All Popular Breed Of Cows गाय की नस्लें

 पशुपालन से संबंधित महत्त्वपूर्ण शब्दावली

क्र.सं.विशेषताएँगायभैंसभेड़बकरीघोड़ासुअरपोल्ट्री
1.वयस्क नरबुल(सांड)बफेलो बुलरेम/टपबक/ बिल्लीस्टालियन/ स्टडबोअरकॉक
2.वयस्क मादाकाऊ (गाय)बफेलोइवडोई/नेनीमेयरसोहेन
3.जवान नरबुल काफबफैलो बुल काफरेम/टप लेम्बबकलिंग /मेल किडकोल्टबोरलिंगकॉकरेल
4.जवान मादाहिफरबफेलो हिफरमादा लेम्बगोटलिंगफिलीगिल्टपूलेट
5.नवजातकाफबफेलो काफइव लेम्बकिडफोलपिगलेटचिक
6.प्रसव प्रक्रियाकाल्विंगकाल्विंगलेम्बिंगकिडिंगफोलिंगफेरोइंगलेयिंग हेन
7.समागम/मेटिंग प्रक्रियासर्विंगसर्विंगटपिंगसर्विंगकवरिंगकपलिंगसर्विंग
8.बंधियाकृत नरबुललॉक, स्टीरबुललॉकवीडरवीडरजेल्डहोगकेपॉन
9.रखने का आवासशेड/यार्ड/बार्नशेड/यार्ड/बार्नपेनपेनस्टेबलस्टाइपेन/केज
10.पशु का समूहहर्डहर्डफ्लोकट्रिपपैक/हर्डड्रोव/स्टोकफ्लॉक
11.इस्ट्रस में बोलनाबेलोविंगबेलोविंगब्लीटिंगब्लीटिंगनीगींगग्रंटिंगकीव
12.गण (Order)आटिर्योडैक्टाइलाआटिर्योडैक्टाइलाआटिर्योडैक्टाइलाआटिर्योडैक्टाइलापेरिसोडैक्टाइलआटिर्योडैक्टाइलागेलीफोर्मस
13. फैमिलीबोविडीबोविडीबोविडीबोविडीइक्विडीस्युइडीफेशिनीडी
14.वंशबोसबुबेलसओविसकैपराइक्वसससगेलस
15.वैज्ञानिक नामबोस इन्डीकसबुबेलस- बुबेलिसओविस एरिसकैपरा हिरकसइक्वस केबेलससस डोमेस्टिकसगेलस डोमेस्टिकस
16.गुणसूत्र60रिवर-50/स्वेम्प-485460643878
17.गर्भकाल9 माह 9 दिन(280 दिन )10 माह 10 दिन (310 दिन )5 माह -5 दिन (145 से 148 दिन )5 माह 5 दिन (150 से 155 दिन )11 माह 11 दिन (341 दिन )3 माह 3 सप्ताह 3 दिन (114 दिन )21दिन
18.इस्ट्रस अवधि21 दिन21 दिन17 दिन20 दिन21 दिन21 दिन

गाय की नस्लें

● मवेशी प्राणी वर्गीकरण :-

1.  जगत (Kingdom) – जन्तु जगत (Animalia)

2.  संघ (Phylum) – र्कोडेटा (Cordata)

3.  वर्ग (Class) – स्तनधारी (Mammalia)

4.  गण (Order) – आर्टियोडेटक्टाइला (Artiodactyla)

5.  कुल (Family) – बोवडी (Bovidae)

6.  वंश (Genus) – बोस (Bos)

7.  जाति (Species) –   

(i) विदेशी – बोस टारस

 (ii) देशी – बोस इंडिक्स

Cattle Terminology :-
1. बारन/बायर – गाय व भैंस को रखने का स्थान

2. पोलीपैड – वे पशु जिनके खुर विभाजित होते हैं। जैसे – गाय, भैंस, भेड़, बकरी…

3. स्प्रिंज– ऐसी गाय जो कुछ ही दिनों में ब्याने वाली हो।

4. डाउन कावर– यह गाय दूध नहीं देती है परन्तु ग्याभिन होती है।

5. बुल (Bull)– वयस्क नर (Adult male)

