भेड़ो की नस्लों का विवरण (Description Of Breeds Of Sheep)

भेड़ की नस्लों का विवरण

1.  जगत (Kingdom) – जन्तु जगत (Animalia)

2.  संघ (Phylum) – र्कोडेटा (Cordata)

3.  वर्ग (Class) – स्तनधारी (Mammalia)

4.  गण (Order) – आर्टियोडेटक्टाइला (Artiodactyla)

5.  कुल (Family) – बोवडी (Bovidae)

6.  वंश (Genus) – ओविस

7.  जाति (Species) –  ओविस एरिस

Sheep Terminology :-

1.  फ्लोक (Flock) – भेड़ों का झुण्ड (समूह)

2.  रैम (Ram) – भेड़ का वयस्क नर (Adult Male)

3.  ईव (Ewe) – भेड़ की वयस्क मादा (Adult Female)

4.  रैम लैम्ब – जवान नर भेड़  (Young Male)

5.  ईव लैम्ब – जवान मादा भेड़  (Young Female)

6.  लैम्ब – भेड़ का बच्चा (New Born)

7.  वेडर या विदर – नर भेड़ जो बंधियाकृत हो।

8.  लैम्बींग (Lambing) – मादा भेड़ में प्रसव की प्रक्रिया

9.  टपिंग (Tupping) – भेड़ में समागम (मैथुनकी प्रक्रिया

10.  भेड़ में क्रोमोसोम की संख्या -58

11.  बिलटिंग (Bleating) – भेड़ के बोलने की आवाज

12.  पेन (Pen) – भेड़ को रखने का स्थान

13.  ओविस एरिस – भेड़ का वैज्ञानिक नाम

14.  ओविस – भेड़ का वंश (Genus)

15.  प्रिमीपेरस – पशुओं में पहली बार गर्भधारण को प्रिमीपेरस कहते हैं।

16.  न्यूलीपेरा – जो पशु ग्याभिन नहीं हो।

–  ICAR – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, (NBAGR) के अनुसार भारत में भेड़ों की कुल 44 नस्लें पंजीकृत हैं।

1.BalangirOrissa
2.BellaryKarnataka
3.BhakarwalJammu and Kashmir
4.BonpalaSikkim
5.ChangthangiJammu and Kashmir
6.ChoklaRajasthan
7.ChottnagpuriJharkhand
8.CoimbatoreTamilnadu
9.DeccaniAndhra Pradesh and Maharashtra
10.GaddiHimachal Pradesh
11.GanjamOrissa
12.GaroleWest Bengal
13.GurezJammu and Kashmir
14.HassanKarnataka
15.JaisalmeriRajasthan
16.JalauniUttar Pradesh and Madhya Pradesh
17.KarnahJammu and Kashmir
18.KenguriKarnataka
19.KilakarsalTamilnadu
20.Madras RedTamilnadu
21.MagraRajasthan
22.MalpuraRajasthan
23.MandyaKarnataka
24.MarwariRajasthan and Gujarat
25.MecheriTamilnadu
26.MuzzafarnagriUttar Pradesh and Uttarakhand
27.NaliRajasthan
28.NelloreAndhra Pradesh
29.NilgiriTamilnadu
30.PatanwadiGujarat
31.PoonchiJammu and Kashmir
32.PugalRajasthan
33.Ramnad WhiteTamilnadu
34.Rampur BushairHimachal Pradesh
35.ShahbadiBihar
36.SonadiRajasthan
37.TibetanArunachal Pradesh
38.Tiruchi BlackTamilnadu
39.VemburTamilnadu
40.Katchaikatty BlackTamilnadu
41.ChevaaduTamilnadu
42.KendrapadaOdisha
43.PanchaliGujarat
44.KajaliPunjab

–  भेड़ों की नस्लें

  (i) विदेशी नस्लें

  (ii) देशी नस्लें

  (iii) संकर नस्लें

–  राजस्थान को भेड़ों का घर कहा जाता है।

–  भेड़ों को परजीवियों का म्यूजियम कहते हैं।

–  डॉली भेड़ – यह पहली क्लोन भेड़ है (5 जुलाई, 2003) डॉ. विल्मुट द्वारा विकसित की गई है।

–  भेड़ में ऊन उतारने की क्रिया को सियरिंग कहते हैं।

–  भेड़ों से मांस (mutton) उत्पादन तथा ऊन उत्पादन होता है।

–  Fine wool (मुलायम ऊन) – मेरिनो, राम्बोइलेट

–  Fur (त्वचा पर घने बाल) – कराकुल

–  Mutton (मांस उत्पादन) – डोरसेट, सेफोक, साउथडाउन

–  Long Coarse wool (मोटे लम्बे ऊन) – लिंकन, लिचेस्टर

–  CSWRI केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान (अविकानगर, टोंक, मालपुरा राजस्थान)

