जरलैण्ड में है।

● विश्व में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक पुष्पों की खपत स्वीट्जरलैण्ड में है।

● अन्तराष्ट्रीय फूल मंडी अलसमीर (नीदरलैण्ड) है।

● भारत में सर्वाधिक मात्रा में गेन्दा का उत्पादन होता है।

गुलाब

·  वानस्पतिक नाम – रोजा स्पि.

·  कुल – रोजेसी

·  उत्पत्ति स्थल – भारत

·  गुणसूत्र संख्या – 2n = 14

· इंग्लैंड, ईरान व U.K का राष्ट्रीय फूल है

· गुलाब को फूलों का राजा कहते हैं यह मानव जाति के लिए प्यार व स्नेह का प्रतीक है।

· गुलाब के खेत को रोजरी कहते हैं।

· गुलाब की खेती करने वाले को रोजेरियन कहते हैं।

· गुलाब के फल को हिप्स कहते हैं।

· इसमें विटामिन C की मात्रा 100 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाई जाती है।

· गुलाब के फल में पाए जाने वाले बीजों को एसेंस कहते हैं।

· गुलाब का विश्व में सबसे बड़ा उद्यान अल्फा उद्यान ब्रिटेन में हैं।

· एशिया का सबसे बड़ा गार्डन जाकिर हुसैन रोज गार्डन चंडीगढ़ (हरियाणा) में स्थित है

· भारत में फूलों के अंतर्गत सर्वाधिक उत्पादन गुलाब का होता है तथा राजस्थान में भी फूलों के अंतर्गत सर्वाधिक उत्पादन गुलाब का होता है।

· भारत में सर्वाधिक गुलाब का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है।

· राजस्थान में गुलाब का सर्वाधिक उत्पादन अजमेर में होता है।

· गुलाब मंडी पुष्कर अजमेर में है।

· गुलाब की विश्व में 120 जातियाँ पाई जाती है।

· गुलाब में सुगंध पॉलीजीन द्वारा नियंत्रित होती है।

· गुलाब का रंग एन्थोसाइनीन के कारण होता है –

 1. नारंगी लाल से लाल रंग – पेलार्गोनिडिन (Pelargonidin)

 2. क्रिमसन से नीला रंग – सायनाइडिन (Cyandin)

 3. नीला से बैंगनी – डेल्फिनिडिन (Delphinidin)

 4. पीला रंग – चाल्कोन्स (Chalcones)

महत्त्वपूर्ण गुलाब की स्पी.:-

 1. छोटे गुलाब (Miniature rose) को बेबी गुलाब या परी गुलाब कहा जाता है।

 2. फ्लोरिबेंडा को हाइब्रिड पॉलिएन्था कहा जाता है।

जलवायु:-

· गुलाब शीतोष्ण जलवायु का पौधा है लेकिन यह बहुत कठोर स्वभाव का होता है इसलिए इसे उष्ण व उपोष्ण सभी प्रकार की जलवायु में लगाया जा सकता है।

· Bud union के लिए उपयुक्त तापमान:- 10-25°C

· गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त तापमान:- 15.5°C

मृदा:-

· दोमट मि‌ट्‌टी, उपयुक्त pH मान 6.5-7.5 होता है।

प्रवर्धन:-

· वृद्धि नियामक:- IBA/NAA जड़ों की वृद्धि को बढ़ाता है।

· कलम को उगाने का उपयुक्त समय:- जून से नवंबर

· उत्तरी भारत में बडिंग के लिए उपयुक्त समय:- दिसंबर से फरवरी

· उत्तरी भारत में पौधरोपण का उपयुक्त समय:- मध्य अक्टूबर

समूहप्रवर्धन
व्यावसायिक प्रवर्द्धनT बडिंग
छोटा गुलाबSemi hard or hard stem cutting
हाइब्रिड टी और फ्लोरिबेंडा रोजT बडिंग
भारत में गुलाब के मूलवृन्त का उपयोगStem cutting
R. nitida, R. blanda, R. VirginiaRoot cutting

