बकरी की नस्लों का विवरण (Description of Goat Breed)

बकरी की नस्लों का विवरण

– ICAR – राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, (NBAGR) के अनुसार भारत में बकरियों की पंजीकृत कुल 37 नस्लें हैं।

1.AttapadyKerala
2.BarbariUttar Pradesh and Rajasthan
3.BeetalPunjab
4.Black BengalWest Bengal
5.ChangthangiJammu and Kashmir
6.CheguHimachal Pradesh
7.GaddiHimachal Pradesh
8.GanjamOrissa
9.GohilwadiGujarat
10.JakhranaRajasthan
11.JamunapariUttar Pradesh
12.KanniAduTamilnadu
13.KutchiGujarat
14.MalabariKerala
15.MarwariRajasthan
16.MehsanaGujarat
17.OsmanabadiMaharashtra
18.SangamneriMaharashtra
19.SirohiRajasthan and Gujarat
20.SurtiGujarat
21.ZalawadiGujarat
22.Konkan KanyalMaharashtra
23.BerariMaharashtra
24.PantjaUttarakhand and Uttar Pradesh
25.TeressaAndaman & Nicobar
26.Kodi AduTamil Nadu
27.Salem BlackTamil Nadu
28.Sumi-NeNagaland
29.KahmiGujarat
30.RohilkhandiUttar Pradesh
31.Assam HillAssam and Meghalaya
32.BidriKarnataka
33.NandidurgaKarnataka
34.BhakarwaliJammu and Kashmir
35.SojatRajasthan
36.KarauliRajasthan
37.GujariRajasthan

– बकरियों की नस्लें – 1. देशी 2. विदेशी

– बकरी को गरीब की गाय भी कहा जाता है।

– बकरी को रेगिस्तान का चलता – फिरता फ्रीज या रनिंग डेयरी या डबल ATM कहते हैं क्योंकि इससे कभी भी ताजा दूध प्राप्त किया जा सकता है।

– बकरी के दूध में टी.बी. रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है।

● बकरी का वर्गीकरण :-

1.  जगत (Kingdom) – जन्तु जगत (Animalia)

2.  संघ (Phylum) – र्कोडेटा (Cordata)

3.  वर्ग (Class) – स्तनधारी (Mammalia)

4.  गण (Order) – आर्टियोडेटक्टाइला (Artiodactyla)

5.  कुल (Family) – बोवडी (Bovidae)

6.  वंश (Genus) – कैपरा

7.  जाति (Species) –  कैपरा हिरक्स

Goat Terminology :-

1. बक – लैंगिक रूप से परिपक्व नर बकरा जो प्रजनन के लिए उपयोगी हो।

2. डोई (Doe) – लैंगिक रूप से परिपक्व वयस्क मादा बकरी जो प्रजनन के लिए उपयोगी हो।

3. किड (Kid) – बकरी का बच्चा अर्थात् एक वर्ष या इससे भी कम उम्र का नर या मादा बच्चा, किड कहलाता हैं।

4. बकलिंग (Buckling) – एक वर्ष से ऊपर के उम्र के जवान नर बकरे को बकलिंग कहते हैं।

5. गोटलिंग (Goatling) – एक वर्ष से अधिक उम्र की जवान मादा बकरी को गोटलिंग कहते हैं।

6. ट्रिप (Trip) – बकरियों का समूह (झुण्ड)

7. पेन (Pen) – बकरी को रखने का स्थान

8. बिलटिंग (Bleating) – बकरी की बोलने की आवाज

9. वेडर (Wedder) – वयस्क नर बकरा जो बंधियाकृत हो।

10. Spayed – वयस्क मादा बकरी जिसका बंधियाकरण किया गया हो।

11. कैपरा हिरकस – बकरी का वैज्ञानिक नाम

 12. कैपरा (Capra) – बकरी का वंश (Genus)

