उद्यान विज्ञान (Horticulture)
– यह लैटिन शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना होता है।
– Hortus – इसका अर्थ है – उद्यान
– Cultura का तात्पर्य – उगाने या कृषि से।
– उद्यान विज्ञान के अन्तर्गत फल, फूल, सब्जियों, मसाले वाली फसलों का अध्ययन किया जाता है।
– भारत में उद्यान विज्ञान के जनक – एम.एच. मेरीगोंड़ा
– भारत में आधुनिक उद्यान विज्ञान के जनक – डॉ के.एल. चड्ढा
– भारत में अलंकृत बागवानी के पिता – एम.एस. रन्धावा
– भारत में सुनहरी क्रांति के पिता – डॉ. के.एल. चड्डा
– गुलाब के पिता – बी.पी. पॉल
उद्यान विज्ञान की शाखाएँ:-
– फल विज्ञान(Pomology) – यह भी दो शब्दों से मिलकर बना होता है, पॉमम (लैटिन), लॉजी (ग्रीक) शब्दों से बना होता है।
– पॉमम का अर्थ है – फल
– लॉजी का अर्थ है – अध्ययन करना
– पॉमोलॉजी के जनक – Charls Dowing
– सिस्टेमैटिक पॉमोलॉजी के जनक – D. candoli
– सब्जी विज्ञान (Olericulture) – यह लैटिन शब्द से मिलकर बना है इसमें सब्जियों का अध्ययन किया जाता है।
– Oleris का अर्थ – Pot herb
– Cultura का अर्थ – Cultivation
– Olericulture का जनक – लिबर्टी हाइडे बेली
– पुष्प विज्ञान (Floriculture) – यह लैटिन शब्द से मिलकर बना है इसमें सुगन्धित पौधों या फूलों का अध्ययन किया जाता है।
– Floriculture के जनक – एम.एस. रंधावा
– रोपण फसलें (Plantation crop) – उद्यान विज्ञान की वह शाखा जिसमें ऐसी फसलों का अध्ययन किया जाता है जो विस्तृत क्षेत्र में बोई जाती है; जैसे – चाय, कॉफी आदि।
– विटीकल्चर (Viticulture) – यह लैटिन भाषा का शब्द है इसमें अंगूर की खेती का अध्ययन किया जाता है।
– सुगंधित फसलें (Aromatic crops):- इसमें सुगंधित फसलों का अध्ययन किया जाता है।
– औषधीय फसलें (Meditional crops) – ऐसे पौधे जो किसी रोग के उपचार में काम आते हो; जैसे- ग्वारपाठा, सर्पगंधा आदि।
– आरबोरिकल्चर (Arboriculture) – यह लैटिन शब्द से मिलकर बना है इसमें काष्ठीय पौधों व पेड़-झाड़ियों का अध्ययन किया जाता है।
उद्यान विज्ञान से संबंधित महत्त्वपूर्ण पुस्तकें:-
– “Fruit growing in india” – यह भारत में प्रकाशित होने वाली उद्यानिकी से संबंधित पहली पुस्तक है। इसके लेखक H.B. Hayes (1945) है।
– डॉ. के.एल. चड्डा द्वारा लिखी गई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें–
1. Environment and agriculture
2. Vegitable growing in india
3. Hand book of horticulture
4. Recent initiatives in agriculture
महत्त्वपूर्ण संस्थान:-
1. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR)- हसघट्टा, बेंगलुरु
2. अन्तर्राष्ट्रीय बागवानी नवाचार एवं प्रशिक्षण केंद्र -दुर्गापुरा (जयपुर)
3. राष्ट्रीय उद्यानिकी बोर्ड (NHB) – गुरुग्राम (हरियाणा)
4. राज्य उद्यानिकी निदेशालय – जयपुर
5. केन्द्रीय शुष्क उद्यानिकी संस्थान – बीकानेर
6. केन्द्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान संस्थान – तबीजी (अजमेर)
7. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास संघ – किशनगढ़बास (अलवर)
8. सेण्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एरोमैटिक मेडिसनल प्लांट – लखनऊ (उत्तर-प्रदेश)
9. भारतीय सब्जी अनुसंधान निदेशालय – वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
10. भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान – कालीकट (केरल)