गुलाब के लिए उपयुक्त मूलवृन्त:-

PurposeRoot Stock
उत्तरी भारत की लोकप्रिय मूलवृन्त पाउडरी मिल्ड्यू और अधिक pH मृदा के प्रति सहिष्णुरोजा इंडिका var. ओडोराटा
तटीय क्षेत्र के लिए सामान्य मूलवृन्तरोजा मल्टीफ्लोरा
एडवर्ड रोज का सामान्य मूलवृन्तरोजा बोर्बोनियाना अथवा इंडिका (उत्तरी क्षेत्र में)
भारी मृदा और सूखा प्रतिरोधीरोजा कनीना (Rosa canina)
निमेटोड प्रतिरोधीरोजा मल्टीफ्लोरा

प्रूनिंग का समय:-

रोजअक्टूबर के दूसरे व तीसरे सप्ताह में
उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्र मेंअक्टूबर-नवंबर
व्यावसायिक उद्देश्य से23 सितंबर से 16 अक्टूबर

प्रूनिंग का प्रकार:-

समूहप्रूनिंग का प्रकार
हाइब्रिड टीHard pruning
फ्लोरिबेन्डाModerate light Pruning
PloyanthaLittle or no Pruning
MiniatureNo pruning

डिसबडिंग/Disbudding:-

· कट फूल उत्पादन के लिए डिश बोर्डिंग की क्रिया की जाती है।

पिंचिंग/Pinching:-

· खुले फूल उत्पादन के लिए पिंचिंग की क्रिया की जाती है।

उत्पादन:-

· Loose Flower:- 2.5-3.0 t/ha

· Cut Flower:- 2.5-3.0 लाख फूल/ha

मुख्य कीट:-

· मोयला, स्केल किट, थ्रिप्स

मुख्य रोग:-

· चूर्णी फफूंद (Powdery Mildew), श्याम वर्ण रोग (Anthracnose)

मुख्य कायिकीय विकार:-

· उल्टा सूखा रोग/Die back:- यह कॉपर की कमी के कारण होता है।

· लिम्प नेक

· बलुइन्ग ऑफ रोज

गुलाब की मुख्य जातियाँ:-

सामान्य नामवानस्पतिक नाम
पीला गुलाबरोजा फोएटिडा
एडवर्ड रोजरोजा बोर्बोनियाना
डॉग रोजरोजा कैनाइन (Rose canina)
ग्रीन रोजR. Chinensis viridiflora
चायना रोजR. Chinesis
Musk RoseRosa Moschata

अन्य किस्में:-

· सफेद:- तुषार, वीगो, स्वामी विवेकानंद, डॉ. होमी बाबा

· गुलाबी:- कॉन्फिडेंस, फर्स्ट प्राइज, मिशेल मेलेन्ड

· पिली:- गोल्डन जॉइंट, मेक-ग्रेडी सन-सेट, रंभा, गरनेडा, ग्रेंड मेरी जेनी, किंग रैनसम

· लाल:- एवन, क्रिश्चियन डायर, एलेक्स रेड क्रिसमन ग्लोरी, मिस्टर लिंकन, ओकलाहोमा, कालिमा, लालबहादुर, भीम एलेक्स रेड, हेपिने।

· नीला रंग:- ब्ल्यूमून, लेडी एक्स, अफ्रीका स्टार।

· मिश्रित रंग:- बजाजो (लाल-भूरा सफेद), फ्लेमिंग सनसेट (गहरा नारंगी पीला), अकेबानो (पीला-लाल)

10. फ्लोरिबण्डा:- संकर ‘टी’ रोज और बौनापोलिएंथा के संकरण से तैयार की गयी है।

· इसमें फूल गुच्छे में आते हैं।

किस्में:-

· सफेद:- हिमांगिनी, आइस बर्ग, तुहिन, समरसनो

· गुलाबी:- डेल्ही प्रिसेंज, क्वीन एलिजाबेथ, प्रेमा

· सिंदूरी:- शोला, जेम्बारा, सिंडिपेंडस

· लाल:- बंजारन, देवदासी

· पीला:- आर्थर-वेल

· मिश्रित रंग:- प्रिया, एजिलफेस, लेवेंडर-प्रिंसेज

11. पोलिएंथा:- यह हाइब्रिड ‘टी’ रोज और फ्लोरिबण्डा के संकरण से तैयार की गयी है।

IARI द्वारा विकसित किस्में:-

· पूसा शताब्दी, पूसा अजय, पूसा मोहित, पूसा अरुण, पूसा कोमल, पूसा रंजना, पूसा अभिषेक