6. Cow– गाय की वयस्क मादा (Adult female)

7. Bull calf– गाय में जवान नर को (Young male) कहते हैं।

8. हिफर– गाय में जवान मादा (Young female) को कहते हैं।

9. प्रिमी पेरस– वह मादा पशु जिसने प्रथम बार गर्भित होकर प्रथम बार बच्चा दिया हो।

10. Culling– अवांछित पशु को समूह से अलग करना।

11. काफ (Calf)– गाय का नवजात बच्चा

12. बुललॉक स्टीर (Bull lock steer)– साँड में बंध्याकरण की प्रक्रिया

13. काविंग (Calving)– गाय में प्रसव की प्रक्रिया (Act of parturition)

14. सर्विंग (Serving)– गाय में मैथुन (समागम) की प्रक्रिया

15. Debudding– छोटे पशुओं में सींग को काटना/हटाना।

16. Dehorning– बड़े पशुओं में सींग को काटना/हटाना। 

17. बेलोविंग (Bellowing)– गाय द्वारा बोलने की आवाज

18. हर्ड (Herd)– गायों का समूह (झुण्ड)

19. बोस टारस– विदेशी गाय का वैज्ञानिक नाम, इसमें Hump अनुपस्थित

20. बोस इण्डिकस– देशी गाय का वैज्ञानिक नाम, इसमें Hump होता है।

21. बोस– गाय का वंश (Genus)

22. गाय में क्रोमोसोम की संख्या- 60

23. बोवीड़ी– गाय की फैमिली

24. Cattle– गाय के परिवार के सदस्यों को केटल कहा जाता है; जैसे– गाय, साँड, हीफर, बैल

25. Cow– वह मादा केटल जो एक बार में एक बच्चे को जन्म दे चुकी हो।

26. डोकिंग– पूँछ को हटाना

27. कैटलो – गाय व भैंस के मध्य संकरण

28. गाय व भैंसों का औसत दूधकाल – 300 दिन

29. गाय में कुल स्थायी दाँत – 32, अस्थायी दाँत – 20

30. गाय में गर्भधारण की अवधि – 280 दिन (9 माह 9 दिन)

31. गाय में इस्ट्रस की अवधि – 21 दिन     

32. गौवंश में नाड़ी दर – कॉक्सिजीयल धमनी द्वारा ज्ञात की जाती है।

33. गौवंश में नाड़ी दर /मिनट – 40-50     

34. गौवंश के शरीर का सामान्य तापमान – 101°F   

35. गौवंश में श्वसन दर /मिनट – 20-25

36. कैरोटिन – गाय का दूध पीला इस कारण होता है।

37. टेटूइंग – गाय व भैंस में चिन्हित करने की सबसे उपयुक्त विधि

38. बीफ – गाय का मांस

39. भारतीय गायों में सबसे भारी नस्ल – कांकरेज

40. विश्व में सर्वाधिक दूध में वसा वाली गाय की नस्ल – जर्सी

41. काविंग पेन – ग्याभिन गाय में प्रसव के लिए आवास व्यवस्था

42. गाय में मदकाल की अवधि – 10-24 घंटा

43. विदेशी गौवंश में यौवनावस्था की अवधि – 18-24 माह

44. देशी गौवंश में यौवनावस्था की अवधि – 24-30 माह

45. गाय के बछड़े में बंध्याकृत की आयु – 8 सप्ताह

● ICAR (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) NBAGR के अनुसार वर्तमान में गाय की कुल 53 नस्लें पंजीकृत हैं।

