फल एवं सब्जी परीरक्षण का महत्त्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य
· फल व सब्जियों की गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखने के साथ-साथ सुरक्षित रखना परिरक्षण कहलाता है।
उद्देश्य –
1. सूक्ष्म जीवों को नष्ट करना।
2. सूक्ष्म जीवों की गतिशीलता को रोकना।
3. विनाशकारी घटकों की गतिविधियों को रोकना।
4. फलों-सब्जियों की गुणवत्ता को बनाए रखना।
5. बेमौसमी समय बाजारों में फल-सब्जियों की उपलब्धता।
– फल व सब्जियाँ मुख्य रूप से खमीर (चीष्ट), फंगस व जीवाणुओं की उपस्थिति व क्रियाशीलता से शीघ्र खराब हो जाते हैं।
– फल-परिरक्षण व डिब्बाबंदी (कैनिंग) का जनक निकोलस एपर्ट को माना जाता है।
– परिरक्षण की शुरुआत फ्रांस से मानी जाती है।
– भारत में प्रथम परिरक्षण प्रयोगशाला 1920 में मुंबई में स्थापित हुई।
– भारत में प्रथम फल परिरक्षण कारखाना 1935 में मुंबई में स्थापित हुई।
– केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI) मैसूर (कर्नाटक) 1950 में स्थापित। यह संस्था प्रसंस्करण परिरक्षण से संबंधित अनुसंधान कार्य करती है।
– CIPHET सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी लुधियाना (पंजाब) 1989 स्थापना हुई।
– परिरक्षण पदार्थों से संबंधित कानून फल उत्पाद आदेश FPO-1955
– खाद्य व पोषण बोर्ड की स्थापना -1973
– NIFTEM नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एन्टरप्रयेन्शिप मेनेजमेंट – कुडली/सोनीपत (हरियाणा)-2006
– भारत सरकार ने प्रसंस्करण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2012-23 में राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन की शुरुआत।
– भारत सरकार ने परिरक्षण व प्रसंस्करण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2008-2009 में मेगा फूड पार्क स्कीम की शुरुआत की। राजस्थान में छह मेगा फूड स्थापित होंगे।
– राजस्थान का प्रथम मेगा फूड पार्क रूपनगढ़ (अजमेर) में है। अलवर, जोधपुर, जयपुर, गंगानगर, कोटा।
– राजस्थान का एग्रो फूड पार्क रणपुर (कोटा)।
– भारत में फलों व सब्जियों का लगभग 2-4% भाग ही परिरक्षण में काम लिया जाता है।
– भारत में फलों व सब्जियों का लगभग 25-30% भाग बिना कोई उपयोग किए हुए खराब हो जाता है।
वर्तमान स्थिति:-
· भारत में प्रथम परिरक्षण उद्योगशाला सन् 1920 में (बम्बई) में स्थापित की गई।
· सन् 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम क्रमांक 3 के अंतर्गत फल उत्पाद आदेश (FPO) 1955 स्वीकृत किया गया इसका मुख्य कार्य परिरक्षित पदार्थों की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना तथा उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थ तैयार करना था।
· भारत में फल एवं सब्जी के कुल उत्पादन का मात्र 2% भाग ही परिरक्षण के लिए काम में लिया जाता है।
· विकसित देशों में फल एवं सब्जी के उत्पादन का 70-80% भाग परिरक्षण के लिए काम में लिया जाता है।
भविष्य में स्थिति:-
· वर्तमान में भारत का फल तथा सब्जी उत्पादन में विश्व में चीन के बाद द्वितीय स्थान है।
· उद्यानिकी फसलों की भंडारण क्षमता बहुत कम होती है ये तुड़ाई के पश्चात जल्दी खराब हो जाते हैं।
· लगभग 25-30% फल व सब्जियाँ तुड़ाई के पश्चात बिना उपयोग किए ही खराब हो जाती है।
· भविष्य में खाद्य पदार्थों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए तुड़ाई के उपरांत फल व सब्जियों का प्रबंधन तथा उचित विधियों से परिरक्षण आवश्यक है।
· सत्र 2013-14 में फल का उत्पादन 88.97 मिलियन टन एवं सब्जी का उत्पादन 162 मिलियन टन हुआ था। इसके बाद प्रतिवर्ष उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
महत्त्व:-
1. आर्थिक महत्त्व:-
· ऐसे क्षेत्र जहाँ फल व सब्जियों की पैदावार अधिकता में होती है वहाँ फल परिरक्षण उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं जिससे उपभोक्ताओं को पूरे वर्ष फल व सब्जियाँ उपलब्ध कराई जा सकती है।
2. औद्योगिक महत्त्व:-
· फल परिरक्षण उद्योगों की स्थापना से अन्य क्षेत्र के उद्योगों का भी विकास होता है; जैसे:- फल व सब्जियों को परिरक्षित करने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है व लंबे समय तक भंडारित करने के लिए डिब्बाबंदी की आवश्यकता होती है।
· परिरक्षण उद्योग से जुड़े अन्य उद्योग:- काँच व प्लास्टिक बोतलें, टिन के डिब्बे, शक्कर, रंग व अम्ल आदि।
· परिरक्षण उद्योग में काम करने के लिए विभिन्न मशीनों की आवश्यकता होती है।
3. रोजगार उपलब्धता:-
· फल परिरक्षण उद्योगों की स्थापना से आसपास के क्षेत्र के लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है।
· इस उद्योग के साथ-साथ सहायक उद्योग; जैसे – शक्कर, यातायात उद्योग, पेपर उद्योग, रसायन उद्योग आदि का विकास होता है।
4. परिरक्षित पदार्थों का निर्यात:-
· फल व सब्जी परिरक्षण द्वारा परिरक्षित पदार्थों को विदेश में निर्यात किया जाता है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
5. संतुलित आहार:-
· फलों को परिरक्षित करके विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बनाई जाती है जो मानव स्वास्थ्य के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण है; जैसे:- आँवले का मुरब्बा, कैंडी, जामुन, सिरका, बेल का शरबत आदि।
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