राजस्थान के प्रमुख त्योहार

राजस्थान के प्रमुख त्योहार

हिन्दू समाज के त्योहार

राष्ट्रीय पंचांग

● भारत का राष्ट्रीय पंचांग ‘शक संवत्’ पर आधारित है।

● ग्रिगेरियन कैलेण्डर का आधार भी ‘शक संवत्’ ही है।

● शक संवत् का पहला महीना ‘चैत्र’ एवं अंतिम महीना ‘फाल्गुन’ होता है।

● भारतीय संविधान ने शक संवत् को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में 22 मार्च, 1957 को अपनाया था।

● सामान्यत: चैत्र माह का पहला दिन 22 मार्च को होता है, यदि अधिवर्ष है तो 21 मार्च को होता है लेकिन हमेशा ही ऐसा हो, यह आवश्यक नहीं है।

शक संवत्:-

● शक संवत् का प्रारम्भ 78 ई. में कुषाण शासक कनिष्क के काल में हुआ था।

● यह ग्रिगेरियन कैलेण्डर से 78 वर्ष पीछे रहता है।

विक्रम संवत्:- 

● भारत में हिन्दू पंचांग ‘विक्रम संवत्’ पर आधारित है।

● विक्रम संवत् का प्रारम्भ 57 ई. पू. (B. C.) में हुआ था।

● इस संवत् के वर्ष का प्रारम्भ ‘चैत्र शुक्ल एकम्’ से होता है एवं समाप्ति ‘फाल्गुन अमावस्या’ को होती है।

● यह वर्ष ग्रिगेरियन कैलेण्डर वर्ष से 57 वर्ष आगे रहता है।

● प्रत्येक हिन्दू माह में दो पक्ष होते हैं:-  

1.  कृष्ण पक्ष/बदी पक्ष – इस पक्ष में 15 दिन होते हैं।

● अमावस्या अंतिम दिन।

2. शुक्ल पक्ष/सुदी पक्ष – इस पक्ष में 15 दिन होते हैं।

● पूर्णिमा अंतिम दिन।

● प्रत्येक माह में 30 दिन होते हैं।

 ● नव वर्ष का प्रथम माह – चैत्र

 ● नव वर्ष का अंतिम माह – फाल्गुन

 ● नव वर्ष का प्रथम दिन – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

 ● नव वर्ष का अंतिम दिन – चैत्र अमावस्या

क्र. सं.हिन्दू माहअंग्रेजी माह
1.चैत्रमार्च-अप्रैल
2.वैशाखअप्रैल-मई
3ज्येष्ठमई-जून
4.आषाढ़जून-जुलाई
5.श्रावणजुलाई-अगस्त
6.भाद्रपदअगस्त-सितम्बर
7.आश्विनसितम्बर-अक्टूबर
8.कार्तिकअक्टूबर-नवम्बर
9.मार्गशीर्षनवम्बर-दिसम्बर
10.पौषदिसम्बर-जनवरी
11.माघजनवरी-फरवरी
12.फाल्गुनफरवरी-मार्च

पूर्णिमा के दिन आने वाले पर्व

चैत्र पूर्णिमाहनुमान जयंती
वैशाख पूर्णिमापीपल पूर्णिमा एवं बुद्ध पूर्णिमा
ज्येष्ठ पूर्णिमावट सावित्री व्रत
आषाढ़ पूर्णिमागुरु पूर्णिमा एवं कबीर जयंती
श्रावण पूर्णिमा रक्षाबन्धन एवं नारियल पूर्णिमा
भाद्रपद पूर्णिमा    उमा महेश्वर व्रत एवं श्राद्ध पक्ष का आरम्भ
आश्विन पूर्णिमाशरद पूर्णिमा 
कार्तिक पूर्णिमात्रिपुरा पूर्णिमा एवं गुरुनानक जयंती
फाल्गुन पूर्णिमाहोलिका पर्व

अमावस्या के दिन आने वाले पर्व

श्रावण अमावस्या – हरियाली अमावस्या
भाद्रपद अमावस्या – सतिया अमावस्या
आश्विन अमावस्या – श्राद्ध पक्ष का समापन
कार्तिक अमावस्या – दीपावली का पर्व
माघ अमावस्या – मौनी अमावस्या

श्रावण माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

नाग पंचमी  –  श्रावण कृष्ण पंचमी

 ● इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है।

 ● इस दिन की पूजा की जाती है।

 ● इस दिन जोधपुर में नाग पंचमी का मेला लगता है।

निडरी नवमी  –  श्रावण कृष्ण नवमी 

● साँपों के आक्रमण से बचने के लिए श्रावण कृष्ण नवमी को नेवलों का पूजन किया जाता है।

कामिका एकादशी  –  श्रावण कृष्ण एकादशी  

● इस व्रत में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। कामिका एकादशी को विष्णु का सबसे उत्तम व्रत माना जाता है।

हरियाली अमावस्या या श्रावण अमावस्या : – 

● यह त्योहार सावन में प्रकृति में आई बहार की खुशी में मनाया जाता है।

● हरियाली अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती हैं तथा मालपूए का भोग चढ़ाए जाने की परम्परा है।

● इस दिन मांगलियावास (अजमेर) में ‘कल्पवृक्ष का मेला’ भी भरता है।

शुक्ल पक्ष

श्रावणी तीज या छोटी तीज  – श्रावण शुक्ल तृतीया

● इस तीज के उपनाम – श्रावण तीज, हरियाली तीज, शृंगारिक तीज।

● कहावत –  ‘तीज त्योहारा बावड़ी, ले डूबी गणगौर’