S.No.Cattle BreedsState
1.AmritmahalKarnataka           
2.Bachaur Bihar
3.Bargur   Tamilnadu
4.Dangi   Maharashtra and Madhya Pradesh             
5.Deoni   Maharashtra and Karnataka           
6.Gaolao Maharashtra and Madhya Pradesh             
7.GirGujrat  
8.HallikarKarnataka           
9.HarianHaryana, Uttar Pradesh and Rajasthan  
10.KangayamTamilnadu
11.KankrejGujarat and Rajasthan 
12.KenkathaUttar Pradesh and Madhya Pradesh             
13.KherigarhUttar Pradesh   
14.KhillarMaharashtra and Karnataka
15.Krishna ValleyKarnataka
16.Malvi    Madhya Pradesh             
17.MewatiRajasthan, Haryana and Uttar Pradesh   
18.Nagori Rajasthan           
19.Nimari  Madhya Pradesh             
20.OngoleAndhra Pradesh              
21.PonwarUttar Pradesh   
22.PunganurAndhra Pradesh
23.RathiRajasthan           
24.Red KandhariMaharashtra     
25.Red SindhiOn organized farms only
26.SahiwalPunjab and Rajasthan  
27.SiriSikkim and West Bengal
28.TharparkarRajasthan           
29.UmblacheryTamilnadu          
30.VechurKerala   
31.MotuOdisha, Chhattisgarh and Andhra Pradesh
32.GhumusariOdisha
33.BinjharpuriOdisha
34.KhariarOdisha
35.PulikulamTamilnadu          
36.KosaliChhattisgarh     
37.Malnad GiddaKarnataka           
38.BelahiHaryana and Chandigarh
39.GangatiriUttar Pradesh and Bihar
40.BadriUttarakhand     
41.LakhimiAssam  
42.LadakhiJammu and Kashmir      
43.Konkan KapilaMaharashtra and Goa 
44.PodaThurpuTelangana          
45.NariRajasthan and Gujarat 
46.DagriGujarat
47.ThuthoNagaland            
48.Shweta KapilaGoa       
49.Himachali PahariHimachal Pradesh          
50.PurneaBihar     
51.KathaniMaharashtra     
52.SanchoriRajasthan           
53.MasilumMeghalaya

नोट:- ICAR – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, (NBAGR) के अनुसार भारत में सूअर की 13 नस्लें, घोड़ा और खच्चर की 7 नस्लें पंजीकृत है।

● गायों में नस्लों का आधार दूध के अनुसार तय किया जाता है–

1. जिन गायों में 1500-2500 लीटर प्रति ब्यात (प्रति ब्यात – 10 माह) तक दूध होता है, उन्हें ‘दुधारू किस्म’ की नस्लें कहा जाता है।

– गायों की निम्न नस्लें सम्मिलित की जाती हैं-

 a. साहीवाल

 b. राठी

 c. सिंधी

 d. गिर

 e. देवनी

2. वे गायें जिनमें दूध की मात्रा 1000-1500 लीटर प्रति ब्यात होती है, उन्हें द्विकाजी नस्लें कहा जाता है।

 जैसे – मेवाती, निमारी, कांकरेज, हरियाणा, थारपारकर, डांगी, अंगोल, कृष्णाघाटी, गाबलाब, पंगानूर, देवली, सीरी

3. भारवाहक नस्लें – गायों की वे नस्लें जिनका दूध 800-1000 लीटर प्रति ब्यात होता है, भारवाहक नस्लें कहलाती है।

– इनके बैल उत्तम किस्म के होते हैं जबकि गायें कम दूध देती हैं।

 जैसे – अमृत महल, बच्चौर, बरगुर, पंवार, खिल्लारी, कंगायम, कैनकथा, खेरीगढ़, नागौरी, मालवी, हल्लीकर, गंगातीरी। 

गायों की नस्लें (Breed of Cattle)
दुधारू(milch Breeds)द्विकाजी(Dual Purpose Breeds)भारवाहक(Drought Breeds)
साहीवालमेवातीअमृतमहल
राठीनिमाड़ीबच्चौर
सिंधीकांकरेजबरगूर
गिरहरियाणापंवार
देवनीथारपारकरखिल्लारी
 देवलीकंगायम
 अंगोलकैनकथा
 कृष्णाघाटीखेरीगढ़
 गाबलाबनागौरी
 पंगानुरमालवी
 डांगीहल्लीकर
 सीरीगंगातीरी
 गाय की नस्लों को याद करने की ट्रिक 
SRS    G   Dसरस गाय दूध देने वालीMN   KHT    DO    KG  P     D     Sमन     कहता    दो  किशनजी पीवे  दूध   साराAB2    PK4 N      M   H  Gअब   पीके  नागौरी मस्त  है  जी

Note :-

– वैचूर नस्ल की गाय केरल प्रदेश में पाई जाती है, जिसे मिनिएचर गाय के नाम से जाना जाता है।

– अमृतमहल भारत की सबसे अच्छी गाय की भारवाहक नस्ल है।

– नागौरी नस्ल राजस्थान की सबसे अच्छी भारवाहक नस्ल है।

– टेलर गाय भारत की प्रथम संकरण नस्ल मानी जाती है।

Note :-

– NDRI करनाल, हरियाणा द्वारा गाय की संकर नस्लें–

1.  करनस्वीस – ब्राउनस्विस × साहीवाल

2.  करनफ्रिज – हॉलस्टीन फ्रीजियन × थारपारकर

3. ब्राउनसिंध – ब्राउनस्विस×रेडसिंधि

4. वृन्दावनी – ब्राउनस्विस×HF,जर्सी×हरियाणा

– IVRI इज्जतनगर द्वारा विकसित नस्ल

5. फ्रिसवाल – H.F.×साहीवाल

6. जरसिंध – जर्सी×रेडसिंधि

7. जरथार – जर्सी×थारपारकर

8. जमैकाहॉप – जर्सी×साहीवाल×H.F.