–  गलीचे (कारर्पेट) वाली नस्लें-

गुरेज,भकरवाल,नाली,अविकालीन,गद्दी

–  द्वीप्रयोजनीय नस्लें :-  मारवाड़ी, जैसलमेरी, मालपुरा, सोनाड़ी, लोही, डेकनी, बेलारी, बीकानेरी

–  वस्त्र बनाने के लिए उपयोगी नस्लें :- चोकला, मगरा, हिसारडेल, मेरिनो, नीलगिरी, रेम्बुलेंट, अविवस्त्र, करनाह।

–  मांस उत्पाद के लिए उपयोगी नस्लें – नेल्लोर, हसन

क्षेत्रवार भारतीय भेड़ों की नस्लों का वर्गीकरण :-

भारतीय भेड़ों की नस्लें –

1.  चोकला :-

–  भेड़ की यह नस्ल राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र (चुरु, सीकर, झुंझुनूँ) में अधिक पाई जाती है तथा इसके अलावा जोधपुर व नागौर जिलों में पाई जाती हैं।

–  इस नस्ल को शेखावाटी व छापर नस्ल भी कहा जाता है।

–  इस नस्ल की भेड़ों के मुँह का रंग भूरा (चॉकलेटी) होता है जो आधी गर्दन तक फैल होता है।

–  यह नस्ल मध्यम आकार की होती है।

–  इनके कान छोटे व नर-मादा में सींग नहीं होते हैं।

–  पूँछ पतली व मध्यम आकार की होती है।

–  पैर छोटे व खुर काले रंग के होते हैं।

–  नर का औसत भार 30-40 किग्रा व मादा का औसत भार 25-30 किग्रा होता है।

–  इन भेड़ों की लम्बाई व ऊँचाई एक समान होती है जिससे भेड़ वर्गाकार दिखाई देती है।

–  इनमें ऊन उत्पादन 1.5-2.5 किग्रा. प्रतिवर्ष सफेद ऊन प्राप्त होती है। इनकी ऊन बारीक व अच्छी गुणवत्ता वाली होती है जिससे ऊनी वस्त्र बनाए जाते हैं।

2.  मारवाड़ी :-

–  इस नस्ल का वितरण क्षेत्र – मारवाड़ क्षेत्र (जोधपुर, पाली, नागौर, जालोर, बाड़मेर तथा सिरोही) में अधिक पाई जाती हैं।

–  मुँह काले रंग का तथा गर्दन के नीचे तक फैला रहता है।

–  इस नस्ल में शरीर सुगठित, मजबूत, टाँगे लम्बी होती हैं।

–  यह नस्ल भेड़ों की मजबूत व अधिक प्रतिरोधकता वाली होती है अर्थात् सबसे स्वच्छ नस्ल है।

–  इनमें अधिक गर्मी व सर्दी सहन करने की क्षमता होती है।

–  कान छोटे व अंदर की तरफ मुड़े हुए और पूँछ मध्यम लम्बाई की होती है।

–  इन भेड़ों के मुँह पर अत्यधिक बाल होते हैं।

–  इस भेड़ में प्रतिवर्ष 1.5-2.3 किग्रा तक ऊन सफेद होती है व इनकी ऊन मोटी होती है जिससे यह निम्न श्रेणी में आती है, इनका उपयोग गलीचे, कारपेट बनाने में किया जाता है।

–  इस नस्ल की ऊन को यूरोप में जोरिया के नाम से जाना जाता है।

3.  मालपुरा :-

–  इस नस्ल की उत्पत्ति टोंक (मालपुरा) से बताई जाती है।

–  इसका वितरण क्षेत्र – बूँदी, दौसा, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा क्षेत्रों में अधिक होती है।

–  इस नस्ल में चेहरे का रंग सफेद भूरा होता है।

–  इस नस्ल में बेली (पेट) व इसके पैरों पर ऊन या बाल नहीं पाए जाते हैं।

–  यह नस्ल मुख्य रूप से मांस के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

–  इस नस्ल में नर व मादा सींग रहित होते हैं तथा इनके कान छोटे व मुड़े हुए होते हैं।

–  शरीर मजबूत व गठीला होता है।

–  इस नस्ल में सफेद व अधिक मोटी ऊन प्राप्त होती है, जो 1.1 से 1.6 किग्रा प्रतिवर्ष ऊन प्राप्त होती है।

–  ऊन के रेशे की लम्बाई 5-7 सेमी होती है व मोटी व मजबूत होने के कारण गलीचे/नमदा बनाने में उपयोग लिया जाता है।