11. केन्द्रीय उपोष्ण उद्यानिकी संस्थान – लखनऊ
12. केन्द्रीय समशीतोष्ण उद्यानिकी संस्थान – श्रीनगर
13. केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान – शिमला (हिमाचल प्रदेश)
14. केन्द्रीय नीबू वर्गीय फल अनुसंधान संस्थान – नागपुर (महाराष्ट्र)
15. बेर अनुसंधान केन्द्र – बीकानेर
16. खजूर अनुसंधान केन्द्र – बीकानेर
17. राष्ट्रीय अँगूर अनुसंधान केन्द्र – पुणे (महाराष्ट्र)
18. राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केन्द्र – शोलापुर (महाराष्ट्र)
19. राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र – तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)
20. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र – मुजफ्फरपुर (बिहार)
21. औषधीय एवं सुगन्धित पादप अनुसंधान निदेशालय – आणंद (गुजरात)
22. प्याज व लहसून अनुसंधान निदेशालय – पुणे (महाराष्ट्र)
फल व सब्जियों का वर्गीकरण
जलवायु के आधार पर फलों का वर्गीकरण:-
1. उष्ण जलवायु के फल – आम, केला, पपीता, अमरूद, चीकू, कागजी नीबू, अन्नानास, सीताफल, सुपारी, नारियल,काजू, कटहल आदि।
2. उपोष्ण जलवायु के फल – बेर, खजूर, अनार, आँवला, बील, फालसा, अँगूर, लहसुआ, लीची व अन्य नीबू वर्गीय फल ।
3. शीतोष्ण जलवायु के फल – सेब, नाशपति, बादाम, स्ट्रॉबेरी, चेरी, अखरोट, खुमानी, आडू आदि।
फलों का पकाव के आधार पर वर्गीकरण:-
1. क्लाईमैट्रिक फल– ऐसे फल जिनको तुड़ाई के बाद पकाने की आवश्यकता होती है वह क्लाईमैट्रिक फल कहलाते हैं।
आम, पपीता, केला, अमरूद, सेब, खरबूजा (सब्जी-टमाटर) आदि।
2. नॉनक्लाइमैट्रिक फल– ऐसे फल जिनको तुड़ाई के बाद पकाने की आवश्यकता नहीं होती है। वह नॉनक्लाईमैट्रिक फल कहलाते हैं। नीबूवर्गीय फल, अनार, बेर, आँवला, लहसुआ, अँगूर, अन्नानास, लीची, कद्दू वर्गीय सब्जियाँ आदि।
बीज पत्र के आधार पर फल-सब्जियों का वर्गीकरण:-
1.एकबीजपत्री – ऐसे पादप जिनके बीज में एक ही बीज पत्र होता है तथा इन पादपों की जड़ें रेशेदार व झकड़ा प्रकार की होती है । जैसे – केला, खजूर, नारियल, अन्नानास आदि।
सब्जियाँ – मीठी मक्का (कगोसा) प्याज, लहसुन, सतावर,अरबी, जमीकंद, रतालू आदि।
2. द्विबीजपत्री – ऐसे पादप जिनके बीज में दो बीज पत्र पाए जाते हैं तथा इनकी जड़ें मूसला प्रकार की होती है; जैसे – आम, पपीता, अमरूद, चीकू, नीबू, बेर, बेल, लहसुआ, आँवला, अँगूर, अनार, लहसुन व प्याज को छोड़कर सभी सब्जियाँ।
ऋतुओं के आधार पर सब्जियों का वर्गीकरण:-
1. वर्षा ऋतु/खरीफ की फसल – जून से सितम्बर तक – ग्वार, लौकी, करेला, भिण्डी, तोरई, खीरा, टमाटर, बैंगन आदि।
2. शीत ऋतु/रबी की फसल – अक्टूबर से फरवरी तक – गोभी वर्गीय (मूली, पत्तागोभी) मटर, प्याज, लहसुन, गाजर आदि।
3. ग्रीष्म ऋतु/जायद की फसल – मार्च से मई तक – भिण्डी व कद्दू वर्गीय सब्जियाँ (लौकी, तोरई, ककड़ी, करेला, खरबूजा, टिण्डा आदि)
4. दिवस निष्प्रभावी सब्जियाँ – कभी भी उगायी जा सकती है।
उदाहरण- भिण्डी, खीरा, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, चौलाई, राजमा आदि।
परागण के आधार पर वर्गीकरण:-
1. स्वपरागित फल-सब्जियाँ – चवला, मैथी, मटर, टमाटर, आलू, अँगूर, नीबू वर्गीय फल आदि।
2. परपरागित सब्जियाँ व फल – खजूर, पपीता, आँवला, सेव, नाशपति गाजर, प्याज, लौकी, खीरा, टिण्डा, खरबूजा, तरबूज आदि।
3. प्राय: परपरागित सब्जियाँ – भिण्डी, बैंगन, मिर्च, सेमफली (लेग्यूम में एकमात्र)