9. सुजाता – जर्सी × साहीवाल

10. सुनन्दिनी – H.F. × जर्सी × B.S.

11. गंगा – गिर × साहीवाल × रेड सिंधी (NDRI करनाल, हरियाणा व उत्तराखण्ड लाइवस्टोक डेवलपमेंट बोर्ड, देहरादून के सहयोग से विकसित की गई।)

गायों की नस्लों का विवरण

1. गिर गाय :-     

– दुधारु किस्म की गाय।

– उत्पत्ति स्थान – गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र व गिर वन क्षेत्र।

– राजस्थान में अजमेर, भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ में पाई जाती है।  

– राजस्थान में इस नस्ल को अजमेरी रेण्डा के नाम से जाना जाता है।

नस्ल की विशेषता –

– रंग – साधारणतया लाल होता है व इसमें काले कत्थई/सफेद धब्बे पाए जाते हैं।

– इस गाय का सिर (ललाट) बाहर निकला हुआ होता है।

 (उत्तल आकार का (Convex Bony shed))

– इस गाय के कान पत्तीनुमा नीचे लटके हुए होते हैं (गिरे हुए)। इनके किनारे पर एक छोटा-सा चिह्न (Notch) पाया जाता है, जिसे ‘Ear Notch’ कहा जाता है।

– आँख का ऊपरी भाग बढ़ा हुआ होता है, जिससे इनकी आँखें आधी खुली हुई दिखती है, जिससे इसे ‘शर्मीली नस्ल’ कहा जाता है। ब्राजील में इन्हें ‘भाहमान’ कहा जाता है।

– इस गाय में सींग पीछे की तरफ जाकर थोड़े से घूम जाते हैं, जिसे ‘अर्द्धचंद्राकार सींग’ कहा जाता है।

– इन गायों में लम्बी चाबुकनुमा पूँछ होती है, जो जमीन को छूती है।

– इस गाय को ब्राजील देश में निर्यात किया जाता है। अत: इसे ब्राजील गाय भी कहा जाता है।

– दूध – 1500-1800 लीटर प्रति ब्यात

– इस नस्ल के दूध में औसत वसा – 4.5%

– भार – मादा – 386 kg (लगभग 400 kg)

 नर – 540 kg (लगभग 500 kg)

2. थारपाकर गाय :-

– यह द्विकाजी नस्ल है।

– उत्पत्ति स्थान – पाकिस्तान के सिंध प्रदेश के थारपारकर जिले से।

– राजस्थान में यह नस्ल जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर में पाई जाती है।

– यह नस्ल गुजरात के कच्छ के रण क्षेत्र में भी पाई जाती है।

– इस नस्ल का प्रजनन केन्द्र – चाँदन (जैसलमेर)

नस्ल की विशेषता –

– रंग – सफेद/ग्रे (धूसर/स्लेटी) होता है तथा पीठ पर हल्के काले रंग की धारियाँ होती है।

– इस नस्ल को थारी/ग्रे सिंधी भी कहा जाता है।

– इनका शरीर मध्यम आकार का ललाट-चौड़ा, कान लम्बे व सींग मध्यम लम्बाई के होते हैं।

– इस नस्ल में हम्प (थुई) सुविकसित होती है तथा इसमें गलकम्बल (Dewlop) सुविकसित व मोटा होता है।