हाइब्रिड टी की किस्में:-

· पूसा बहादुर, पूसा महक, पूसा गरिमा, पूसा गौरव, पूसा प्रिया

महत्वपूर्ण बिंदु:-

· गुलाब के 1 लीटर तेल निकालने के लिए 3-3.5 टन फूलों की आवश्यकता होती है।

· गुलाब की फर्स्ट रेड किस्म को सर्वाधिक पॉली हॉउस व ग्रीन हॉउस में लगाते हैं।

· गुलाब में लाल रंग एन्थोसाइनिन के कारण तथा नीला रंग डेलफोडिन के कारण होता है।

· गुलाब की नीले रंग की किस्म शाम्भा है।

· डॉ. बी के रॉय चौधरी गुलाब के प्रथम पादप प्रजनक थे।

· डॉ. बी पी पॉल ने गुलाब की अनेकों किस्में विकसित की थी जिनमें से प्रसिद्ध किस्म रोजा शर्बत है।

· गुलाब की कांटे रहित किस्में:- पूसा मोहित, ग्रांडगाला, सुचित्रा आदि।

· गुलाब की उत्परिवर्तन द्वारा तैयार किस्में:- अभिसारिका, प्रिया, मदहोश, मोहिनी, पूसा, मनसाज, पूसा, मोहित, पैराडाइज आदि।

· गुलाब की टोपाज किस्म चूर्णी फफूँद रोग के प्रतिरोधी किस्म है।

· गुलकंद बनाते समय गुलाब के दलपुंज तथा चीनी का अनुपात 1:1 रखा जाता है।

· International registration authority of rose (IRAR) USA

· National registration authority of rose (NRAR)-New delhi

· The rose society of india located at new delhi

· Rose in india पुस्तक के लेखक :- डॉ. बी.पी. पाल

· Survey of rose breeding पुस्तक के लेखक:- डॉ. बी.पी. पाल

· भारत में महत्वपूर्ण रोज ब्रीडर (Rose breeder):- B.P. pal, S.C. Dey, J.P. Agarwal, A.P. Singh

गुलदाऊदी

· अन्य नाम – Glory of East/Queen of the East/National Flower of Japan

·  वानस्पतिक नाम – Dendranthema grandiflora

·  कुल – कम्पोजिटी/Asteraceae

·  उत्पत्ति स्थल – यूरोप और एशिया

·  गुणसूत्र संख्या – 2n = 36

· गुलदाऊदी को जापान का शाही फूल कहते हैं।

· गुलदाऊदी लघु दिवस पादप है।

· पुष्पक्रम – Capitulm

· विश्व में उगाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा Cut Flower है।

· गुलदाऊदी का उपयोग लूज फूल व कट फूल उत्पादन में किया जाता है।

· गुलदाऊदी में फूल अनेकों रंग में पाए जाते हैं।

जलवायु:-

· गुलदाऊदी उष्ण व उपोषण जलवायु की फसल है।

· इसके लिए उपयुक्त तापमान 15.6°C व आपेक्षिक आर्द्रता 70-90 प्रतिशत होनी चाहिए।

मृदा:-

· दोमट मृदा

· उपयुक्त pH मान:- 6.5

किस्में:-

· बड़े फूल वाली किस्में:- सनो बॉल, सोनार बांग्ला, चन्द्रमा, घेंघिस खान, Graoe bowl, क्रेओटा, डेरोथन, सिटी ब्यूटी, स्वीट हार्ट, Rirpasi Bangla, Bidhan’s best, महात्मा गाँधी आदि।

· छोटी फूल वाली किस्में:- कार्डिनल, चैयरमेन, Junta Wells, फ्लर्ट, मनभावन, अरेटिक, ब्लू चिप, जुबली, अलंकार, Calebcox, Camoo, Dandy, Eve, Nanako आदि।

· नई किस्में:- शांति, सद्भावना, Y2K, कारगिल 99, PKV शुभरन

· No Pinch No Stake varieties – अरुणा सागर, हेमंत सिंगर

IIHR द्वारा विकसित की गई किस्में:-

· अर्का स्वर्णा, अर्का गंगा, चन्द्रक्रांति, कीर्ति, पंकज, इन्द्रा, अर्का पिंक स्टार, येलो गोल्ड, येलो स्टार, रेड गोल्ड, राखी, ऊषा किरण