13. बोविडी (Bovidae) – बकरी की फैमिली

14. बकरी में क्रोमोसोम (गुणसूत्र) की संख्या – 60

15. किडिंग (Kidding) – बकरी में प्रसव की प्रक्रिया

16. सर्विंग (Serving) – बकरी में समागम (मैथुन) की प्रक्रिया

17.  बकरी द्वारा अपने अगले पैरों को झाड़ी के तने पर रखकर अपने होठ व जीभ द्वारा पत्तों को खाना ब्राउजिंग कहलाता है।

द्विकाजी नस्लेंमांस उत्पादन वाली नस्लेंफाइबर वाली नस्लें
झखरानाब्लैक बंगालगड्‌डी
बीटलमालाबारीचिगु- चेंगू
जमुनापरीकच्छीचंगथंगी
बारबरीझालावाड़ी 
सूरतीसिरोही 
 मेहसाणा 
 ओसामानाबन्दी 
 गंजम 
 संगमनेरी 

         तोतापुरी नाक

– ट्रिक – ए चूजे बीज खा ले

  – एग्लोनुबियन

 चू – चोकला

 जे – जैसलमेरी

 बी – बीटल

  – जमुनापरी

पतीनुमा कान

– ट्रिक – सि गी मा बेटा

 सि – सिरोही

 गी – गिर

 मा – मालपुरा

 बेटा – बीटल

1. जमुनापरी :-

– यह नस्ल उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से उत्पन्न मानी जाती है।

– यह स्थान यमुना नदी के पास होने के कारण इसे जमुनापरी नस्ल कहा जाता है।

– इसका वितरण क्षेत्र उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के चंक्रनगर, सहासन गाँव तथा राजस्थान में भरतपुर व धौलपुर में अधिक पाई जाती है।

– इस नस्ल की बकरी की नस्ल को जादुई बकरी की नस्ल कहते हैं।

– इस नस्ल का रंग सफेद होता है व इस पर भूरे, काले रंग के धब्बे होते हैं।

– इस नस्ल में टाँगें लम्बी होती हैं व पिछले पैरों पर बाल पाए जाते हैं, जिन्हें फीदर्ड कहा जाता है।

– इस नस्ल में नाक ऊपर उठा हुआ होता है जिसे रोमन नोज/तोतापुरी नस्ल भी कहा जाता है।

– इस नस्ल का सिर चौड़ा व उभरा हुआ व कान लम्बे व लटके हुए होते हैं।

– इनके सींग लम्बे व पीछे की तरफ मुड़े हुए होते हैं।

– बकरे का भार 90 किग्रा. तथा बकरी का भार 60 किग्रा. होता है। अत: यह बकरियों में बड़े आकार की नस्ल है।

– इस नस्ल में 250 दिन के दुग्धकाल में 360 से 544 लीटर तक दूध होता है। (2-3 लीटर प्रतिदिन दूध होता है)

– इस नस्ल के दूध में वसा प्रतिशत 3.5-5% तक होता है।

– इस नस्ल की बकरी को दूध तथा मांस उत्पादन के लिए पाली जाती है।

2.            बारबरी :

– इसे शहर की बकरी भी कहा जाता है।

– यह बकरी पूर्वी अफ्रीका के सोमालिया प्रदेश के बारबरा क्षेत्र से उत्पन्न मानी जाती है।

– यह नस्ल दिल्ली, हरियाणा (गुडगाँव), करनाल तथा उत्तरप्रदेश में मथुरा, आगरा में पाई जाती हैं।

– भारत व राजस्थान में यह सभी जगह पाली जा सकती है।

– यह बकरी सफेद रंग की होती है जिस पर भूरे या कतई रंग के धब्बे होते हैं।

– इस नस्ल के पशु को बाँधकर घर पर पालने के लिए तथा शहरों के लिए उपयुक्त नस्ल है।

– इस नस्ल में छोटे-छोटे कान हरिण जैसे होते हैं व इनके पैर मध्यम आकार के व शरीर भी मध्यम आकार का होता है।

– यह छोटी होने व अधिक दूध देने से इसे शहर में आसानी से पाला जा सकता है, अत: इसे शहरी बकरी भी कहते हैं।

