कृषि से संबंधित योजनाएँ (Agriculture related schemes in Rajasthan)

कृषि से संबंधित योजनाएँ

किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC):-

• शुरुआत – अगस्त, 1998 में

• उद्देश्य – कम ब्याज दर पर किसानों को ऋण उपलब्ध करवाना।

• किसानों को 3 लाख रुपये तक का केसीसी ऋण मात्र 7% ब्याज दर पर उलब्ध कराया जाता है। यदि किसान ऋण समय पर जमा करवाता है तो 3% की अतिरिक्त छूट दी जाती है। यह योजना राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बोर्ड (नाबार्ड) द्वारा तैयार की गई।

किसान कॉल सेंटर:-

• यह योजना 21 जनवरी, 2004 को शुरू की गई।

• इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य टेलीफोन कॉल पर किसानों के प्रश्नों का जवाब देना है। ये कॉल सेंटर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 14 विभिन्न स्थानों में कार्यरत हैं।

• ग्यारह अंकों वाला टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 किसान कॉल सेंटर के लिए आवंटित किया गया है। यह नंबर सेवा सभी मोबाइल फोन और निजी सेवा प्रदाताओं सहित दूरसंचार नेटवर्क के लैंडलाइन फोन के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

• किसानों के सवालों के जवाब 22 स्थानीय भाषाओं में दिये जाते हैं।

• कॉल सेंटर सेवाएँ प्रत्येक केसीसी से सप्ताह के सातों दिन पर 6.00 to 10.00 P.M उपलब्ध हैं।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM):-

• सरकार ने बागवानी के क्षेत्र में लोगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2005-2006 मे राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत की थी।

• राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत किसानों को उच्च दामों वाली सब्जियों, फल व फूलों तथा मसालों आदि की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

• सरकार द्वारा इस स्कीम को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बागवानी फसलों को बढ़ावा देना है।

• किसान भाई पारंपरिक खेती की अपेक्षा आधुनिक खेती की तरफ आकर्षित हो सके।

• इस योजना के माध्यम से किसान भाइयों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सिंचाई, नेट हाउस, भंडारण और तार-बंदी आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

• इस मिशन के तहत किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में राज्य सरकार का योगदान 35 से 50 प्रतिशत और शेष राशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।

नोट:-   1 अप्रैल, 2014 से NHM को एकीकृत बागवानी मिशन (MIDH) में शामिल कर दिया गया है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना:-

• केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2007 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का शुभारंभ किया गया था।

• इस योजना के माध्यम से कृषि और संबंधित क्षेत्रों में समग्र विकास को सुनिश्चित किया जाएगा।

• जिसके लिए राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश अपनी कृषि और संबंधित क्षेत्र की विकास गतिविधियों को चुन सकेंगे।

• इस योजना को 11वीं पंचवर्षीय योजना एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में लागू किया गया था।

• 2014-15 तक इस योजना को 100% केंद्रीय सहायता के साथ लागू किया जा रहा था। वर्ष 2015-16 से इस योजना के वित्तपोषण पैटर्न को केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में बाँट दिया गया।

• केंद्र शासित प्रदेशों के लिए इस योजना का फंडिंग पैटर्न 100% अनुदान ही है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन:-

• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’ अक्टूबर, 2007 में प्रारंभ किया गया।

• खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक (वर्ष 2011-12) चावल के उत्पादन में 10 मिलियन टन, गेहूँ के उत्पादन 8 मिलियन टन तथा दाल के उत्पादन 2 मिलियन टन की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था।

• इस मिशन को 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी जारी रखा गया तथा इस योजना हेतु कुल खाद्यान्न उत्पादन में 25 मिलियन टन (10 मिलियन टन चावल, 8 मिलियन टन गेहूँ, 4 मिलियन टन दाल तथा 3 मिलियन टन मोटे अनाज) की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था। 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी इसे जारी रखा गया है।

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA):-

• आत्मा की शुरुआत – 2005

• कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (Agricultural Technology Management Agency / ATMA / आत्मा) एक स्वायत्त पंजीकृत संस्था है जो भारत के विभिन्न जिलों में कृषि एवं सम्बद्ध तकनीकी प्रसार के लिए उत्तरदायी है।

• कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) उन प्रमुख भागीदारी की संस्था है जो जिला स्तर पर कृषि के विकास को स्थायित्व प्रदान करने संबंधी कृषि की गतिविधियों में संलग्न हैं यह कृषि प्रसार एवं अनुसंधान की गतिविधियों के एकीकरण के साथ ही सार्वजनिक कृषि प्रौद्योगिकी व्यवस्था प्रबंधन के विकेन्द्रीकरण की दिशा में किया जाने वाला एक सार्थक प्रयास है।