IARI द्वारा विकसित की गई किस्में:-

· पूसा अनमोल, पूसा अजय, पूसा आदित्य।

प्रवर्धन:-

· गुलदाऊदी में शीर्ष कलम तथा सकर्स द्वारा प्रवर्धन किया जाता है।

प्रवर्धन व रोपाई के लिए उपयुक्त समय:-

· जून-जुलाई

पिंचिंग:-

· रोपाई के 14-21 दिनों बाद पिंचिंग की क्रिया करते हैं।

· पिंचिंग का मुख्य उद्देश्य पौधों की वृद्धि को रोकना तथा पार्श्व वृद्धि को बढ़ाना है।

डिसकरिंग:-

· गुलदाऊदी में अतिरिक्त सकर्स को हटाना डिसकरिंग कहलाता है।

· Disboding से पौधे की शाखाओं की वृद्धि को कम किया जाता है तथा तने की मोटाई को बढ़ाया जाता है इसके लिए SADH@2000-4000 PPM उपयोग में लेते हैं।

· डिसबडिंग अक्टूबर माह में की जाती है।

· गुलदाऊदी के लिए सबसे प्रभावी बायोसाइड सिल्वर नाइट्रेट (AgNo3)@25 PPM

फूल आने का समय:-

· दक्षिण भारत में जुलाई-जनवरी

· उत्तरी भारत में नवम्बर-जनवरी

तुड़ाई की अवस्था:-

· अक्टूबर से दिसंबर

खाद व उर्वरक:-

· FYM:- 20t/ha

· N:- 200kg/ha

· P2O5:- 200kg/ha

· K2O:- 200kg/ha

उपज:-

· लूज फ्लावर:- 20 टन प्रति हैक्टेर

· कट फ्लावर:- 2 से 3 लाख प्रति हेक्टेयर

मुख्य कीट:-

· एफिड

मुख्य रोग:-

· चूर्णी फफूँद

गेंदा

अफ्रीकन गेंदा:-

·  वानस्पतिक नाम – टेगटस इरक्टा

·  गुणसूत्र संख्या – 2n = 2x = 24 (डिप्लोयड)

फ्रेंच गेंदा:-

· वानस्पतिक नाम – टेगेटस पेचुला

·  गुणसूत्र संख्या – 2n = 4x = 48 (टेट्राफ्लोएड)

·  कुल – कम्पोजिटी

·  उत्पत्ति स्थल – मैक्सिको

· अफ्रीकन गेंदे को भारत का गुलाब कहते हैं।

· राजस्थान तथा भारत में गुलाब के बाद सर्वाधिक गेंदे का होता है।

· गेंदे को सोलेनेसी कुल की फसलों के चारों ओर सूत्रकृमि से बचाव करने के लिए ट्रैप क्रॉप (फांस फसल) के रूप में लगाया जाता है।

· अफ्रीकी गेंदें की सूखी पंखुड़ियों में जियाजेन्थिन और जेन्थोफिल अधिक मात्रा में पाया जाता है जो मुर्गी के अण्डे में पीलापन बढ़ाने में सहायक है।

· अफ्रीकन गेंदा Carotenoids व Lutein का मुख्य स्रोत है।

· गेंदे को सुरक्षा फसलों के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह निमोटोड की संख्या को कम करता है।

· गेंदे में अल्फा-टेरथिएनाइल (Alpha-terthienyl) नामक पदार्थ का उत्पादन करता है। यह रूट नॉट निमेटोड की संख्या को कम करता है।

· ताजे व परिपक्व फूलों में तेल की मात्रा 1.25 प्रतिशत होती है।

जलवायु:-

· उष्ण व उपोष्ण जलवायु।

· बीज अंकुरण के लिए उपयुक्त तापमान 18-30°C होता है।

प्रवर्धन:-

· बीज द्वारा

बीज दर:-

· 1.5 किलो प्रति हेक्टेयर

· गेंदा दिवस निष्प्रभावी पौधा है जिसे तीनों मौसम में लगाया जा सकता है।

फूल आने का समयबुआई का समयपौध स्थानांतरण का समय
वर्षाकालीनमध्य जूनमध्य जुलाई
शीतकालीनमध्य सितम्बरमध्य अक्टूबर
ग्रीष्मकालीनजनवरी-फरवरीफरवरी-मार्च

पौध रोपण दूरी:-

· अफ्रीका गेंदा:- 40 × 30 सेमी.