4.  जैसलमेरी :-

–  यह नस्ल जैसलमेर से उत्पन्न मानी जाती है।

–  इनका वितरण क्षेत्र – जोधपुर व बाड़मेर

–  चेहरे का रंग काला/भूरा होता है।

–  इस नस्ल में नाक ऊपर की तरफ उठा हुआ तोते जैसा होता है जिससे इसे तोतापुरी नस्ल भी कहा जाता है।

–  इस नस्ल में वातावरण के प्रति सर्वाधिक अनुकूलता पाई जाती है।

–  इस नस्ल मे कान लम्बे व लटके हुए, सिर बड़ा होता है।

–  इनका शरीर मजबूत व वर्गाकार होता है।

–  राजस्थान की सभी भेड़ों में यह सबसे बड़े आकार की नस्ल होती है। मांस उत्पादन के लिए भी पाला जाता है।

–  इसमें औसत लम्बाई 68.55-66.91 सेमी. तक होती है।

–  इनमें औसत ऊन उत्पादन 1.8 से 3.2 किग्रा प्रतिवर्ष तक प्राप्त होता है व इनकी ऊन मध्यम श्रेणी की होती है जिससे उच्च कोटि के गलीचे व कारपेट बनते हैं।

–  इनका भार नर में 32-45 किग्रा व मादा में 30-36 किग्रा होता है।

5.  मगरा –

–  अन्य नाम – बीकानेरी चोकला।

–  ये राजस्थान के बीकानेर, चुरु तथा नागौर जिलों में पाई जाती है।

–  त्वचा का रंग गुलाबी ऊन मुलायम होती है। कान छोटे व मुड़े हुए होते है।

–  आँखों के चारों ओर भूरे रंग के धब्बे व वलय पाए  जाते हैं।

–  सींगरहित नस्ल होती है। इसे चश्में वाली नस्ल भी कहते हैं।

–  औसत ऊन उत्पादन 1.5 – 2.5 किग्रा/प्रतिवर्ष प्राप्त होती है।

6.  नाली :-

–  नस्ल की उत्पत्ति स्थान – श्रीगंगानगर, चुरु तथा झुंझुनूँ

–  पत्तीनुमा कान, चेहरे पर हल्के भुरे बाल, ऊन मध्यम क्वालिटी की व कारपेट बनाने में उपयोगी होता है।

–  इस नस्ल में टाँगें छोटी तथा पीले रंग के hooves (खुर) होते हैं।

–  औसत ऊन उत्पादन – 2.5-3.5 किग्रा/प्रतिवर्ष प्राप्त होती हैं।

–  इस नस्ल में ऊन का रंग  पीला होता है।

7.  सोनाड़ी :-

–  उत्पत्ति- उदयपुर क्षेत्र

–  इसको चर्णोथर भी कहते हैं।

–  यह नस्ल कोटा, बूँदी, डूँगरपुर, चित्तौड़गढ़ में मिलती है।

–  चेहरा हल्का भूरा तथा नाक उभरी हुई व सींग रहित प्रजाति होती है।

–  इस नस्ल के कान लम्बे व लटके हुए होते हैं (गिर गाय जैसे)

–  औसत ऊन उत्पादन – 0.6 – 1.2 किग्रा/ प्रतिवर्ष

–  दूध उत्पादन – 1.5 – 2 kg प्रतिदिन होता है।

8.  नेल्लोर :-

–  यह नस्ल आन्ध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले से उत्पन्न मानी जाती है।

–   यह नस्ल भारतीय भेड़ों में सबसे बड़ी (Tallest) नस्ल है। 

–  यह सबसे अच्छी मटन (best mutton) प्राप्त होने वाली भेड़ की नस्ल है। 

–  यह बकरी जैसी भेड़ है जिससे कोई ऊन प्राप्त नहीं होती है। 

–  इस नस्ल के गर्दन पर दो उपांग होते हैं।

विदेशी भेड़ की नस्लें –

1.  मेरिनो :-

–  यह भेड़ विदेशी नस्ल है जो स्पेन से उत्पन्न मानी जाती है।

–  अभी यह पूरे विश्व में फैली हुई है।

–  इसमें नर में घुमावदार सींग होते हैं जबकि मादा सींग रहित होती है।

–  इस नस्ल के गर्दन तथा कंधे की त्वचा में झुरियाँ व सलवटें पाई जाती है।

–  इस भेड़ का रंग सफेद व हल्का पीला (क्रीम) होता है।

–  इनका सिर मध्यम आकार का व ऊन से ढका हुआ होता है।

–  यह बहुत ही मजबूत नस्ल होती है।

–  इनमें नर का भार 90 किग्रा. व मादा का भार 70 किग्रा. तक होता है।

–  विश्व की श्रेष्ठ महीन ऊन वाली नस्ल होती है।

–  इसमें औसत ऊन उत्पादन 5-9 किग्रा. प्रतिवर्ष प्राप्त होती है।

–  इस नस्ल के संकरण से कई देशी नस्लों का सुधार किया गया है।

2.  कराकुल :-

  