• आत्मा के कार्यक्रम:-

1. कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम।

2. अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम।

3. कृषक वैज्ञानिक मिलन।

4. किसान मेले का आयोजन।

5. ‘कृषक गोष्ठी’ एवं ‘क्षेत्र दिवस’ का आयोजन।

6. कृषकों की दक्षता-विकास हेतु भ्रमण का आयोजन।

7. उपयोगी कृषि-साहित्य का प्रकाशन।

8. कृषक हितार्थी समूहों का गठन एवं क्षमता संवर्द्धन।

9. कृषि के सर्वांगीण विकास हेतु निजी क्षेत्रों की भागीदारी बढाना।

10. कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन करना।

11. फार्म स्कूल की स्थापना।

12. कृषि से संबद्ध सफलता की कहानियों का प्रकाशन एवं प्रसार।

13. अनुसंधान-प्रसार-कृषक-बाजार कड़ी के सबलीकरण की दिशा में कदम उठाना।

परंपरागत कृषि विकास योजना:-

• शुरुआत – जनवरी, 2016 में

• परंपरागत कृषि विकास योजना को सॉइल हेल्थ योजना के अंतर्गत आरंभ किया गया है। इस योजना के माध्यम से जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है।

• इसके लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जैविक खेती के स्थाई मॉडल का विकसित किया जाएगा।

• परंपरागत कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है।

• पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती सेहत के लिए लाभकारी होती है। जैविक खेती में कम कीटनाशकों का उपयोग होता है।

• इसके अलावा जैविक खेती भूजल और सतह के पानी में नाइट्रेट की लीचिंग को भी कम करती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:-

• कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी, 1965 में अस्तित्व में आया।

• MSP फसल बुआई से पूर्व घोषित की जाती है।

• MSP की घोषणा CACP की सिफारिश पर केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) करती है।

• न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 23 फसलों के लिए लागू की जाती है।

• 7 अनाज वाली फसलें – धान, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी

• 5 दालें वाली फसलें – चना, अरहर, मूँग, उड़द, मसूर

• 7 तिलहनी फसलें – मूँगफली, सरसों, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, नाइगर

• 4 वाणिज्यिक फसलें – खोपरा, गन्ना, कपास और कच्ची जूट।

विपणन सीजन, 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन  मूल्य (MSP)

फसल2022-23 के लिए MSP (रुपये प्रति क्विंटल)2023-24 के लिए MSP (रुपये प्रति क्विंटल)MSP में वृद्धि ( रुपये में)लागत पर मुनाफा (प्रतिशत में)
धान (सामान्य)2040218314350
धान (ग्रेड ए)20602203143
ज्वार (हाइब्रिड)2970318021050
ज्वार (मालदंडी)29903225235
बाजरा2350250015082
रागी3578384626850
मक्का1962209012850
तूर (अरहर)6600700040058
मूँग7755855880350
उड़द6600695035051
मूँगफली5850637752750
सूरजमुखी बीज6400676036050
सोयाबीन (पीला)4300460030052
तिल7830863580550
रामतिल7287773444750
कपास (मध्यम रेशा)6080662054050
कपास (लंबा रेशा)63807020640

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना :-

• यह योजना 1 जुलाई, 2015 से प्रारंभ की गई। इसके अन्तर्गत पहले से चल रही सिंचाई योजनाओं, जैसे – त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, समन्वित जलसंभर प्रबंधन कार्यक्रम तथा खेत में जल प्रबंधन को समन्वित कर दिया गया है।

• इसका उद्देश्य, समुचित प्रौद्योगिकी एवं पद्धति के माध्यम से जल का दक्ष उपयोग एवं क्षेत्रीय स्तर पर सिंचाई में निवेश सहबद्धता को प्रोत्साहित करना है।

• इस योजना के अन्तर्गत 5 वर्षों (2015-16 से 2019-20) के दौरान 50,000 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया।

  बजट 2018- 19 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत 9429 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया।

  इस योजना में केन्द्र एवं राज्यों के व्यय का अनुपात 75:25 है जबकि विशेष दर्जा  प्राप्त राज्यों (उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों) में यह अनुपात 90:10 है।

• जल शक्ति मंत्रालय ने वर्ष 2020 में PMKSY के तहत परियोजनाओं के घटकों की जियो-टैगिंग हेतु एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया।

• इस योजना में 2 स्लोगन दिए गए हैं–

1. हर खेत को पानी

2. मोर क्रॉप पर ड्रॉप

कृषि अवसंरचना कोष :-

• इसे 2020 में कोविड-19 संकट के विरुद्ध प्रोत्साहन पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ रुपये की घोषणा के साथ शुरू किया गया।

• उद्देश्य:  फसल उपरांत बुनियादी ढाँचा प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश हेतु मध्यम-लंबी अवधि के ऋण वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करना।

• केंद्र / राज्य / स्थानीय निकायों द्वारा प्रायोजित फसल एकत्रीकरण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) परियोजनाओं के अलावा कोल्ड स्टोर, चेन वेयरहाउसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों, ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े ई-मार्केटिंग पॉइंट्स की स्थापना के लिए धन उपलब्ध करवाया जाएगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

• प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 18 फरवरी, 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया गया था।

• इसके अन्तर्गत सभी प्रकार की फसलों (रबी, खरीफ, वाणिज्यिक और बागवानी की फसलें) को शामिल किया गया है।

• खरीफ (धान या चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि) की फसलों के लिए 2% प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।

• रबी फसल के लिए 1.5% प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।

• वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के बीमा के लिए 5% प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।

• सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि बचा हुआ प्रीमियम 90% या उससे कम होता है, तो ये सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

• प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत, आने वाले 3 वर्षों में सरकार द्वारा 8,000 करोड़ रुपये व्यय करने के साथ ही 50%  किसानों को बीमा योजना में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।

ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) :-

• e-NAM एकीकृत बाजार प्रणाली है। जिसका प्रारंभ प्रधानमंत्री के द्वारा 14 अप्रैल, 2016 को किया गया।

• उद्देश्य – कृषि उपज की ऑनलाइन ब्रिकी से संबंधित है।

• इस बाजार के माध्यम से अब तक देश की 1000 प्रमुख मंडियाँ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपस में जुड़ गई हैं।

• इसके माध्यम से कृषि अवसंरचना कोष की सुविधा भी प्रदान की जाएगी जिससे आधारभूत संरचना का विकास होगा।

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

• प्रधानमंत्री ने 12 सितंबर, 2019 को झारखण्ड की राजधानी राँची से प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का शुभारंभ किया।

इस योजना के अन्तर्गत 60 वर्ष की आयु के बाद किसानों को 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जाएगी।

• इस योजना में 18-40 वर्ष के बीच की आयु के सीमांत एवं लघु कृषकों (2 हेक्टेयर भूमि) को शामिल किया जाएगा।

• इस योजना में 18 वर्ष की आयु के कृषकों को 55 रुपये प्रतिमाह तथा 40 वर्ष की आयु के कृषकों को 200 रुपये प्रतिमाह प्रीमियम देना होगा तथा इतनी ही राशि का केन्द्र सरकार भी योगदान करेगी।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना :-

• यह योजना 01 दिसम्बर, 2018 से प्रभावी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 फरवरी, 2019 को औपाचारिक रूप में गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से लागू किया गया।

• यह योजना 100 प्रतिशत केन्द्र सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजना है।

• इस योजना में 2000 रुपये की तीन समान किस्तों में 6000 रुपये नकद प्रदान कराने का प्रावधान है।

• इस योजना के अंतर्गत, प्राप्त राशि लाभार्थियों बैंक खातों में भेजी जाती है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना :-

• शुरुआत – 17 फरवरी, 2015

• इस योजना की शुरुआत राजस्थान के सूरतगढ़ जिले से हुई।

• उद्देश्य – मृदा परीक्षण द्वारा उर्वरकों की संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना है।

• इस योजना के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया जाता है।

• थीम – स्वस्थ धरा, खेत हरा

ऑपरेशन ग्रीन :-

• टमाटर, आलू, प्याज (TOP) की बढ़ती हुई कीमतों में स्थिरता लाने के लिए ऑपरेशन ग्रीन नामक योजना लागू की गई।

प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना:-

• प्रधानमंत्री ने 17 अक्टूबर, 2022 को प्रधान मंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना – वन नेशन वन फर्टिलाइजर का शुभारंभ किया।

• योजना के तहत, प्रधानमंत्री भारत यूरिया बैग लॉन्च करेंगे, जो कंपनियों को एकल ब्रांड नाम ‘भारत’ के तहत उर्वरक बाजार में मदद करेगा।

• योजना के तहत, सभी उर्वरक कंपनियों, राज्य व्यापार संस्थाओं (STE) और उर्वरक विपणन संस्थाओं (FME) को PMBJP के तहत उर्वरकों और लोगो के लिए एकल “भारत” ब्रांड का उपयोग करने की आवश्यकता होगी।

• सभी रियायती उर्वरक – यूरिया, डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) और एनपीके – पूरे देश में एकल ब्रांड भारत के तहत विपणन किया जाएगा।

• इस योजना के लॉन्च के साथ, भारत में भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी, भारत एनपीके आदि जैसे बैग डिजाइन पूरे देश में होंगे।

• नया “भारत” ब्रांड नाम और PMBJP लोगो उर्वरक पैकेट के सामने के दो-तिहाई हिस्से को कवर करेगा।

• निर्माता ब्रांड शेष एक-तिहाई स्थान पर केवल अपना नाम, लोगो और अन्य जानकारी प्रदर्शित कर सकते हैं।

मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH):-

•शुरुआत – 1 अप्रैल, 2014

• फलों, सब्जियों, जड़ और कंद फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको और बांस को कवर करने वाले बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

• MIDH के तहत, भारत सरकार (GOI) उत्तर पूर्व और हिमालय के राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में विकास कार्यक्रमों के लिए कुल परिव्यय का 60% योगदान देती है, 40% हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा योगदान दिया जाता है।

• उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों के मामले में, भारत सरकार का 90% योगदान है।

• मिशन के घटक के रूप में निम्नलिखित उप-योजनाएँ हैं :-

          • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)

          • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (HMNEH)

          • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB)

          • नारियल विकास बोर्ड (CDB)

          • केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH), नागालैंड।

• राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) की स्थापना 1984 में भारत सरकार द्वारा सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक स्वायत्त समाज के रूप में की गई थी।

• नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड का मुख्यालय – गुड़गाँव (हरियाणा)

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