राजस्थान की छतरियाँ

राजस्थान की छतरियाँ

 जसवंतथड़ा

● उपनाम – राजस्थान का ताजमहल।

● महाराजा जसवंतसिंह-द्वितीय की स्मृति में उनके पुत्र महाराजा सरदारसिंह द्वारा 1899 ई. में सफेद संगमरमर से निर्मित भव्य स्मारक।

● यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ हैं।

गोराधाय की छतरी 

● स्थान – जोधपुर

● निर्माता – महाराजा अजीतसिंह

● अपनी धायमाता गोराधाय (मारवाड़ की पन्नाधाय) की स्मृति में निर्मित चार खम्भों की छतरी।

● मारवाड़ का राष्ट्रगान ‘धूसो’ में गोराधाय को समर्पित पंक्तियाँ जोड़ी गई।

सिंघवियों की छतरियाँ  या 20 खम्भों की छतरी

● स्थान – जोधपुर

● नरेश भीमसिंह के सेनापति सिंघवी अखैराज की छतरी प्रमुख है।

● 20 खम्भों की बनी यहाँ की छतरियाँ नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।

 ● अहाड़ा हिगोला की छतरी तथा जैसलमेर रानी की छतरी भी जोधपुर में स्थित है।

राजसिंह चम्पावत की छतरी (18 खम्भों की छतरी)

● स्थान – जोधपुर

मामा-भान्जा की छतरी

● स्थान – जोधपुर दुर्ग

● निर्माता – महाराजा अजीतसिंह

● इसे ‘धन्ना-भींवा की छतरी’ भी कहा जाता है।

 नोट:- 

– मामा-भांजा की मजार :- पल्लू (हनुमानगढ़)।

– मामा-भांजा का मंदिर :- अटरु (बाराँ)।

जोधपुर में रानियों की छतरियाँ

 ● स्थान – पंचकुण्ड, मण्डोर, जोधपुर

 ● यह 49 छतरियों का समूह है। इसमें रानी सूर्यकंवरी की छतरी 32 खम्भों पर स्थित सबसे बड़ी छतरी है।

प्रधानमंत्री की छतरी

● स्थान –  जोधपुर

● निर्माता – महाराजा जसवंतसिंह

● प्रधानमंत्री राजसिंह कूंपावत की स्मृति में इस छतरी का निर्माण करवाया गया।

दीवान दीपचंद की छतरी 

 ● स्थान – कागा (जोधपुर)

ब्राह्मण देवता की छतरी

 ● स्थान – पंचकुण्ड (मण्डोर, जोधपुर) में।

कीरतसिंह सोढ़ा की छतरी

● स्थान – मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) में।

सेनापति की छतरी 

● स्थान – नागौरी गेट, जोधपुर

अजीतसिंह का देवल 

● स्थान – जोधपुर

वीर दुर्गादास की छतरी 

● स्थान – उज्जैन, मध्यप्रदेश

बड़ाबाग की छतरियाँ 

● स्थान – जैसलमेर

● जैसलमेर के भाटी राजपरिवार की छतरियाँ हैं।

● यहाँ सर्वप्रथम शासक रावल जैतसिंह तृतीय की छतरी का निर्माण उनके पुत्र महारावल लूणकरण ने 1528 ई. में करवाया।

देवीकुण्ड की छतरियाँ

● स्थान – बीकानेर

● बीकानेर के राठौड़ राजपरिवार की छतरियाँ है। जहाँ पर राव कल्याणमल से लेकर महाराजा डूंगरसिंह तक की छतरियाँ बनी हुई हैं।

राव जैतसी की छतरी

 ● स्थान – हनुमानगढ़

अमरसिंह की छतरी (16 खम्भों की छतरी) 

