भैंस की नस्ल Buffalo Breeds in Rajasthan and India

भैंस की नस्लों का विवरण

● भैंस का वर्गीकरण :-

1.  जगत (Kingdom) – जन्तु जगत (Animalia)

2.  संघ (Phylum) – र्कोडेटा (Cordata)

3.  वर्ग (Class) – स्तनधारी (Mammalia)

4.  गण (Order) – आर्टियोडेटक्टाइला (Artiodactyla)

5.  कुल (Family) – बोवडी (Bovidae)

6.  वंश (Genus) – बुबेलस

7.  जाति (Species) –  बुबेलस-बुबेलिस

Buffalo Termonology  :-

1. बफैलो बुल (Buffalo Bull) – भैंस का वयस्क नर (Adult male)

2. She Buffalo – भैंस की वयस्क मादा (Adult female)

3. बफेलो बुल काफ – भैंस का जवान नर (Young male)

4. बफेलो हीफर काफ – भैंस की जवान मादा (Young female)

5. बफेलो काफ – भैंस का नवजात बच्चा (New Born)

6. बफेलो बुललॉक – भैंस पाडे में बन्धियाकरण की प्रक्रिया

7. काविंग (Calving) – भैंस में प्रसव की प्रक्रिया

8. सर्विंग (Serving) – भैंस में समागम (मैथुन) की प्रक्रिया

9. बेलोविंग (Bellowing) – भैंस में बोलने की आवाज

10. हर्ड (Herd) – भैंसों का समूह (झुण्ड)

11. क्रोमोसोम की संख्या – 50/48

12. बुबेलस-बुबेलिस – भैंस का वैज्ञानिक नाम

13. बुबेलस – भैंस का वंश (Genus)

14. बोविडी – भैंस की फैमिली

15. टीजर – टीजर वयस्क नर होता है जिसमें प्रजनन की क्षमता तो होती है परन्तु वीर्य में शुक्राणु नहीं होने से मादा पशु को गर्भित नहीं करते हैं।

16. हीफर – एक वर्ष से अधिक उम्र की बछिया जो ब्याही नहीं हो।

17. सोलीपैड – वे पशु जिनके खुर विभाजित नहीं होते हैं। जैसे- घोड़ा, गधा, खच्चर आदि।

18. बफन – रिवर भैंस के मांस को कहते हैं।

19. काराबीफ – स्वैम्प भैंस के मांस को कहते हैं।

20. भैंस के मांस को Black Diamond कहते हैं।

21. वेलोइंग– भैंस द्वारा जल में तेरना या किचड़ में लेटना।

22. भैंस में कुल स्थायी दाँत – 32, अस्थायी दाँत – 20

23. भैंस का औसत जीवनकाल – 15-20 वर्ष

24. भैंस में गर्भधारण की अवधि – 310  दिन (10 माह 10 दिन)

25. कैसीन – भैंस के दूध का सफेद रंग इस कारण होता है।

26. भैंस में इस्ट्रस की अवधि – 21 दिन

27. भैंस में मदकाल की अवधि – 12-36 घंटा

28. भैंस में यौवनावस्था की अवधि – 24-36 माह

29. भैंस के बछड़े में बंध्याकृत की आयु – 8 सप्ताह

30. भैंस के शरीर का सामान्य तापमान – 101°F

31. भैंस में नाड़ी दर/मिनट – 40-45

32. भैंस में श्वसन दर /मिनट – 8-18

33. सभी भैंसों में सबसे ज्यादा दूध में वसा – भदावरी (12-14%)

भैंस की नस्लों का विवरण

●  ICAR – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR) करनालहरियाणा के अनुसार भारत में भैंस की कुल 20 नस्लें पंजीकृत हैं।

S.No.Buffalo breedsState
1.BhadawariUttar Pradesh and Madhya Pradesh
2.JaffarabadiGujrat
3.MarathwadiMaharashtra
4.MehsanaGujarat
5.MurrahHaryana
6.NagpuriMaharashtra
7.Nili RaviPunjab
8.PandharpuriMaharashtra
9.SurtiGujarat
10.TodaTamilnadu
11.BanniGujarat
12.ChilikaOrissa
13.KalahandiOdisha
14.Luit (Swamp)Assam and Manipur
15.BargurTamil Nadu
16.ChhattisgarhiChhattisgarh
17.GojriPunjab and Himachal Pradesh
18.DharwadiKarnataka
19.MandaOdisha
20.PurnathadiMaharashtra

 विश्व की समस्त भैंसों को दो भागों में बाटाँ गया है–

1. अफ्रीकन

2. एशियन – एशियन भैंस को पुन: दो वर्गों में जंगली और पालतू में वर्गीकृत किया गया है।