– इस नस्ल में औसत दुग्ध उत्पादन 1600-2200 लीटर/ब्यात होता है।

– भार – इस नस्ल में नर – 450-500 kg तथा मादा– 400 kg की होती है।

– इस नस्ल के बैल कृषि कार्य में जुताई करने के काम आते हैं।

3. साहीवाल गाय :-

– अन्य नाम – मोन्टगोमरी, लोला, मुल्तानी, लम्बी-बार, तैली

– उत्पत्ति – पाकिस्तान का मोन्टगोमरी स्थल पंजाब

– वितरण क्षेत्र – श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़

– दुग्ध उत्पादन- 2725 लीटर- 3175 लीटर प्रति ब्यात

● मुख्य बिन्दु –

1. इस गाय की (गलकम्बल लटकता है) ढीली त्वचा होने के कारण इसे लोला नस्ल कहते हैं।

2. भारत की सर्वोत्तम डेयरी नस्ल ।

3. पूँछ – चाबुकनुमा लम्बी तथा जमीन को छूती है।

4.  सुविकसित थूई होती है।

5.  मादा में सूण्डी सुविकसित होती है।

6.  आँखों के चारों तरफ सफेद रिंग होती है।

7.  रंग गहरा लाल, हल्का लाल होता है।

(Raan royal colour)

8.  नर का भार 550 kg व मादा का भार 400 kg होता है।            

4. रेड सिंधी गाय

● अन्य नाम – माही, रेड कराची

● उत्पत्ति – पाकिस्तान के कराची क्षेत्र तथा हैदराबाद (सिन्ध)

● वितरण क्षेत्र – अधिकतर बड़े फार्म हाउस जैसे- NDRI करनाल, नैनीताल

● दूध उत्पादन- 683- 2268 लीटर प्रति/ब्यात

नस्ल की विशेषता–

● Facial expression – चेहरे का हावभाव (बुद्धिमान)

● रंग गहरा लाल होता है।

● थूई पूर्ण विकसित होती है।

● नर में लोला लटका होता है।

● नर का भार 480 kg व मादा में भार 386 kg होता है।

5. कांकरेज गाय :-

– अन्य नाम – सांचौरी, बन्नाई, वागड़िया, नागू

– उत्पत्ति – गुजरात का कच्छ का रण तथा बनास गाँव

– वितरण क्षेत्र – जालोर, सांचौर, बाड़मेर, जोधपुर

1.  देशी गायों में सबसे भारी नस्ल

2.  सवाई चाल के लिए प्रसिद्ध

3.  भारतीय गायों में सबसे ज्यादा दूध में वसा प्रतिशत पाया जाता है।

4.  सींग आधार पर चौड़े भारी भरकम लम्बे Arched सींग होते हैं।

5.  नर में Sheath लटका हुआ होता है।

6.  नर का भार 520 kg व मादा का भार 400 kg होता है।

7.  दुग्ध उत्पादन – 1000 -1500 लीटर प्रति/ब्यात

6. हरियाणा गाय :-

 उत्पत्ति क्षेत्र- हिसार, रोहतक, गुरुग्राम, करनाल, दिल्ली व पंजाब में पाई जाती हैं।

– राजस्थान में यह नस्ल अलवर व भरतपुर में पाई जाती हैं।

– भारतीय द्विप्रयोजनीय नस्लों में श्रेष्ठ नस्ल हैं।

नस्ल की विशेषता –

– यह नस्ल सफेद रंग की होती है व इसके पीठ पर और पिछले हिस्से में भूरे रंग की लालिमा होती है।

– इस नस्ल के कान छोटे व लटके हुए होते हैं।

– यह एक द्विकाजी नस्ल है जिसमें गाय व बैल दोनों अच्छे होते हैं।

– इस नस्ल में चेहरा लम्बा तथा ललाट चपटा होता है।

– सींग मध्यम आकार के होते हैं।

– इस नस्ल में पूँछ छोटी होती है तथा Hock Joint तक पाई जाती है।

 (H – Hariyana, H – Hock)

– इस नस्ल में नाभि का पाउस (Naval Flap) अनुपस्थित होता है।

– इस नस्ल में हम्प (थुई) मध्यम आकार का व गलकम्बल विकसित होता है। इनका कूबड़ (Hump) गोल व खुबसूरत होता है।

– इस नस्ल में औसत दुग्ध उत्पादन 1000-1500 लीटर/ब्यात होता है अर्थात् यह द्विकाजी नस्लों में आती है।