– इस नस्ल में सींग छोटे व मुड़े हुए होते हैं व इनके नर में दाढ़ी होती है।

– इस नस्ल के अयन विकसित तथा थन लम्बे होते हैं।

– इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 2.5-3.5 किग्रा तक होता है।

– इस नस्ल के दूध में वसा प्रतिशत 4.5-5% तक होता है।

– यह नस्ल दूध तथा मांस दोनों के लिए उपयुक्त नस्ल हैं अर्थात् द्विप्रयोजनीय नस्ल है।

– यह बकरियाँ 12-15 माह की अवधि में 2 बार ब्याति है और एक बार में अक्सर 2 बच्चे देती हैं।

– नर का भार 38Kg व मादा का भार 23Kg होता है।

3. बीटल :-

– यह पंजाबी नस्ल है। इसका जन्म स्थान पंजाब के गुरुदासपुर जिले से बताया गया है।

– वितरण क्षेत्र – गुरुदासपुर, अमृतसर, पटियाला तथा कोटला क्षेत्र

– पाकिस्तान में झेलम, समालकोट तथा गुजरावाला क्षेत्र में पाई जाती है।

– रावी नदी के क्षेत्र में इस नस्ल के उत्तम पशु पाए जाते हैं।

– इस नस्ल में रंग काला व शरीर पर सफेद धब्बे पाए जाते हैं।

– इस नस्ल के नर में सामान्यत: दाढ़ी होती है तथा इस नस्ल को मांस व दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है।

– इनके कान लम्बे लटके हुए व कानों पर सफेद धारियाँ पाई जाती हैं।

– शरीर मध्यम आकार का व सींग लम्बे, समतल व घुमावदार होते हैं।

– औसत दुग्ध उत्पादन 1.8 लीटर/प्रतिदिन तथा अधिकतम दूध उत्पादन 5.2 लीटर/प्रतिदिन होता है।

– इस नस्ल के दूध में वसा प्रतिशत 3.5-5% तक होता है।

– बकरों का वजन 75 किग्रा तक तथा मादा का वजन 50 किग्रा तक होता है।

– इस नस्ल में नाक उभरी हुई होती है, जिसे रोमन नोज/तोतापुरी नस्ल कहा जाता है।

– यह जमुनापारी नस्ल की बकरी से मिलती जुलती नस्ल है जो कद में छोटी होती है।

4. सिरोही :-

– यह सिरोही जिले की नस्ल है।

– यह नस्ल अजमेर के रामसर स्थित बकरी अनुसंधान केन्द्र से विकसित की गई है।

– वितरण क्षेत्र – अजमेर, उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा।

– रंग – भूरा होता है, जिस पर सफेद या काले धब्बे होते हैं।

– सिर छोटा व कान लम्बे, पत्तीनुमा लटके हुए होते हैं।

– इनके सींग छोटे व पीछे की तरफ मुड़े हुए होते हैं।

– इनकी टाँगें लम्बी व पीछे वाली टाँगों पर बाल होते हैं।

– इस नस्ल की पीठ हल्की झोलखाई हुई धनुषाकार होती है।

– यह द्विप्रयोजनी प्रकार की नस्ल है, इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 1-1.5 लीटर प्रतिदिन होता है। दूध में वसा 3.5 -4.5 प्रतिशत होती है।