भैंसें दो प्रकार की होती है–

1. स्वैम्प बफेलो  48 गुणसूत्र होते हैं।

2. रिवर बफेलो – 50 गुणसूत्र होते हैं।

– भारत में विश्व की कुल 54% भैंसें पाई जाती हैं।

– भारत का भैंसों की जनसंख्या के आधार पर विश्व में प्रथम स्थान है।

– भैंस पालन में भारत में प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश तथा द्वितीय स्थान राजस्थान का है।

– भारत में राजस्थान का भैंसों की जनसंख्या के आधार पर दूसरा स्थान है।

– राजस्थान में भैंस प्रजनन संस्थान – वल्लभनगर (उदयपुर)

– विश्व की कुल 95% भैंसों का उत्पादन एशिया महाद्वीप में होता है।

 ● भैंस की नस्लों को उनके भार एवं आकार के अनुसार निम्न भागों में विभाजित किया जाता है –

1. मध्यम श्रेणी – मेहसाणा, भदावरी, नागपुरी

2. भारी श्रेणी – जाफरावादी, मुर्रा, नीली-रावी

3. हल्की श्रेणी – सूरती

इन्हें भी जानें –

टोडा भैंस

–  तमिलनाडु की नस्ल हैं तथा इस नस्ल का शरीर लंबा व पैर छोटे होते हैं।

  ये भैंस की सबसे हिंसक नस्ल है इस नस्ल का उपयोग सांस्कृतिक गतिविधियों में किया जाता है।

–  जेरागी भैंसों की सबसे बौनी नस्ल है।

–  नागपुरी भैंस की सबसे हल्की नस्ल हैं जो महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पाई जाती है।   

 बन्नी भैंस की नस्ल राजस्थान में बाड़मेर व जालोर जिले में पाई जाती है।

 भैंसें दो प्रकार की होती है–

1.    स्वैम्प बफेलो – 48 गुणसूत्र होते हैं।

– यह भैंस मुख्यत: मांस उत्पादन के लिए तथा भार ढोने के लिए पाली जाती है।

– यह भैंस की नस्ल कीचड़ में तेरना पसंद करती है तथा वजन में हल्की होती है।

– यह भैंस की नस्ल मुख्यत: चाइना, म्यांमार, थाइलैण्ड, मलेशिया व इण्डोनेशिया में पाई जाती है।

2. रिवर बफेलो – 50 गुणसूत्र होते हैं।

– भैंस की यह नस्ल मुख्यत: भारत, पाकिस्तान व मध्य एशियाई देशों में पाई जाती है।

– भैंस की इस नस्ल को मुख्यत: दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है।

– भैंस की यह नस्ल स्वच्छ जल में तेरना पसंद करती है।

– विश्व में भैंसों की सर्वश्रेष्ठ नस्लें भारत में पाई जाती है।

– भारत में विश्व की कुल 54% भैंसें पाई जाती हैं।

– भैंसों की जनसंख्या के आधार पर भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।

– भैंस पालन में भारत में प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश का तथा द्वितीय स्थान राजस्थान का है।

– राजस्थान में भैंस प्रजनन संस्थान – वल्लभनगर (उदयपुर)

– विश्व की कुल 95% भैंसें एशिया महाद्वीप में पाई जाती है।

– भारत में विश्व की कुल 54% भैंसें पाई जाती हैं।

– भारत का भैंसों की जनसंख्या के आधार पर विश्व में प्रथम स्थान है।

– भैंस पालन में भारत में प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश तथा द्वितीय स्थान राजस्थान का है।

– भारत में राजस्थान का भैंसों की जनसंख्या के आधार पर दूसरा स्थान है।

– राजस्थान में भैंस प्रजनन संस्थान – वल्लभनगर (उदयपुर)

– विश्व की कुल 95% भैंसों का उत्पादन एशिया महाद्वीप में होता है।
 ● भैंस की नस्लों को उनके भार एवं आकार के अनुसार निम्न भागों में विभाजित किया जाता है –

