डिब्बाबन्दी, सुखाना एवं निर्जलीकरण की तकनीक व राजस्थान में इनकी परम्परागत विधियाँ
डिब्बाबंदी (Canning)
· फल व सब्जियों को लम्बे समय तक उनके प्राकृतिक स्वाद में परिरक्षित रखने के लिए डिब्बाबंदी करना आवश्यक है। डिब्बाबंदी को एपेटाइजिंग (Appetizing) भी कहते हैं।
· डिब्बाबंदी की खोज निकोलस अपार्ट ने 1804 में की।
डिब्बाबंदी की विभिन्न प्रक्रिया निम्नलिखित है–
1. फल व सब्जियों का चुनाव–
· फल व सब्जियाँ अधिक पकी हुई नहीं होनी चाहिए।
· फल व सब्जियाँ दाग धब्बे रहित व क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए।
· फल व सब्जियाँ स्वस्थ, ताजा व मुलायम होनी चाहिए।
2. सफाई–
· फल व सब्जियों को अच्छे प्रकार से साफ करने के बाद डिब्बाबंदी के लिए प्रयोग करे।
· प्रारंभ में इन्हें साधारण पानी से व इसके बाद गर्म पानी से धोने चाहिए।
3.फल एवं सब्जियों को छीलना/काटना–
· हाथ द्वारा छीलना:- आम व पपीता
· यांत्रिक रूप से छीलना:- सेब, आडू, नाशपती, शलजम, अन्नानास, गाजर आदि।
· स्टीम पीलिंग/गर्म वाष्प द्वारा छीलना:- आलू,व टमाटर
· फ्लेम पीलिंग/गर्म तेज आग की लौ द्वारा छीलना:- प्याज व लहसुन
· ले-पीलिंग:- ले पीलिंग में 2 प्रतिशत कॉस्टिक सोडे का घोल तैयार किया जाता है। इसे 93 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करके उसमें फलों को 30 सेकण्ड से 2 मिनट के लिए रखा जाता है तथा उसके बाद बाहर निकाल कर साफ कर लिया जाता है उदाहरण- आलू व गाजर।
· फलों को काटने के बाद 2 प्रतिशत नमक के घोल में डाला जाता है। जिससे इनका रंग खराब नहीं होता।
4. विविकरण (ब्लाँचिंग)–
· फल व सब्जियों में एन्जाइमों को निष्क्रिय करने के लिए इन्हें 2 से 5 मिनट तक उबालते है, जिससे इनकी उपापचय क्रियाएँ बन्द हो जाती है। इस क्रिया को ब्लाँचिंग कहते है।
· ब्लाँचिंग मुख्यत: सब्जियों में की जाती है।
5. डिब्बो में भरना–
· फल व सब्जियों के टुकड़ों को डिब्बों अथवा काँच की बोतल में भरा जाता है।
· डिब्बा भरने के पश्चात् ऊपर का कुछ भाग (½ से ¾ इंच)खाली रहना चाहिए।
· डिब्बाबंदी के समय शक्कर के घोल की सान्द्रता 20 से 55°(Brisk) तक रखी जाती है।
· चीनी की चाशनी निम्न प्रकार की होती है।
गाढ़ी चाशनी (50% चीनी)
मध्यम चाशनी (40% चीनी)
हल्की चाशनी (33% चीनी)
· सब्जियों की डिब्बाबंदी के लिए सीरप के स्थान पर नमक का घोल का प्रयोग किया जाता है।
· 2 प्रतिशत नमक का घोल (ब्राइन) सब्जियों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
6. वायु निष्कासन–
· वायु की अनुपस्थिति में सूक्ष्म जीव क्रियाशील नहीं रह पाते हैं। इसलिए फल व सब्जियों से बने उत्पादों के डिब्बों में से वायु बाहर निकाल देते हैं। जिससे इन्हें कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
7. डिब्बों को बंद करना–
· डिब्बों को बंद करने की मशीन को डबल सीमर कहते है। यह मशीन विभिन्न आकार व क्षमता की होती है।
· बंद करते समय डिब्बों का तापमान 70°C से कम नहीं होना चाहिए।
8. संसाधन–
· बंद डिब्बों में उपस्थित सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने के लिए इन्हें निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है।
· सब्जियों में अम्ल कम होने के कारण अधिक समय तक गर्म किया जाता है।
· डिब्बाबंदी में संसाधन के बाद डिब्बे को 39°C तापमान तक ठण्डा किया जाता है।
नोट-
डिब्बे पर पदार्थ व निर्माता से संबंधित विभिन्न जानकारियों के लिए लेबल लगाया जाता है। जिस पर निर्माता एवं सामग्री का नाम, तैयार करने की दिनांक व अन्य संबंधित जानकारियाँ दी जाती है।
सुखाना (Drying):-
· फल व सब्जियों में 80-90% तक नमी पाई जाती है इसलिए यह शीघ्र खराब होने लगते हैं।
· फलों व सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए धूप या छाँव में सुखाया जाता है।
निर्जलीकरण (Dehydration):-
· फलों व सब्जियों को सुखाने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है इससे फलों व सब्जियों का रंग खराब नहीं होता है। यह विधि सुखाने से अच्छी मानी जाती है।
निर्जलीकरण की विधियाँ:-
1. गर्म हवा द्वारा:- यह विधि व्यावसायिक स्तर पर अपनाई जाती है।
2. गर्म पानी द्वारा:- पानी को 90 से 133 डिग्री सेंटीग्रेड द्वारा गर्म किया जाता है व पानी को पाइप में डालकर फल व सब्जियों को सुखाया जाता है इससे अच्छी गुणवत्ता वाला उत्पाद प्राप्त होता है।
3. परासरण द्वारा:- परासरण द्वारा अँगूर से किसमिस बनाई जाती है।
4. फ्रिज द्वारा:- उच्च गुणवत्ता का फलरस पाउडर तैयार करने के लिए फ्रिज द्वारा निर्जलीकरण किया जाता है।
5. भट्टी द्वारा
6. किलन ड्रायर द्वारा
नोट:- फलों के स्थायी परिरक्षण के लिए 10-20% नमी रखी जाती है व सब्जियों में स्थायी परिरक्षण के लिए 6-8% नमी रखते हैं।
· सर्वाधिक सुखाया जाने वाला फल अंजीर है व सर्वाधिक सुखाई जाने वाली सब्जी मटर है।
· फलों के निर्जलीकरण के लिए तापमान 66-71 डिग्री सेंटीग्रेड
· सब्जियों के निर्जलीकरण के लिए तापमान 60-67 डिग्री सेंटीग्रेड
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