– नर का औसत भार 50 किग्रा तथा मादा का औसत भार 40 किग्रा होता है।

– मांस (चेवोन) उच्च कोटि का व स्वादिष्ट होने के कारण मांस के लिए पाली जाती है।

5. जखराना

– राजस्थान में अलवर के बहरोड़ क्षेत्र की नस्ल जयपुर व अलवर में अधिक मिलती है।

–  डेयरी प्रकार की नस्ल है।

–  कान पर काले व सफेद धब्बे होते है।

–  बीटल बकरी से मिलती- जुलती नस्ल है।

– दूध उत्पादन 3- 4 kg प्रतिदिन

–  इसकी खाल का प्रयोग चमड़े उद्योग में किया जाता है।

– मांस तथा दूध उत्पादन दोनों कार्य की नस्ल मानी जाती है।

– अयन Hock joint तक  रंग काला होता है।

6. परबतसरी

उत्पत्ति – नागौर के परबतसर क्षेत्र से

 वितरण क्षेत्र – नागौर व अजमेर में पाई जाती है।

– रंग भूरा व शरीर पर भूरे धब्बे पाए जाते हैं।

– कान लम्बे व लटके हुए

– दुग्ध उत्पादन 1- 1.5 लीटर /प्रतिदिन

– नर का भार 50 kg तथा मादा का 40 kg होता है।

7. देवगढ़ी

उत्पत्ति – उदयपुर

 वितरण क्षेत्र – राजसमंद, कुंभलगढ़, नाथद्वारा, उदयपुर, भीलवाड़ा इत्यादि।

– इसका रंग हल्का भूरा होता है तथा गहरे भूरे रंग के धब्बे पूरे शरीर पर होते हैं इसलिए इसे मजीढी भी कहते हैं।

– इसके छोटे तथा थोड़े मुड़े हुए होते हैं।

– कान लम्बे होते हैं तथा उन पर भी भूरे धब्बे होते हैं।

– इस नस्ल में नर का शारीरिक भार 50 किग्रा. व मादा  का शारीरिक भार 30 किग्रा. होता हैं।

बकरी की विदेशी नस्लें –

 1. टोगनबर्ग :-

– यह एक विदेशी नस्ल है, जो स्विट्जरलैण्ड की टोगनबर्ग घाटी से उत्पन्न मानी जाती है।

 नस्ल की विशेषता –

– शरीर का रंग हल्का भूरा होता है तथा इनके मुँह, पैर व पूँछ पर सफेद धब्बे पाए जाते हैं।

– इस नस्ल में थूथन (मजल) से होकर कानों तक सफेद धारियाँ पाई जाती है जैसे सफेद रंग की पट्टी बाँधी हो।

– यह नस्ल सींग रहित होती है। इनका मुँह छोटा, सीधा होता है।

– यह नस्ल मध्यम आकार की होती है।

– इस नस्ल के कान छोटे व सीधे होते हैं।

– इस नस्ल के शरीर पर बाल चिकने होते हैं।

– शरीर के पिछले हिस्से पर घने बाल होते हैं।

– यह दुधारु प्रकार की नस्ल है। इनमें औसत दुग्ध उत्पादन 5-6 लीटर प्रतिदिन होता है।

– विदेशी नस्लों में सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल है।

– इस नस्ल के दूध में वसा 3-4% होती है।

– यह बकरी लगातार 2 साल तक दूध देती है।

2. अंगोरा

– उत्पत्ति – तुर्की/टर्की

विशेषता

–  मोहेर बाल प्राप्त होते हैं।

– मुलायम रेशमी बाल होते हैं।

– भेड़ जैसी बकरी की नस्ल होती है।

–  यह नस्ल बालों के लिए पाली जाती हैं।

–  सींग लम्बे व पीछे की तरफ मुडे़ हुए तथा कान छोटे होते हैं।

– नर का भार 35 kg व मादा का भार 22 kg होता है।

– दूध उत्पादन 0.5 kg/day होता है।

– यह दूधारु नस्ल नहीं है।

नोट –

– अंगोरा ऊन खरगोश से प्राप्त की जाती है।

3. सानेन

उत्पत्ति – स्विट्जरलैण्ड

 विशेषता

– नर व मादा दोनों में दाढ़ी पाई जाती है।

– इस नस्ल को मिल्क क्वीन के नाम से जाना जाता है।

– नस्ल में दूध उत्पादन 1-3 लीटर प्रतिदिन

4. एंग्लो-नुबियन

उत्पत्ति – इंग्लैण्ड

 विशेषता

– बकरियों की जर्सी गाय कहते हैं।

– यह बकरी की द्विकाजी नस्ल है।

– यह विदेशी बकरियों की सबसे बड़ी नस्ल है।

– यह नस्ल जमुनापरी × न्यूबियन का संकरण है।

– भारत में स्वदेशी नस्ल के अपग्रेडिंग के काम में लेते हैं।

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