–  यह नस्ल मध्य एशिया (इराक, इरान, अफगानिस्तान), दक्षिण अफ्रीका व पश्चिमी यूरोप के कुछ भागों में पाई जाती है।

–  इस नस्ल में नर में सींग व मादा सींग रहित होती है।

–  ये मध्यम आकार की नस्ल हैं।

–  इसका रंग हल्का भूरा व काला होता है।

–  नर का वजन 80-90 किग्रा. व मादा का वजन 50-60 किग्रा. होता है।

–  ऊन निम्न श्रेणी की होती है व 3-4 किग्रा. ऊन प्रतिवर्ष तक प्राप्त होती है।

–  इस नस्ल की चमड़ी मुलायम व मजबूत होती है जिससे पेल्ट प्राप्त की जाती है।

–  यह नस्ल भारी-भरकम होने से इनसे मांस भी अधिक प्राप्त होता है।

–  लेदर (चमड़ा) जैकेट व ऊनी वस्त्र जो चमड़े से बनते हैं, कराकुल नस्ल की चमड़ी से बनाए जाते हैं।

3.  रेम्बुलेट –

–  उत्पत्ति – फ्रांस (इसे फ्रेंच मेरिनो भी कहा जाता है)

–  स्पेनिश मेरिनो से विकसित नस्ल, भेड़ों की भारी भरकम नस्ल होती है।

–  भारत में सबसे ज्यादा संकरण मेरिनो तथा रेम्बुलेट नस्ल के साथ किया जाता है।

–  रेम्बुलेट – मांस के लिए प्रसिद्ध नस्ल होती है।

–  नर का भार 100 kg व मादा का भार 80 kg तक होता हैं। 

4.  लिंकन नस्ल –

–  उत्पत्ति – इंग्लैंड

–  विश्व की सबसे भारी भेड़ की नस्ल होती है।

–  विश्व की लम्बी नस्ल होती है।

–  मोटे लम्बे ऊन के फाइबर प्राप्त होते है।

5.  लिचेस्टर नस्ल –

–  उत्पत्ति – इंग्लैंड

  शुद्ध अंग्रेजी नस्ल

  लम्बे मोटे ऊन के फाइबर प्राप्त होते हैं।

6.  साउथ डॉउन –

  उत्पत्ति– इंग्लैंड

  सबसे पुरानी इंग्लिश नस्ल

  इस नस्ल का मुँह चूहे जैसा होता है।

भेड़ों की संकर नस्लें :-   

1.  अविकालिन :-

  

–  यह एक संकर नस्ल है जिसमें विदेशी नर मेरिनो या रेम्बुलेट के साथ मालपुरा नस्ल की मादा का संकरण करके तैयार की जाती है।

–  इसे केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर (टोंक) में विकसित किया गया।

–  इस नस्ल की भेड़ मजबूत व अधिक ऊन देने वाली होती है।

–  इन नस्ल की ऊन पतली होती है।

–  औसत भार 25 किग्रा. व ऊन उत्पादन 6 माह में लगभग 1.13 व सालाना 2.26 व 2.5 तक प्राप्त होती है।

–  इनमें टपिंग (भेड़ों में प्रजनन) प्रक्रिया 97.25% तक सफल होती है व इनके बच्चे देने की संभावना 81.47% तक होती है।

2.  अविवस्त्र :-

  

–  इस नस्ल को C.S.W.R.I. अविकानगर (टोंक) द्वारा विकसित किया गया।

–  यह नस्ल मेरिनो/रेम्बुलेट नर व चोकला नस्ल की मादा के संकरण से उत्पन्न की गई।

–  इन भेड़ों में 2-4 किग्रा प्रतिवर्ष ऊन प्राप्त होती है तथा इनके शारीरिक लक्षण अविकालिन जैसे ही होते हैं।

–       मेमनों की वार्षिक जन्म दर – 93.21% होती

●  भेड़ों की संकर नस्लें :-

S.n.CrossbreedOriginCross
1.Hissardale(हिसारडेल)Govt. livestock farm, HisarBikaner ewe (magra) X Australian merino Ram
2.Avikalin (अविकालिन)CSWRI,AvikanagarRambouillet Ram X Malpura ewe
3.Avivastra(अविवस्त्र)CSWRI,AvikanagarRambouillet ram X Chokla ewe
4.Avimanas(अविमानस)CSWRI,AvikanagarMalpura & sonadi X Dorset & Suffolk

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