लवण सहनशीलता के आधार पर वर्गीकरण:-
1. अधिक लवण सहनशील – खजूर, बेर, आँवला, अनार, करेला, चुकन्दर, पालक, शलजम आदि
2. लवण असहनशील – आलू, मटर, बैंगन, शकरकंद, मूली, आदि।
अम्लीयता सहनशीलता के आधार पर वर्गीकरण:-
1. सर्वाधिक अम्लीयता सहनशील- आलू, शकरकंद, तरबूज, सौंफ, अंजीर, स्ट्रॉबेरी आदि।
2. अम्लीय असहनशील – गोभी वर्गीय (मूली, फूलगोभी, खरबूजा, भिण्डी व प्याज)
लिंग के आधार पर फल व सब्जियों का वर्गीकरण:-
1. एकलिंगी- नर एवं मादा पुष्पों का अलग-अलग पौधों पर पाया जाना डायोसियस होता है; जैसे- पपीता, खजूर, फालसा, कीवी फ्रूट, परवल, पालक, चुकन्दर, सतावर आदि।
2. द्विलिंगी – नर एवं मादा पुष्पों का एक ही पौधे पर अलग-अलग भागों में पाया जाना मोनोसियस कहलाता है; जैसे- केला, आँवला, नारियल, कटहल, कद्दूवर्गीय सब्जियाँ व चौलाई।
3. मादा-एकलिंगी – एक पौधे पर मादा पुष्प व दूसरे पौधे पर उभयलिंगी पुष्प का पाया जाना; जैसे- अंजीर, पपीता की किस्में।
4. मादा-द्विलिंगी – इस स्थिति में एक पौधे पर मादा पुष्प तथा उसी पौधे पर उभयलिंगी पुष्प पाया जाता है; जैसे- काली मिर्च आदि।
5. नर-एकलिंगी – इस स्थिति में एक पौधे पर नर पुष्प तथा दूसरे पौधे पर उभयलिंगी पुष्प पाया जाता है; जैसे- रामबुरानी आदि।
6. नर-द्विलिंगी – इस स्थिति में पौधे के एक भाग पर नर पुष्प तथा उसी पौधे के दूसरे भाग पर उभयलिंगी पुष्प पाया जाता है; जैसे- आम आदि।
7. प्रकाशप्रदीप्तिकालिता के आधार पर – प्रकाशप्रदीप्तिकालिता की अवधारणा ऐलार्ड व गार्डनर में 1920 में प्रस्तुत की थी।
(i) दीर्घ प्रकाशपेक्षी पादप:– ऐसे पादप जिन्हें अपना पुष्पनकाल पूर्ण करने के लिए 14 घंटे से अधिक की प्रकाशावधि की आवश्यकता होती है; जैसे – शीतोष्ण जलवायु वाले पौधे (सेब)
(ii) अल्प प्रकाशपेक्षी पादप:– ऐसे फलदार वृक्ष जिन्हें अपना पुष्पकाल पूर्ण करने हेतु 10 घंटे से कम प्रकाशावधि की आवश्यकता होती है; जैसे – उष्ण व उपोष्ण जलवायु वाले फलवृक्ष (स्ट्रॉबेरी/अन्नानास)
(iii) दिवस निष्प्रभावी पादप:- ऐसे पादप जिन्हें अपना पुष्पकाल पूर्ण करने के लिए किस विशेष प्रकाशावधि की जरूरत नहीं होती है; जैसे – पपीता, अमरूद, केला।
फलों के अन्य नाम:-
· राष्ट्रीय फल/बाथरूम फ्रूट – आम
· कल्पतरु/एंडमस फिग – केला
· एप्पल ऑफ ट्रॉपिक्स – अमरूद
· मसालों की रानी – छोटी इलायची
· मसालों का राजा – कालीमिर्च
· शीतोष्ण फलों का राजा – सेव
· इण्डियन गूज बेरी – आँवला
· इण्डियन ब्लैक बेरी – जामुन
· पेय पदार्थों की रानी – चाय
· मैंगो स्टीन – लीची
· शुष्क फलों का राजा – बेर
· कल्पवृक्ष – नारियल
· फलों की रानी – लीची
· गरीब का एप्पल – बेर
· फूलों का राजा – गुलाब
· फूलों की रानी – चमेली
· सैंचूरी प्लांट – खजूर
· सब्जियों का राजा – आलू
· चीन का चमत्कारी फल – कीवी फल
· नट फसलों का राजा – अखरोट
· फूलों का राजा – डहेलिया/कारनेशन
· सब्जियों की रानी – भिण्डी
· नट फसलों की रानी – मूँगफली
· भगवान का भोजन – कोकोवा
· स्वर्ग का पेड़ – नारियल
· बटर फ्रूट – एवाकादो
· वेजिटेबल मीट – चवला/लोबिया
· गरीब का संतरा – टमाटर
· लव ऑफ एप्पल – टमाटर
· जैव ऊर्जा पौधा – जेट्रोपा
· पूर्व की महिमा – गुलदाऊदी
· शरद ऋतु की रानी – क्राइसेन्थमम
· राजस्थान मे फलों का राजा – बेर
· एग प्लाण्ट – बैंगन
· वन्डर ट्री – नीम
उद्यानिकी में राजस्थान व भारत की स्थिति-