· फ्रेंच गेंदा:- 30 × 30 सेमी.

· गेंदे की बोनी जातियाँ:- 30 × 20 सेमी.

खाद व उर्वरक:-

· FYM:- 20-25t/ha

· N:- 100kg/ha

· P2O5:- 75kg/ha

· K2O:- 75kg/ha

पिंचिंग:-

· गेंदे में बुवाई किए 40 दिन बाद पिंचिंग की क्रिया की जाती है।

किस्में:-

अफ्रीकन गेंदा:-

· पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बासमती गेंदा, पूसा बहार (Yellow colour), MDU-1, क्रेकर जेक, क्लाइमेक्स (1st F1 Hybrid), फायर ग्लो, गोल्डन जुबली, यलो फल्फी, गोल्डन एज।

फ्रेंच गेंदा:-

· स्टार ऑफ इंडिया, रस्टी रेड, बटरस्कॉच, वेलेंसिया, रेड बार्केट, गोल्डी रस्टी रेड, लेमन जेम, लेमन ड्रॉप्स, रेड चेरी, बोनन्जा फ्लेम, येलो बॉय, गोल्डन बॉय, हनी कॉम्ब स्कारलेट, सोफिया, क्वीन सोफिया

IIHR द्वारा विकसित किस्म:-

· अर्का अलंकार (Yellow colour), अर्का अग्नि (Orange Colour)

अंतर्जातीय संकर किस्में:-

· पूसा शंकर, पूसा शंकर-1, नुगत, Red and Gold, Red 1 सेवन स्टार और शो बॉट

उपज:-

· अफ्रीकन गेंदा – 11-18 टन प्रति हेक्टेयर

· फ्रेंच गेंदा – 8-12 टन प्रति हेक्टेयर

मुख्य रोग:-

· आर्द्र गलन (Rhizoctonia solani)

· कॉलर रोट (पायथियम स्पी. पायथियम स्पी. और स्क्लेरोटियम रॉल्फसि)

· अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा रोग (अल्टेरनेरिया टैगेटिका)

· बोट्रीटीस पुष्प झुलसा रोग (बोट्रीटीस सिनेरेआ)

मुख्य कीट:-

· रेड स्पाइडर माइट

· हेयरी केटरपिलर

· एफिड

· लीफ हॉपर

ग्लेडियोलस

·  वानस्पतिक नाम – ग्लेडीओलस ग्रैंडिफ्लोरैस

·  कुल – इरिडेसी

·  उत्पत्ति स्थल – अफ्रीका और एशिया (डिप्लोइड) यूरोप (टेट्राप्लाइड)

·  गुणसूत्र संख्या – 2n = 30, 2n = 4x = 60

· पुष्प क्रम का प्रकार – स्पाईक

परिचय:-

· ग्लेडियोलस का नाम लैटिन शब्द “ग्लैडीस” से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ तलवार है, इसकी पत्तियों का आकार तलवार की तरह होता है। इसे ‘Sword lily’ भी कहते हैं।

· ग्लेडियोलस बल्ब्स सजावटी पौधों की रानी के रूप में जाना जाता है।

· अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में ग्लेडियोलस cut flower का 4th स्थान है।

· इसका उपयोग कट फ्लावर, सजावट आदि में किया जाता है।

· घनकंद में विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पायी जाती हैं।

· घनकंद की प्रसुप्ति जानने के लिए Tetrazolium परीक्षण किया जाता है।

जलवायु:-

· उपोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु परिस्थितियाँ उपयुक्त है, लेकिन इसकी खेती उष्ण में भी की जाती है। 27 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त है। यह Long Day Plant है।

मिट्टी:-

· ग्लेडियोलस को सभी प्रकार की मृदाओं में लगाया जा सकता है लेकिन हल्की दोमट से क्ले दोमट मिट्टी जिसका pH मान 5.5 से 6.5 उपयुक्त होती है।

किस्में:-

· कुम-कुम:- Fusarium विल्ट के प्रतिरोधी

· धीरज:- Fusarium विल्ट के प्रतिरोधी

· कार्टगो, यूरोविजन, प्रिस्किला, स्पेक, एंड स्पैन, नोवा, पीटर, पियर्स, मयूर, अमेरिकन ब्यूटी, सिल्विया, रेड ब्यूटी, हर मैजेस्टी और पुखराज।