1. मध्यम श्रेणी – मेहसाणा, भदावरी, नागपुरी

2. भारी श्रेणी – जाफरावादी, मुर्रा, नीली-रावी

3. हल्की श्रेणी – सूरती

अन्य बिन्दु :-
 – भारत में विश्व की कुल 54% भैंसें पाई जाती हैं।
 – भैंसों की जनसंख्या के आधार पर भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
 – भैंस पालन में भारत में प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश का तथा द्वितीय स्थान राजस्थान का है। 
 – राजस्थान में भैंस प्रजनन संस्थान – वल्लभनगर (उदयपुर)
 – विश्व की कुल 95% भैंसें एशिया महाद्वीप में पाई जाती है। 
 – टोडा भैंस तमिलनाडु की नस्ल है। 
 – इसका शरीर लंबा व पैर छोटे होते हैं तथा यह भैंस की सबसे हिंसक नस्ल है। 
 – इस नस्ल का उपयोग सांस्कृतिक गतिविधियों में किया जाता है। 
 – जेरागी, भैंसों की सबसे बौनी नस्ल है।
 – नागपुरी, भैंसों की सबसे हल्की नस्ल है जो महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पाई जाती है।   
 – भैंस की बन्नी नस्ल राजस्थान में बाड़मेर व जालोर जिले में पाई जाती है।
 – मणिपुरी भैंस की दलदली नस्ल है।
 – गरिमा विश्व की प्रथम क्लोन्ड भैंस है। जिसे 2009 में (NDRI करनाल, हरियाणा में) विकसित की गई।
 – महिमा विश्व की प्रथम क्लोन्ड कटडी (भैंस की बच्ची) इसे गरिमा ने 25 जनवरी ने 2013 को जन्म दिया।
 – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा भैंसों की रजत, दीपाश, अपूर्वा, स्वरूपा क्लोन विकसित किए गए हैं। 

1.मुर्रा नस्ल (Murrah) :-

– यह भैंस पश्चिमी उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा के रोहतक, हिसार से उत्पन्न मानी जाती है।

– राजस्थान में यह जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर व शेखावाटी के नीम का थाना क्षेत्र में अधिक पायी जाती है।

– मुर्रा भैंस अनुसंधान संस्थान – कुम्हेर, भरतपुर

 विशेषता –

– इस नस्ल को कुण्डी व दिल्ली भैंस भी कहा जाता है।

– इस नस्ल की भैंसों में सींग छोटे व मुड़े हुए (जलेबी की तरह) होते हैं।

– यह विश्व की दूध देने वाली भैंसों की श्रेष्ठ नस्ल है।

– इस नस्ल का रंग काला, चमकीला (JET BLACK) होता है परन्तु इनके मुँह, पैर व पूँछ पर सफेद धब्बे होते हैं।

– इनका सिर छोटा व ललाट उभरा हुआ होता है।

– इनकी त्वचा मुलायम, शरीर भारी व लम्बा होता है।

– भैंसों में साधारणतया थुई (कूबड़) व गलकम्बल (Dewlop) नहीं होते हैं।

– यह दुधारु नस्लें होती है। इनका औसत दुग्ध उत्पादन 1800-2500 लीटर प्रति ब्यात व दूध में 7% तक वसा होती है।

– इस नस्ल की मादा का भार – 500 kg व नर का भार 600 kg के आस-पास होता है।

– इनमें पूँछ छोटी होती है जो Hock Joint तक जाती है।

2. मेहसाणा :-

– यह एक संकरित नस्ल है जो मुर्रा व सूरती के प्रजनन से प्राप्त हुई है।

– इनका वितरण क्षेत्र गुजरात का मेहसाणा क्षेत्र, बनासकांठा, साबरकांठा व गुजरात के सभी मध्य क्षेत्रों में अधिक पायी जाती है।

– राजस्थान में यह नस्ल जालोर जिले में पाई जाती है।

 नस्ल की विशेषता –   

– इस नस्ल में रंग मुर्रा व सूरती का मिश्रित काला-भूरा होता है तथा इनमें सींग मध्यम आकार  के पीछे की तरफ जाकर अंदर की तरफ मुड़े हुए होते हैं।

– ये भैंस की सबसे शांत स्वभाव वाली नस्ल हैं।

– इनका सिर व ललाट भारी होता है व आँखे उभरी हुई होती है।

– इस नस्ल का दूधकाल लंबा होता है।

– इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 1200-1700 लीटर प्रति ब्यात व दूध में वसा प्रतिशत 7-8% तक होती है।

– नर का औसत भार 500 kg व मादा का 420 kg होता है।

3. जाफरावादी :-

– यह भैंस गुजरात के अहमदाबाद, काठियावाड़ क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है।

– इसका वितरण गिर जंगलों के आसपास आनन्द, बड़ौदा, जूनागढ़, जामनगढ़ आदि क्षेत्रों में होता है।

विशेषता –

– इस नस्ल का शरीर भारी लंबा व ढीला-ढाला होने के कारण इसे मिनी एलिफेंट के नाम से जाना जाता है।