● स्थान – नागौर दुर्ग

अप्पाजी सिंधिया की छतरी

 ● स्थान –ताउसर, नागौर

शृंगार चँवरी की छतरी

● स्थान – चित्तौड़ दुर्ग

● यहाँ चार खम्भों की छतरी है।

● जनश्रुति के अनुसार इसी स्थान पर राणा कुम्भा की पुत्री का विवाह हुआ था।

रैदास की छतरी  

● स्थान – चित्तौड़गढ़ दुर्ग

● संत रैदास जी मीराबाई के आध्यात्मिक गुरु थे।

जयमल व कल्ला राठौड़ की छतरी 

● स्थान – चित्तौड़गढ़ दुर्ग

महासतियाँ की छतरियाँ 

● स्थान – आहड़, उदयपुर

● यहाँ पर मेवाड़ के गुहिल राजपरिवार की छतरियाँ हैं।

● यहाँ पर अमर सिंह प्रथम से मेवाड़ के महाराणाओं तक की छतरियाँ हैं।

● महाराणा अमरसिंह प्रथम की छतरी यहाँ स्थित छतरियों में सबसे पुरानी हैं।

राणा सांगा की छतरी

● स्थान – माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)।

● निर्माता – अशोक परमार द्वारा 8 खम्भों पर निर्मित है।

जोधसिंह की छतरी 

● स्थान – बदनौर, भीलवाड़ा

जगन्नाथ कच्छवाहा की छतरी (32 खम्भों की छतरी)

● स्थान – मांडलगढ़ (भीलवाड़ा)

● निर्माता – शाहजहाँ

● यह छतरी हिन्दू व मुस्लिम स्थापत्य का अनूठा उदाहरण है।

राणा प्रताप की छतरी या 8 खम्भों की छतरी

● स्थान – बाण्डोली (उदयपुर)।

● निर्माता – महाराणा अमरसिंह प्रथम

कपूरबाबा की छतरी

● स्थान – जगमंदिर के समीप, उदयपुर

● निर्माता – शाहजहाँ

उड़ना पृथ्वीराज की छतरी (12 खम्भों की छतरी)

● स्थान – कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजसमंद  

● इस छतरी के खम्भों पर विभिन्न प्रकार से नारियों के चित्र अंकित हैं।

चेतक की छतरी

 ● स्थान – बलीचा गाँव, राजसमन्द

नैड़ा की छतरियाँ  या मिश्रजी की छतरी 

 ● स्थान – सरिस्का, अलवर

 ● इन छतरियों की भित्तियों पर दसों अवतारों के साथ सहस्त्रबाहु का परशुराम द्वारा वध, अर्द्धनारीश्वर, समुद्र मंथन, रामलीला के प्रसंग चित्रित किए गए हैं।

 ● यहाँ चित्रकारी ‘कड़ा लिपाई’ विधि के तहत की गई है।

 ● छतरी का स्थापत्य राजपूत शैली के अनुसार है।

टहला की छतरियाँ

●   स्थान – टहला कस्बे, अलवर

● यह छतरियाँ विशेषत: भित्ति चित्रकला की जीती-जागती प्रतिमाएँ हैं। अत: यह छतरियाँ मध्यकालीन स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है।

मूसी महारानी की छतरी (80 खम्भों की छतरी)

● स्थान – अलवर

● निर्माता – महाराजा विनयसिंह।

● यह इंडो-इस्लामिक शैली से निर्मित दो मंजिला छतरी है।

● इस छतरी की पहली मंजिल लाल पत्थर से निर्मित है।

● दूसरी मंजिल श्वेत संगमरमर से निर्मित है। इस छतरी की ऊपरी मंजिल में मुख्य छतरी के अन्दर बने रामायण और महाभारत के भित्ति चित्र संगमरमर पर उत्कीर्ण है।

बख्तावर सिंह की छतरी

● स्थान – अलवर

जैत्रसिंह की छतरी (32 खम्भों की छतरी)

● स्थान – रणथम्भौर, सवाई माधोपुर  

● निर्माता – हम्मीरदेव चौहान

● अन्य नाम – न्याय की छतरी।

● यह छतरी धौलपुर के लाल पत्थर से निर्मित तथा 32 खम्भों पर टिकी है।

कुत्ते की छतरी

● स्थान – रणथम्भौर दुर्ग, सवाई माधोपुर

एक खम्भे की छतरी

● स्थान – रणथम्भौर, सवाई माधोपुर

क्षारबाग (केसरबाग) की छतरियाँ

● स्थान – बूँदी

● बूँदी के हाड़ा राजपरिवार की 66 छतरियाँ का समूह है।

● इनमें से सबसे प्राचीन छतरी ‘राव दूदा’ की एवं सबसे नवीन छतरी ‘महाराव विष्णुसिंह’ की है।

● राव राजा शत्रुशाल की मृत्यु होने पर उनकी 64 रानियों ने यहीं उनकी चिता में आहुति दी थी।

