फल परीरक्षण के सिद्धान्त एवं विधियाँ
फल व सब्जियों को परिरक्षित करने के सिद्धांत–

· फल परिरक्षण के सिद्धांत एवं विधियाँ दो भागों में विभाजित की गई है।
1. स्थायी परिरक्षण–
· परिरक्षण की ऐसी विधियाँ जिसमें फलों को लम्बे समय तक (कुछ वर्षा तक) परिरक्षित किया जा सकता है। स्थायी परिरक्षण के अंतर्गत आती है।
जीवाणुविहीनीकरण द्वारा–
· इस विधि में फल व सब्जियों को डिब्बो में भरकर वायुरहित करके 30 से 60 मिनट तक 100° C पर गर्म करते है।
· अम्लीय फल व सब्जियों में निर्जीवीकरण 100°C तापमान पर करते है।
· क्षारीय फल व सब्जियों में निर्जीवीकरण 115 से 121°C तापमान पर करते है।
निर्जलीकरण /सुखाना–
· इस विधि में फल व सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ो में काटकर निर्जलीकृत किया जाता है।
· यह विधि परिरक्षण की प्राचीन एवं प्रचलित विधि है।
· जब कुल ठोस पदार्थ की मात्रा 70 प्रतिशत से अधिक हो जाये तो फल व सब्जियों में उपस्थित सूक्ष्म जीव निष्क्रिय हो जाते हैं।
किण्वन–
यह एक रासायनिक क्रिया है जिसमें एन्जाइम युक्त सुक्ष्म जीवो द्वारा शर्करायुक्त पदार्थो का अपघटन किया जाता है। इसके फलस्वरूप ऐसे पदार्थों का निर्माण होता है जो अवाँछित है। सूक्ष्म जीवों एवं एन्जाइम की गतिविधियों को रोक देते है।
- एल्कोहॉलिक किण्वन- इस क्रिया द्वारा हैक्सोज शर्करा का अपघटन खमीर द्वारा होता है, व एल्कोहॉल का निर्माण होता है जो की परिरक्षक का कार्य करता है।

- एसिटिक अम्ल किण्वन- इस विधि में एसिटिक अम्ल प्रमुख परिरक्षक तत्त्व है। उदाहरण- सिरका।

