राजस्थान की बावड़ियाँ
रानीजी की बावड़ी
● बूँदी जिले में स्थित यह बावड़ी बावड़ियों का सिरमौर है।
● इस बावड़ी का निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नाथावतीजी ने 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था।
अनारकली की बावड़ी
● रानी नाथावतजी की दासी अनारकली द्वारा निर्माण करवाया गया।
● वर्तमान छत्रपुरा क्षेत्र (बूँदी) में निर्मित।
● गुल्ला की बावड़ी – बूँदी
● चम्पा बाग की बावड़ी – बूँदी
● पठान की बावड़ी – बूँदी
आलूदा का बुबानिया कुण्ड
● दौसा के समीप आलूदा गाँव में ऐतिहासिक बावड़ी में बने कुंड बुबानिया (बदली) के आकार में निर्मित है।
चाँदबावड़ी (आभानेरी बावड़ी)
● बाँदीकुई रेलवे स्टेशन (दौसा) से 8 किमी. दूर साबी नदी के निकट।
● चाँदबावड़ी के नाम से विख्यात आभानेरी बावड़ी का निर्माण 8वीं शदी में प्रतिहार निकुंभ राजा चाँद ने करवाया।
● अजबगढ़ एवं भानगढ़ की बावड़ी – दौसा
नौलखा बावड़ी
● डूँगरपुर के महारावल आसकरण की चौहान वंश की रानी प्रेमल देवी द्वारा निर्मित।
उदयबाव
● डूँगरपुर में स्थित बावड़ी जिसका निर्माण डूँगरपुर महारावल उदयसिंह ने करवाया।
त्रिमुखी बावड़ी
● डूँगरपुर जिले में इसका निर्माण मेवाड़ महाराणा राजसिंह की रानी रामरसदे ने करवाया था।
● इस बावड़ी में लगी प्रशस्ति में बप्पा रावल से लेकर राजसिंह तक के मेवाड़ के शासकां की वंशावली तथा कुछ ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
सीतारामजी की बावड़ी
● भीलवाड़ा में स्थित इस बावड़ी में एक गुफा बनी हुई है।
● जिसमें बैठकर रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामचरणजी ने 36 हजार पदों की रचना की तथा रामस्नेही सम्प्रदाय की स्थापना की।
चमना बावड़ी
● शाहपुरा (भीलवाड़ा) में स्थित भव्य और विशाल तीन मंजिला बावड़ी।
● चोखी बावड़ी – भीलवाड़ा
● बाईराज की बावड़ी – बनेड़ा (भीलवाड़ा)
औस्तीजी की बावड़ी
● शाहबाद कस्बे (बाराँ) के पास दो बावड़ियाँ दर्शनीय है- औस्तीजी की बावड़ी तथा तपसी की बावड़ी।
बड़गाँव की बावड़ी
● कोटा में स्थित इस बावड़ी का निर्माण कोटा रियासत के तत्कालीन शासक शत्रुसाल की पटरानी जादौण ने करवाया था।
● बड़गाँव बावड़ी – कोटा
हाड़ी रानी की बावड़ी
● टोडारायसिंह (टोंक) में विशालपुर में हाड़ी रानी की विशाल बावड़ी स्थित है।
● हाड़ी रानी बावड़ी- टोंक
● दरियाशाह बावड़ी – टोंक
झुंझुनूँ में स्थित प्रमुख बावड़ियाँ
● मेड़तणी बावड़ी ● खेतानों की बावड़ी
● जीतमल का जोहड़ा ● तुलस्यानों की बावड़ी
● चेतनदास की बावड़ी
महिला बाग झालरा, जोधपुर
● जोधपुर शहर में गुलाब सागर के पास यह झालरा सन् 1776 में महाराजा विजयसिंह की पासवान गुलाबराय द्वारा जनहितार्थ में बनवाया गया था।
● यहाँ महिलाओं का ‘लौटियों का मेला’ आयोजित होता था।
गुलाब सागर
● सरदार मार्केट के पास गुलाब सागर का निर्माण जोधपुर महाराजा विजयसिंह ने अपनी पासवान गुलाबराय की स्मृति में करवाया।
● रानीसर-पदमसर, फतहसागर, तख्तसागर आदि जोधपुर के अन्य जलाशय हैं।
तुंवरजी का झालरा
● इसका निर्माण महाराणा अभयसिंह की रानी बड़ी तुंवरजी ने करवाया।
● तापी बावड़ी – जोधपुर
● देवकुण्ड – जोधपुर
● अनारा बावड़ी – जोधपुर
● नैणसी बावड़ी – जोधपुर
● नैणसी बावड़ी – जोधपुर
● श्रीनाथजी का झालरा – जोधपुर
● हाथी बावड़ी – जोधपुर
डिग्गी तालाब
● अजमेर शहर में अजयमेरू पहाड़ियों के नीचे स्थित डिग्गी तालाब नैसर्गिक जलस्त्रोत है।
● सरजाबाव, कनकाबाव, मृगा बावड़ी आदि सिरोही के तालाब व बावड़ियाँ है।
बाटाडू का कुआँ
● बाड़मेर के बाटाडू गाँव में रावल गुलाबसिंह द्वारा निर्मित संगमरमर का कुआँ, जिसे ‘रेगिस्तान का जलमहल’ कहा जाता है।
सरडा रानी की बावड़ी
● टोंक जिले में टोडारायसिंह की विभिन्न बावड़ियों में सरडा रानी की बावड़ी अपनी विशेष कलात्मक बनावट के लिए प्रसिद्ध है।
● टोडारायसिंह के महल के पीछे रमणीक स्थल है जिसे बुद्ध सागर कहते हैं।
पन्ना मीणा की बावड़ी
● आमेर में स्थित इस बावड़ी का निर्माण 17वीं शताब्दी में मिर्जा राजा जयसिंह के काल में हुआ।
● बड़ी बावडी – जयपुर
नीमराणा की बावड़ी
● नीमराणा (अलवर) में इस 9 मंजिली बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था।
गडसीसर सरोवर
● जैसलमेर में इस सरोवर का निर्माण रावल गड़सी के शासनकाल में सन् 1340 में करवाया गया।
● इस कृत्रिम सरोवर का मुख्य प्रवेश द्वार ‘टीलों की पिरोल’ के रूप में विख्यात है।
● परचा बावड़ी – जैसलमेर
● बिनोता बावड़ी – चित्तौड़गढ़
● कोडमदेसर बावड़ी – बीकानेर
● घोसुण्डी की बावड़ी – चित्तौड़गढ़
● इसका निर्माण मेवाड़ महाराणा रायमल की पत्नी शृंगार देवी द्वारा घोसुण्डी नामक गाँव में करवाया गया था।
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