84 खम्भों की छतरी  

● स्थान – देवपुरा, बूँदी 

● निर्माता –  राव राजा अनिरुद्ध सिंह

● धाबाई देवा गुर्जर की स्मृति में वर्ष 1683 ई. में निर्मित तीन मंजिला छतरी 84 खम्भों पर टिकी हुई हैं।

क्षारबाग (छत्रविलास)

● स्थान – कोटा

● कोटा के हाड़ा राजपरिवार की छतरियाँ हैं।

पद्मापीर की छतरी

● स्थान –  कोटा

गुसाइयों की छतरियाँ  

● स्थान – मेड़ गाँव, विराटनगर, जयपुर

● 16वीं व 18वीं सदी में निर्मित तीन छतरियाँ।

राजा मानसिंह की छतरी 

● स्थान – आमेर, जयपुर  

● इस छतरी के चित्र राजस्थान में पाए गए भित्ति चित्रों में से प्राचीनतम (जहाँगीर कालीन) हैं।

गैटोर की छतरियाँ

● स्थान – नाहरगढ़ दुर्ग, जयपुर

● यह छतरियाँ जयपुर के कच्छवाहा  शासकों की है।

● यहाँ पर सवाई राजा जयसिंह द्वितीय से लेकर सवाई राजा माधोसिंह द्वितीय तक के राजाओं और उनके पुत्रों की स्मृति में ये छतरियाँ पंचायतन शैली में निर्मित हैं।

सवाई ईश्वरीसिंह की छतरी  

● स्थान- सिटी पैलेस, जयपुर

● निर्माता – सवाई माधोसिंह प्रथम

महारानी की छतरी  

● स्थान – रामगढ़, जयपुर

सन्तोष बावला की छतरी 

● स्थान – पुष्कर, अजमेर

आँतेड़ की छतरियाँ  

● स्थान – अजमेर

● यह दिगम्बर जैन सम्प्रदाय की छतरियाँ हैं।

रामगोपाल पोद्दार की छतरी

● रामगढ़, शेखावाटी

● यह छतरी शेखावाटी क्षेत्र की सबसे बड़ी छतरी है।

जोगीदास की छतरी  

● स्थान – उदयपुरवाटी, झुंझुनूँ 

 इस छतरी में चित्रकार देवा द्वारा चित्रित भित्ति चित्र शेखावटी के प्राचीनतम भित्ति चित्र है।

राव शेखा की छतरी

● स्थान –परशुरामपुरा, झुंझुनूँ

देवसिंह की छतरी

● स्थान – सीकर,

लक्ष्मणसिंह की छतरी

● स्थान – सीकर

शेखावाटी की अन्य छतरियाँ

● सेठ हरदयाल की छतरी

● कल्याणसिंह की छतरी

● माधोसिंह की छतरी

महाराव बैरिसाल की छतरी

● स्थान – दूधिया तालाब, सिरोही

● इस तालाब के किनारे सिरोही के राजाओं तथा राजपरिवार के सदस्यों की छतरियाँ बनी हुई हैं।

रसिया की छतरी – टोंक।

अकबर की छतरी – बयाना दुर्ग के समीप, भरतपुर

बंजारों की छतरी – लालसोट, दौसा

गंगाबाई की छतरी – गंगापुर, भीलवाड़ा

थानेदार नाथूसिंह की छतरी – शाहबाद, बाराँ

● निर्माता – महाराव उम्मेदसिंह, कोटा

गोपालसिंह की छतरी – करौसससली

सेठों की छतरी – रामगढ़, जयपुर

पालीवालों की छतरियाँ – जैसलमेर

संत पीपाजी की छतरी – गागरोन, झालावाड़

राजपरिवारछतरियाँ
जैसलमेर के भाटी वंशबड़ा बाग की छतरियाँ
जोधपुर के राठौड़ वंश मण्डोर की छतरियाँ
बीकानेर के राठौड़ वंशदेवीकुण्ड की छतरियाँ
बूँदी के हाड़ा चौहान वंशक्षारबाग या केसर बाग की छतरियाँ
कोटा के हाड़ा चौहान वंशक्षारबाग या केसर बाग की छतरियाँ
उदयपुर के गुहिल वंशआहड़ की छतरियाँ
जयपुर के कच्छवाहा वंश गैटोर की छतरियाँ

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