(iii) लैक्टिक अम्ल किण्वन- इस विधि में लैक्टिक अम्ल मुख्य परिरक्षक का कार्य करता है, इसमें डैक्ट्रोस शर्करा का अपघटन जीवाणु द्वारा किया जाता है। उदाहरण- अचार।
विभिन्न परिरक्षक पदार्थों द्वारा–
(i) शर्करा द्वारा– इसमें खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए 60 से 70 प्रतिशत शर्करा काम मे ली जाती है। इसमें परासरण के दबाव के कारण सूक्ष्मजीव निष्क्रिय हो जाते हैं। उदाहरण- जैम, जैली, मुरब्बा व मार्मलेड आदि।
(ii) नमक द्वारा– इसमें खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए 15 से 20 प्रतिशत नमक काम में लिया जाता है। नमक के घोल को ब्राइन कहते है; उदाहरण-अचार,चटनी आदि।
(iii) तेल द्वारा– तेल द्वारा खाद्य पदार्थो में उपस्थित सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते है एवं तेल फफूँद निरोधक का कार्य भी करते हैं; उदाहरण- अचार।
(iv) सिरका द्वारा– इसमें उपस्थित एसिटिक अम्ल सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है। एसिटिक अम्ल की 2 प्रतिशत मात्रा सूक्ष्मजीवों का मार देती है। उदाहरण- अचार।
रासायनिक परिरक्षक–
(i) पौटेशियम मेटा बाईसल्फाइट (KMS)
· यह एक शक्तिशाली परिरक्षक रसायन है तथा परिरक्षण में 350-500 PPM (0.035-0.05%) मात्रा काम में ली जाती है।
· KMS का प्रयोग रंगहीन व हल्के रंगों के फलों को परिरक्षित करने में काम लेते हैं।
· KMS में SO2 (सल्फर डाइ ऑक्साइड) गैस परिरक्षण का कार्य करती है।
(ii) सोडियम बेन्जोएट –
· यह हल्का परिरक्षक रसायन है जिसकी 600-1000 PPM (0.06-0.010%) मात्रा का प्रयोग किया जाता है।
· इसमें बेन्जोएट अम्ल परिरक्षण का कार्य करता है।
· टमाटर सॉस/कैचप में परिरक्षण का कार्य करता है।(0.25 gm/kg)
· यह रंगीन फलों के परिरक्षण में काम लिया जाता है।
कार्बन-डाइऑक्साइड द्वारा–
· कार्बनीकृत पेय पदार्थो में CO2 परिरक्षक का कार्य करती है।
विकिरण द्वारा–
· सामान्यत खाद्य पदार्थो का परिरक्षण गामा विकिरण द्वारा किया जाता है, इसे ठण्डी जीवाणुविहीनीकरण क्रिया भी कहते हैं।
2. अस्थायी परिरक्षण–
· अस्थायी परिरक्षण द्वारा फल व सब्जियों को कम समय तक (कुछ दिनों) परिरक्षित किया जा सकता है। इसमें निम्नलिखित विधियाँ सम्मिलित है; यथा-
स्वच्छता–
· फल व सब्जियों पर तुड़ाई उपरांत लगी धूल व मिट्टी को साफ कर लेना चाहिए। जिससे कि इन पर लगे सूक्ष्म जीवों की संख्या कम हो सके।
· तुड़ाई के बाद कटे-फटे फल व सब्जियों को भण्डारण से पूर्व छाँट कर अलग कर लें।
निम्न तापक्रम–
· निम्न तापक्रम पर सूक्ष्म जीवों की वृद्धि तथा एन्जाइम की क्रिया कम हो जाती है। जिसके फलस्वरूप व सब्जियों को कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
· फ्रिजिंग – यह फल सब्जियों को परिरक्षित करने की एक अस्थाई विधि-
(i) कुल फ्रीजिंग– फलों व सब्जियों को लगभग 15°C तापमान पर परिरक्षित किया जाता है। (घरेलू फ्रीज में सब्जियों व फलों को सुरक्षित रखना)
(ii) चिलिंग फ्रीजिंग– फलों व सब्जियों को बर्फ के रूप में 0-5°C तापमान पर कुछ समय तक सुरक्षित रखा जाता है।
उच्च तापक्रम–
· उच्च तापक्रम द्वारा एन्जाइम निष्क्रिय हो जाते हैं तथा सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है।
(i) पास्तुरीकरण– कम समय तक फल व सब्जियों को परिरक्षित करने के लिए 100°C से कम तापमान पर गर्म करते हैं। जिससे सूक्ष्म जीव व इनकें बीजाणु नष्ट या निष्क्रिय हो जाते है।
· इसकी खोज लुई पास्चर ने की थी।
(ii) विविकरण (ब्लाँचिंग)– फल व सब्जियों में एन्जाइमों को निष्क्रिय करने के लिए इन्हें 2 से 5 मिनट तक उबालते है, जिससे इनकी उपापचय क्रियाएँ बन्द हो जाती है। इस क्रिया को ब्लाँचिंग कहते है।
· ब्लाँचिंग मुख्यत: सब्जियों में की जाती है।
वायु निष्कासन द्वारा–
· वायु की अनुपस्थिति में सूक्ष्म जीव क्रियाशील नहीं रह पाते हैं। इसलिए फल व सब्जियों से बने उत्पादों के डिब्बो में से वायु बाहर निकाल देते हैं। जिससे इन्हें कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
नमी निष्कासन द्वारा–
· फल व सब्जियों में 80 से 90 प्रतिशत तक नमी होती है।
· फल व सब्जियों में नमी की मात्रा को कम करके व कुल ठोस पदार्थों की मात्रा को बढ़ाकर इन्हें कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
मृदु प्रतिरोधी पदार्थों का उपयोग–
· नमक- 6 से 8 प्रतिशत
· चीनी- 42 से 50 प्रतिशत
· सिरका- 0.5 से 1.5 प्रतिशत
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