- फलोद्यान के स्थ ..
फलोद्यान के स्थान का चुनाव एवं योजना
(i) स्थान का चुनाव – स्थान से तात्पर्य उस जगह से है जहाँ बगीचा स्थापित किया जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें –
1. बगीचे के लिए ऐसी जगह स्थान का चुनाव करें जहाँ पर पहले से उद्यानिकी का कार्य चल रहा हो जिससे समय पर सरकारी जानकारी, संसाधनों की उपलब्धता होती है।
2. परिवहन की पूर्ण व्यवस्था।
3. बगीचा जहाँ तक संभव हो बाजार के आस-पास स्थित होना चाहिए।
4. बगीचे के लिए चयनित स्थान पर रोग/कीटों/व्याधियों का प्रकोप नहीं होना चाहिए (रोग मुक्त स्थान)।
5. बगीचे का निर्माण/स्थान कभी भी औद्योगिक क्षेत्रों के पास नहीं होना चाहिए।
(ii) मृदा – मृदा बगीचे की सफलता का प्रमुख आधार है।
1. मृदा उर्वर, जीवांश खाद्य युक्त होनी चाहिए। मृदा की गहराई दो (2) मीटर से कम नहीं होनी चाहिए अर्थात् पौधों की जड़ों के विकास हेतु उचित मृदा हो। पश्चिमी राजस्थान में CaCO3 कैल्सियम कार्बोनेट मुख्य की सख्त परत पाई जाती है जिसके कारण वहाँ पर उद्यानों की सफलता कम है।
2. उचित जल निकास वाली मृदा होनी चाहिए अन्यथा उद्यान में आर्द्रगलन समस्या हो सकती है।
3. उद्यान के लिए दोमट एवं बलुई दोमट मृदा सर्वोत्तम मानी जाती है।
4. उद्यान के लिए जहाँ तक संभव हो सके उदासीन मृदा अर्थात् pH मान लगभग 7.0 के आस-पास होना चाहिए। अधिक pH वाली मृदाओं में बेर, खजूर, फालसा, लसोड़ा, अनार, आँवला, अमरूद की फसल ले सकते हैं।
(iii) जलवायु – फलों के लिए जलवायु उनको जिस तरीके की आवश्यकता हो वो फलदार पौधे उसी तरीके की जलवायु में लगाया जाना चाहिए। मुख्यत: 1. शीतोष्ण जलवायु 2. उष्ण जलवायु 3. उपोष्ण जलवायु 4. शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु के अनुसार ही पौधों का चयन करें।
(iv) सिंचाई एवं जल निकास की स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए।
(v) फल वृक्षों का चुनाव – मृदा, जलवायु व स्थान की भाँति पौधों का चयन भी एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है जैसे कि उत्तरी राजस्थान के लिए माल्टा एवं अँगूर; दक्षिणी राजस्थान आम, केला, पपीता; इसी प्रकार पूर्वी राजस्थान में अमरूद, आँवला, संतरा; पश्चिमी राजस्थान में बेर, खजूर, लसोड़ा, अनार, फालसा, बेल आदि फल वृक्षों का रोपण किया जा सकता है।
उद्यान के लिए योजना – बगीचा लगाना एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है तथा लंबे समय तक फलोत्पादन मिलता रहता है, जिसके लिए योजना बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखें।
1. बाड़ाबंदी – भूमि के चयन उपरांत एवं फलों के रोपण से पूर्व उद्यान की चारों तरफ बाड़ाबंदी अनिवार्य है।
2. भूमि की तैयारी – भूमि समतल व खरपतवार रहित होनी चाहिए।
3. वायुरोधी वृक्ष – बगीचे को ठण्डी जलवायु व गर्म लू से बचाने हेतु बगीचे के उत्तरी-पश्चिम भाग में वायुरोधी वृक्ष लगाने चाहिए। जैसे – आम, नीम, जामुन, केला।
4. बगीचे में रास्तों की व्यवस्था सुचारू होनी चाहिए।
5. सिंचाई की व्यवस्था – जहाँ तक संभव हो सके उद्यान में ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए। अन्यथा उद्यान के लिए रिंग विधि थाला विधि से सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए।
6. आवास व्यवस्था – आवास हमेशा केंद्र में होना चाहिए तथा कार्यालय प्रवेश द्वार पर होना चाहिए।
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