राजस्थान की मृदाएँ ( Soils of Rajasthan )

राजस्थान की मृदाएँ
· राजस्थान की मृदाओं को उनकी विशेषताओं, प्रधानता, उपलब्धता तथा उर्वरता के आधार पर 8 प्रकारों में बाँटा गया है–
1. रेतीली या बलुई मिट्टी (Sandy soil):-
· राजस्थान के सर्वाधिक क्षेत्र, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, झुंझुनूँ व चूरू जिलों में रेतीली मिट्टी पाई जाती है।
· यह मृदा कम उपजाऊ होती है क्योंकि अत: मृदा में अंत:स्पंदन एवं पारगम्यता की दर अधिक होती है।
· इसमें 90-95% बालू व 5-7% मृत्तिका पाई जाती है।
2. भूरी रेतीली मृदा (Brown sandy soil):-
· रेतीली मृदा की अपेक्षा भूरी रेतीली मृदा अधिक उपजाऊ होती है।
· यह मृदा मुख्यत: अरावली के पश्चिम भाग बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, पाली, सिरोही, झुंझुनूँ, सीकर व नागौर जिलों में पाई जाती है।
· यह मृदाएँ भूरे रंग की होती हैं।
3. लाल-पीली मृदा (Red yellow soil):-
· इस प्रकार की मृदा में कैल्सियम कार्बोनेट व चूने की मात्रा अधिक पाई जाती है।
· यह मृदा अरावली पर्वत के पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र उदयपुर, भीलवाड़ा, बाँसवाड़ा, सिरोही, अजमेर, चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में पाई जाती है।
· मक्का, कपास व मूँगफली की फसलें सामान्यत: यहाँ उगाई जाती है।
· इसका pH मान 5.5 से 8.5 के मध्य होता है यह कम उपजाऊ होती है।
4. लाल लोमी मृदा:-
· यह मृदा दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर, बाँसवाड़ा, डूँगरपुर व चित्तौड़गढ़ के कुछ भागों में पाई जाती है।
· लौह कणों की उपस्थिति के कारण मृदा का रंग लाल होता है।
· वर्षा का पानी लंबे समय तक मृदा में नमी बनाए रखता है।
· सामान्यत: इस प्रकार की मृदाओं में गन्ना, कपास, गेहूँ, चावल व चने की खेती की जाती है।
5. दोमट या कछारी मृदा (Loamy soil):-
· यह लाल रंग की मृदा होती है जो कृषि के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
· इस प्रकार की मृदा में सभी प्रकार की फसलें बोई जा सकती है।
· अलवर, भरतपुर, धौलपुर, टोंक, कोटा व सवाईमाधोपुर जिलों में पाई जाती है।
6. काली मृदा (Black soil):-
· कपास की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
· उदयपुर व कोटा खंड में काली मृदा पाई जाती है।
7. लाल व काली मिश्रित मृदा:-
· इस प्रकार की मृदा चित्तौड़गढ़, डूँगरपुर, बाँसवाड़ा व भीलवाड़ा, उदयपुर के पूर्वी भागों में देखने को मिलती है।
8. भूरी रेतीली कछारी मिट्टी:-
· यह मिट्टी नदियों के पानी के साथ बहकर आती है इसलिए उपजाऊ होती है।
· कपास व गेहूँ की खेती के लिए उपयुक्त मृदा होती है।
· यह श्रीगंगानगर, अलवर व भरतपुर के उत्तरी भाग में मिलती है।
राजस्थान कृषि विभाग ने 14 तरह की मृदाओं को वर्गीकृत किया है :-
· कृषि विभाग ने मिट्टी के वर्गीकरण का आधार उर्वरता को माना है।
1. रेतीली मृदा
2. रेतीली चूना रहित
3. रेतीली धोरे युक्त
4. रेतीली जलोढ़
5. सिरोजम मृदा
6. जिंक एवं चुनायुक्त मृदा
7. भूरी चूनायुक्त मृदा
8. लवणीय व क्षारीय मृदा
9. नई जलोढ़ मृदा
10. धूसर भूरी जलोढ़ मृदा
11. पीली भूरी मृदा
12. लाल दोमट मृदा
13. गहरी सामान्य काली
14. पथरीली मिट्टी
महत्त्वपूर्ण बिंदु
· राजस्थान के सर्वाधिक क्षेत्र में बलुई मृदा / एरिडीसोल गण मृदा पाई जाती है।
· भारत के सर्वाधिक क्षेत्र में जलोढ़ / एल्यूवियल / इन्सेप्टीसॉल्स मृदा गण पाया जाता हैं।
· काली मृदा में वर्टीसॉल्स गण पाया जाता है।
· कृषि के लिए सबसे उपयुक्त दोमट मृदा है।
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