– इस भैंस का रंग हल्का काला व इसके सींग बड़े-मोटे, भारी-भरकम होते हैं जो नीचे जाकर ऊपर की तरफ उठते हैं।

– इस नस्ल में सिर चौड़ा व ललाट बाहर निकला हुआ होता है।

– इनका शरीर भारी-भरकम व लम्बा होता है।

– इस नस्ल की भैंसें अच्छी दुधारु नहीं होती है तथा इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 900-1100 लीटर प्रति ब्यात होता है। (द्विकाजी प्रकार की) अर्थात् इनके नर अच्छे होते हैं।

– इस नस्ल में वसा प्रतिशत – 7-9% होता है।

– भार – नर का भार – 520kg व मादा का भार  420kg का होता है।

4. भदावरी :-

– इस नस्ल की भैंस उत्तरप्रदेश क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है।

– उत्तरप्रदेश में आगरा जिले का भदावर क्षेत्र, यमुना व चम्बल घाटी में बसे इटावा व ग्वालियर क्षेत्रों से इनका जन्म स्थान बताया जाता है।

– राजस्थान में यह नस्ल भरतपुर व धौलपुर में अधिक पायी जाती है।

विशेषता-  

– इस नस्ल में रंग भूरा काला ताँबे जैसा होता है।

– अडर छोटा होता है जिस पर दूध शिराएँ दिखाई देती है।

– इस नस्ल में गर्मी सहन करने की क्षमता सर्वाधिक होती है।

– इनका शरीर आगे से पतला व पीछे से चौड़ा होता है अर्थात् पत्ताकार होता है।

– इस नस्ल में सींग पहले चपटे तथा बाद में मोटे व पीछे की ओर मुड़कर अंदर की तरफ आते हैं।

– इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 800-1200 लीटर प्रति ब्यात होता है।

– इनमें वसा प्रतिशत सबसे अधिक होता है। (12-14%)

5. सूरती :-

– यह नस्ल गुजरात के सूरत, आनन्द, बड़ौदा, नाड़ियाद व खेड़ा क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है।

– वितरण क्षेत्र – दक्षिणी राजस्थान उदयपुर, डूँगरपुर व चित्तौड़गढ़

विशेषता –

– इस नस्ल की भैंसों में रंग भूरा व हल्का काला होता है व इनका आकार मध्यम होता है।

– यह हल्की व सामान्य श्रेणी की भैंस होती है।

– इस नस्ल की भैंसों में सींग लम्बे व पीछे जाकर मुड़ जाते हैं व इनकी आकृति हँसिया/दाँतला/सिकल सेप होर्न होती हैं।

– इस नस्ल में पूँछ के सिरों पर बालों का गुच्छा होता है।

– इस नस्ल की पीठ सीधी व त्वचा मोटी होती है।    

– इस नस्ल की भैंसों में जबड़े के नीचे व आँखों के ऊपर सफेद रंग की पट्टी होती है।

– इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 1600-1700 लीटर प्रति ब्यात होता है तथा दूध में वसा 7.5% होता है।

– इस नस्ल में नर 450-500 kg व मादा 350-400 kg तक होती है।

6. नीली रावी :-

– इस नस्ल की भैंस रावी व सतलज नदी के किनारे से उत्पन्न मानी जाती है। इनका वितरण क्षेत्र – पंजाब के फिरोजपुर, अमृतसर, यूपी के बरेली, मुरादाबाद व उत्तराखण्ड के रामपुर, नेनीताल जिलों में अधिक मिलती है।

– इस नस्ल का नाम सतलज व रावी नदी के नीले रंग के कारण ‘नीली’ रखा गया।

– मुर्रा के बाद सबसे अच्छी दुधारु नस्ल मानी जाती है।

– इस नस्ल की भैंसों में रंग सामान्य काला होता है अर्थात् मुर्रा से कम व जाफरावादी से अधिक काला होता है।

– इस नस्ल के सिर व पैरों में सफेद धब्बे/चिह्न पाए जाते हैं।

– इस नस्ल में आँखों का रंग कजरी (भूरा) बिल्ली जैसा होता है। (नीली में बिल्ली)

– इनमें अयन सुविकसित होता है जिस पर कभी-कभी गुलाबी धब्बे पाए जाते हैं।

– इस नस्ल में औसत दुग्ध उत्पादन 1500-1800 लीटर/ब्यात होता है अर्थात् यह अच्छी दुधारु भैंस होती है।

– दूध में वसा 8-10% होती है।

– इनमें नर का औसत भार 500-600 kg व मादा का औसत भार 450 kg होता है।

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