– भारत का विश्व में फल व सब्जी उत्पादन में स्थान – द्वितीय
– भारत का विश्व में प्रथम स्थान – आम, केला, पपीता, काजू, सुपारी, आलू तथा भिण्डी के उत्पादन में।
– भारत में औषधीय पादप उत्पादन में प्रथम राज्य – राजस्थान
– मसालों के उत्पादन में प्रथम राज्य – मध्य प्रदेश
– मसालों के उत्पादन में राजस्थान का स्थान – द्वितीय
– फल उत्पादन में अग्रणी राज्य – आन्ध्र प्रदेश (प्रथम)
द्वितीय स्थान – महाराष्ट्र
– फलों के क्षेत्रफल में अग्रणी राज्य – पश्चिमी बंगाल
– राजस्थान में फलों के क्षेत्रफल व उत्पादन में अग्रणी जिला- झालावाड़
– फलों की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन – भारत में – 172 ग्राम
– राजस्थान में फलों की उपलब्धता प्रति व्यक्ति/प्रतिदिन – 25 ग्राम
– सब्जियों की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन – भारत में – 357 ग्राम
– WHO के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रति दिन 90-100 ग्राम फलों का सेवन करना चाहिए।
– राजस्थान में सब्जियों की उपलब्धता प्रति व्यक्ति/प्रतिदिन – 51.38 ग्राम
– देश में RDA (प्रति व्यक्ति प्रति दिन डाइट अलाउंस) की घोषणा ICMR के द्वारा की जाती है।
– ICMR (भारतीय औषधीय अनुसंधान संस्थान) का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
– ICMR के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को प्रति दिन 150 ग्राम फलों की आवश्यकता होती है।
– ICMR के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को प्रति दिन 300 ग्राम सब्जियों की आवश्यकता होती है जिसमें से 125 ग्राम हरे पत्तेदार सब्जियाँ, 100 ग्राम जड़ व कंद वाली सब्जियाँ, 75 ग्राम अन्य सब्जियाँ।
– राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाया जाने वाला फल – संतरा (24.23 हजार हेक्टेयर, स्रोत– 2018-19)
– राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन देने वाला फल – संतरा (4.88 लाख टन)
– राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाया जाने वाला मसाला – जीरा
– राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन व क्षेत्रफल में उगाई जाने वाली सब्जी – प्याज
– राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादित फूल – गुलाब
– राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन व क्षेत्रफल वाला औषधीय पादप – ईसबगोल
उद्यानिकी में राष्ट्रीय पहचान
– भारत का राष्ट्रीय पुष्प – कमल
वानस्पतिक नाम – निलम्बो न्यूसीफेरा
– राजस्थान का राज्य पुष्प – रोहिड़ा
वानस्पतिक नाम – टिकोमेला अंडूलेटा
– भारत का राष्ट्रीय फल – आम (Mango)
वानस्पतिक नाम – मैंजीफेरा इण्डिका
– भारत का राष्ट्रीय वृक्ष – बरगद
वानस्पतिक नाम – फाइकस बैंगोलेन्सिस
– राजस्थान का राजकीय वृक्ष – खेजड़ी
वानस्पतिक नाम – प्रोसोपिस सिनेरेरिया
आय का तुलनात्मक अध्ययन उद्यानिकी में –
– गेहूँ का उत्पादन प्रति हेक्टेयर – 4 टन
मूल्य – 16,000 रुपये प्रति टन
सकल आय – 64,000 रुपये
– उद्यानिकी – आम का उत्पादन प्रति हेक्टेयर – 8.43 टन
प्रति टन मूल्य – 10,000 रुपये
सकल आय – 84,300 रुपये
– केला का उत्पादन – 30.24 टन/प्रति हेक्टेयर
प्रति टन मूल्य – 4,000
सकल आय – 1,20,960 रुपये
– अँगूर का उत्पादन प्रति हैक्टयर – 16.95 टन
प्रति टन मूल्य – 12,000 रुपये
सकल आय – 2,03,400 रुपये
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