· IARI, नई दिल्ली से विकसित किस्में:- पूसा मनमोहक, पूसा रेड वैलेंटाइन, पूसा विदुशी, अग्निरेखा, अंजली, अर्चना, बिंदिया, चंदनी, चिराग, धनवंतती, गुलाल, गुंजन, कामिनी, मयूर, नीलम, नीलकंठ, नूपुर, पूसा किरण, पूसा शुभम, पूसा सुहागिन, रंगमहल, शबनम, संजीवनी, सारंग, श्वेता, सुचित्रा, सुकन्या, सुनयना, स्वप्नील, स्वर्णिम, उर्मिल और वंदना।

· IIHR, बेंगलुरु से विकसित किस्में:- अर्का नवीन, अरका गोल्ड, अर्का अमर, अर्का केसर, आरती, अप्सरा, दर्शन, धीरज (Fusarium विल्ट के प्रतिरोधी), कुम कुम, मीरा, नजराना, पूनम, सागर, सपना, शक्ति, सिंदूर और शोभा (उत्परिवर्ती)

रंगकिस्म
गुलाबीफ्रेंडसीप, माई लव
ओरेंजऑटम गोल्ड, कॉरल सी
लालब्लैक प्राइम, हन्टिग सॉन्ग, विक्टोरिया
पीलाफॉक सॉन्ग, गोल्डन हार्वेस्ट, गोल्डन पिच
सफेदफ्रेंडसिप
पर्पलपूसा सांरग, पूसा सिगारिका, ब्लू मून, म्यूर

प्रवर्धन:-

· ग्लेडियोलस का प्रवर्धन घनकंद के द्वारा होता है। एक हेक्टेयर के लिए 4-5 सेंटीमीटर व्यास के 150000 से 160000 घनकन्द की आवश्यकता होती है।

ग्लेडियोलस में सुषुप्त अवस्था को तोड़ने की विधि:-

· ग्लेडियोलस में घनकंद की सुसुप्ता अवस्था तोड़ने के लिए इथ्रेल (1000 ppm) या जिब्बेलिक अम्ल (100-500ppm) का उपयोग करते है। 

रोपण दूरी:-

· 30 × 20cm

रोपण गहराई:-

· 30 सेंटीमीटर

रोपण समय:-

· Long Day Plant है तथा इसकी रोपाई नवंबर माह में की जाती है।

खाद व उर्वरक:-

· FYM:- 20-25t/ha

· N:- 100-120kg/ha

· P2O5:- 120kg/ha

· K2O:- 120kg/ha

सिंचाई:-

· मौसम पर निर्भर करते हुए 2.5-5 सेमी. गहराई के 8-12 सिंचाई (7 से 10 दिन के अंतराल) की आवश्यकता होती है। अंकुरित होने के तुरंत बाद और 4-6 पत्ते की अवस्था पानी की कमी के प्रति संवेदनशील होता है।

Earthing up:- Earthing up पौधे की 10-15 सेंटीमीटर ऊँचाई तक पहुँचने पर जब पौधा 4-6 पत्ती अवस्था में होती है तब करनी चाहिए।

सहारा देना/Staking:-

· बाँस या लकड़ी के द्वारा सहारा दिया जाता है।

तुड़ाई की अवस्था:-

· स्थानीय बाजार के लिए पुष्पक्रम के निचले फूल पूर्णतया खिल जाने पर करते हैं।

· दूर बाजार के लिए तुड़ाई जब पुष्पक्रम के निचली कलिका रंग प्रकट (खिलने से पहले) करने पर करते हैं।

उपज:-

· 1.5 लाख स्पाईक/हेक्टेयर

घनकन्द की खुदाई और पैदावार:-

· स्पाईक की तुड़ाई के 30 से 35 दिन बाद घनकंद की खुदाई करते हैं। घनकंद की उपज 40t/ha होती है।

घनकंद का भंडारण:-

· कवक नाशी से उपचारित करके 4-10°C तापमान पर भंडारित करते हैं।

रोग:-

· विल्ट (फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम)

· Common rot

· ब्लाइट

· ब्लू/ग्रे मोल्ड

· लीफ स्पॉट

कीट:-

· एफिड

· थ्रिप्स

· केटरपिलर

2 thoughts on “औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ में सामान्य ज्ञान”

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