– दूध में औसत वसा – 4.5%

– इस नस्ल में नर का भार – 480kg व मादा का भार – 360kg होता है।

7. नागौरी गाय

– यह भारवाहक नस्ल होती है।

– जन्म स्थान नागौर व वितरण स्थान नागौर, जोधपुर के समीप होता है।

– इस नस्ल का राजकीय प्रजनन फार्म – नागौर

– राजस्थान की सबसे अच्छी भारवाहक नस्ल है।

नस्ल की विशेषता –  

– इस नस्ल का रंग – सफेद धूसर/ग्रे होता है तथा इनमें बैल उत्तम किस्म के होते हैं जो अत्यन्त चौकन्ने व फूर्तीले होते हैं। तेज दौड़ने में माहिर होते हैं।

– इस नस्ल में सींग औसत लम्बाई से ऊपर तथा नोंक अन्दर की तरफ मुड़ी हुई होती है।

– इनका शरीर मजबूत, सुगठित, छाती चौड़ी, पैर सीधे होते हैं।

– इस नस्ल में पूँछ मध्यम लम्बाई की होती है।

– नस्ल में मजबूत, उठा हुआ कूबड़ (हम्प) होता है।

– यह उत्तम किस्म के बैल होते हैं, इनकी गायों के थन (Udder) ठीक-ठाक होते है।

– इसमें औसत दुग्ध उत्पादन 600-1000 लीटर प्रति ब्यात तक होता है अर्थात् यह भारवाहक नस्ल है।

    8. मालवी गाय :-

– उत्पत्ति स्थान – मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है।

– राजस्थान में यह नस्ल झालावाड़, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा व मध्यप्रदेश में मंदसौर व रतलाम में पाई जाती हैं।

नस्ल की विशेषता –

– इस नस्ल का रंग सफेद व हल्का धूसर, लोहे जैसा होता है।

– इस नस्ल में सींग छोटे-मोटे व नुकीले होते हैं, इनकी गर्दन व टाँगें छोटी तथा मजबूत होती है।

– गलकम्बल सुविकसित होता है। यह अच्छे किस्म के बैल होते हैं अर्थात् अधिक मात्रा में बोझा ढोते हैं।

– इनका शरीर बड़ा व ढीला होता है।

– इस नस्ल में औसत दुग्ध उत्पादन 700-900 लीटर प्रति ब्यात तक होता है अर्थात् यह भारवाहक नस्ल होती है।

– नर का औसत भार – 500 kg व मादा का औसत भार – 400 kg की होता है।

 9. मेवाती गाय :-

– उत्पत्ति स्थान – हरियाणा के मेवात जिले से उत्पन्न नस्ल

– यह नस्ल राजस्थान में अलवर, भरतपुर क्षेत्र में अधिक पाई जाती है।

–   इनका वितरण क्षेत्र महाराष्ट्र के कोशी क्षेत्र में भी होता है।

नस्ल की विशेषता –

– इस नस्ल का रंग सफेद होता है तथा इसके गर्दन व कंधों पर हल्का काला रंग पाया जाता है, सिर मध्यम आकार का व चेहरा लम्बा, सींग मध्यम से लम्बे व पीछे की तरफ मुड़े हुए होते हैं।

– आँखें पूर्ण रूप से खुली हुई होती है तथा आँखों के चारों तरफ घेरा पाया जाता है।

– इस नस्ल की पूँछ Hock Joint से नीचे व Fet Lock Joint से ऊपर अर्थात् मध्यम लम्बाई की होती है।

–  इस नस्ल के गर्दन छोटी ऊपर उठी हुई तथा अयन छोटा होता है।

–  इस नस्ल में 800-1200 लीटर प्रति ब्यात तक दुग्ध उत्पादन होता है अर्थात् यह द्विकाजी नस्ल होती है।

–  इनमें नर का औसत भार – 425 किग्रा तथा मादा का औसत भार – 350 किग्रा होता है।

–  इस नस्ल के बैल कृषि कार्य के लिए अच्छे होते हैं।

10. राठी गाय  

–  इसका मुख्य वितरण क्षेत्र – जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।

–  यह नस्ल थारपारकर, साहीवाल व सिंधी के त्रिसंकरण से उत्पन्न मानी जाती है।

–  राजस्थान में सर्वाधिक रिसर्च (अनुसंधान) इसी गाय पर चल रहा है।

नस्ल की विशेषता –

–  इस नस्ल में रंग सफेद व भूरे धब्बे युक्त होता है जिसे चितकबरा रंग भी कहा जाता है।

–  इस नस्ल में सरल स्वभाव व शरीर सुडौल होने के कारण राजस्थान की कामधेनु भी कहा जाता है।

–  इस गाय का शरीर मध्यम आकार का व ढीला-ढाला होता है।

–  इनमें गलकम्बल (Dewlop) लटका हुआ होता है।

–  इस नस्ल में पूँछ लम्बी होती है।

–  इस नस्ल में सिर मध्यम, बीच में से ललाट थोड़ा-सा धँसा हुआ होता है।

–  इस नस्ल में औसत, दुग्ध उत्पादन 1200-1500 लीटर प्रति ब्यात होता है।

–  दूध में औसत वसा – 4-4.5%

–  इस नस्ल के बैल खेती में काम आते हैं अर्थात् इसे द्विकाजी नस्ल में शामिल करना चाहिए, परन्तु अनुसंधान में दुग्ध की मात्रा बढ़ने से इसे दुधारु नस्ल बताया गया है।

–  मादा का भार – 350-380kg

  नर का भार – 500-550Kg

¨  गायों की विदेशी नस्लें :-

–  इस नस्लों में थुई (कूबड़) नहीं पाए जाते हैं।

–  इनका आकार देशी नस्लों की तुलना में बड़ा होता है।

–  इनका अयन (अडर) देशी नस्लों की तुलना में बड़ा होता है।

–  विदेशी नस्लों में सींग अत्यन्त छोटे होते हैं। (स्टम्पी)

–  देशी – Indigenous – Bos indicus

–  विदेशी – Exogenous – Bos Taurus

विदेशी नस्लेंउत्पत्ति स्थान
होलस्टीन फ्रीजियनहॉलैण्ड
जर्सीजर्सीद्विप
ब्राउनस्वीसस्विट्जरलैण्ड
रेडडेनडेनमार्क
गर्नशीगर्नसी द्वीप
शार्ट होर्नइंग्लैण्ड
आयरशायरस्कॉटलैण्ड

1. हॉलस्टीन फ्रीजियन गाय  

–  उत्पत्ति स्थान – हॉलेण्ड (नीदरलैण्ड) से उत्पन्न मानी जाती है।

–  भारत  व राजस्थान में इसे कहीं भी पाली जा सकती है, परन्तु इनकी अनुकूल परिस्थितियाँ व वातावरण होना चाहिए।

नस्ल की विशेषता –

–  रंग – काला व सफेद मिश्रित रूप से होता है।

–  शरीर अत्यन्त बड़ा व बेडोल होता है।

–  मुँह संकरा व लम्बा होता है।

–  इनकी पीठ एकदम सीधी होती है अर्थात् कूबड़ नहीं होती है।

–  इस नस्ल को साहीवाल के साथ संकरण करवाकर एक क्रमोन्नत नस्ल – करण फ्राईजेस N.D.R.I करनाल (हरियाणा) द्वारा विकसित की गई।

–  इस नस्ल में अयन बड़े व सुविकसित होते हैं।

–  औसत दुग्ध उत्पादन – 6000 लीटर प्रति ब्यात तक पाया जाता है।

–  दूध में औसत वसा – 3.5-4%

–  यह भारी भरकम नस्ल है।

–  मादा का भार – 700kg

  नर का भार – 815Kg

2. जर्सी गाय         

–  उत्पत्ति स्थान – इंग्लैण्ड के जर्सी द्वीप  से उत्पन्न नस्ल

नस्ल की विशेषता –

–  इस नस्ल का रंग लाल व हल्के काले धब्बे/धारियाँ युक्त होता है।

–  हल्का बादामी रंग होता है।

–  इनका शरीर लम्बा, चेहरा चौड़ा व कम लम्बाई का व इनका सिर बीच में से धँसा हुआ होता है।

–  इस नस्ल का शरीर लम्बा व कूबड रहित होता है।

–  इनके कान छोटे-छोटे व आगे की तरफ मुड़े हुए होते हैं।

–  विदेशी नस्लों में सर्वाधिक दूध में वसा प्रतिशत पाया जाता हैं।

–  औसत दुग्ध उत्पादन 4000-4200 लीटर प्रति ब्यात।

–  दूध में औसत वसा – 4.5-5%

–  इस नस्ल की गाय में सबसे दूधकाल (305 दिन) होत-  इनमें नर का औसत भार 570 kg व मादा का औसत भार  400-500 kg होता है।

3 thoughts on “All Popular Breed Of Cows गाय की नस्लें”

Leave a Comment