● अर्थात् त्योहारों की शुरुआत श्रावण माह में तीज से होते हुए तथा इसका अंत गणगौर से होता है।

● ‘जयपुर की तीज की सवारी’ विश्व प्रसिद्ध है।

● तीज का त्योहार मुख्यत: बालिकाओं और नवविवाहिताओं का त्योहार है।

● इस त्योहार पर पार्वती की पूजा की जाती है और उनसे महिलाएँ अपने सुहाग के दीर्घायु होने की कामना करते हैं।

● तीज का त्योहार विवाह के बाद पीहर में मनाया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि विवाह उपरान्त सावन माह में सास-बहू को साथ नहीं रहती है अन्यथा जीवन में गृह-कलह बना रहता है।

● इस दिन का प्रिय वस्त्र – लहरिया – (जयपुर का प्रसिद्ध)।

● सिंजारा – तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा का त्योहार मनाया जाता है।

● सिंजारा का अर्थ – शृंगार की सामग्री।

● अविवाहित लड़कियों व नवविवाहित महिलाओं के लिए इस दिन ससुराल पक्ष की ओर से जो शृंगार का समान आता है उसे सिंजारा कहा जाता है।

रक्षाबंधन – श्रावण पूर्णिमा

 ● भाई – बहन के स्नेह का त्योहार।

 ● इस दिन घर के प्रमुख द्वार के दोनों ओर श्रवण कुमार के चित्र बनाकर पूजन करते हैं।

 ● भारत के प्रसिद्ध तीर्थ अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग रक्षाबन्धन के त्योहार पर ही अपने पूर्ण आकार का बनता है।

 ● इसे ‘नारियल पूर्णिमा या सत्य पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।

 सावन के सोमवार

 उपनाम – वन सोमवार या सुखिया सोमवार

 ● यह व्रत, श्रावण मास के सभी सोमवार को भगवान शिव को समर्पित होकर किया जाता है।

  मंगला-गौरी पूजा

 ● सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को।

 ● माँ गौरी की पूजा और व्रत।

भाद्रपद के त्योहार

कृष्ण पक्ष

कजली तीज -भाद्रपद कृष्ण तृतीया

● उपनाम – सातुड़ी तीज, बड़ी तीज, भादूडी तीज, बूढ़ी तीज, गौरी व्रत तीज।

● यह तीज बूँदी की प्रसिद्ध है।

● कजली तीज का मेला – बूँदी ।

● यह त्योहार अखंड सुहाग व मनोनुकूल वर की कामना से जुड़ा हुआ है।

● आकाश में छाई काली घटाओं के कारण इसे कजळी तीज कहते हैं।

हल षष्ठी – भाद्रपद कृष्ण षष्ठी

● यह त्योहार भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हल की पूजा की जाती है व गाय के दूध और दही का प्रयोग वर्जित होता है।

● इस दिन पुत्रवती महिलाएँ व्रत रखती है।

● इस दिन का प्रतीक चिह्न – हल की पूजा।

ऊब छठ – भाद्रपद कृष्ण षष्ठी 

● ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियाँ पति की लम्बी आयु व कुंवारी लड़कियाँ अच्छे पति की कामना के लिए करती हैं।

 ● इस व्रत को ‘चंदन षष्ठी व्रत’ भी कहा जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी – भाद्रपद कृष्ण अष्टमी 

● यह भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव है।

● इस दिन मंदिरों में श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित झाँकियाँ सजाई जाती हैं और पूरे दिन उपवास के बाद रात के बारह बजे श्रीकृष्ण का जन्म होने पर श्रीकृष्ण की आरती व विशेष पूजा – अर्चना करके भोजन ग्रहण किया जाता है।

● जन्माष्टमी का मेला – नाथद्वारा (राजसमंद)।

● इस दिन जाम्भोजी का जन्म – पीपासर (नागौर)।

● इस दिन नरहड़ पीर का उर्स – नरहड़ (झुंझुनूँ)।

गोगा नवमी – भाद्रपद कृष्ण नवमी

● इस दिन लोकदेवता गोगाजी की पूजा की जाती है।

● हनुमानगढ़ जिले में ‘गोगामेड़ी’ नामक स्थान पर मेला भरता है।

● इस दिन का प्रतीक – गोगाजी की मिट्‌टी का घोड़ा।

बछबारस – भाद्रपद कृष्ण द्वादशी  

● उपनाम –वत्स द्वादशी।

● इस दिन का व्रत संतान की लम्बी आयु व उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए किया जाता है।

● इस दिन गाय व बछड़े का पूजन किया जाता है तथा महिलाएँ चाकू से कटी भोजन सामग्री का उपयोग नहीं करती।

● इस दिन गाय के दूध, दही और इससे निर्मित पदार्थों का सेवन वर्जित है।

सतियाँ अमावस्या -भाद्रपद अमावस्या

शुक्ल पक्ष

बाबा री बीज -भाद्रपद शुक्ल द्वितीया

● इस दिन रामदेव जी का मेला आरम्भ होता है।

हरतालिका तीज  –  भाद्रपद शुक्ल तृतीया  

● इस दिन रेत के शंकर – पार्वती बनाकर उन्हें फूलों से सजाया जाता है।

● इस दिन पार्वती व शंकर की पूजा होती है।

● यह महिलाओं का प्रमुख त्योहार है।

शिवा चतुर्थी  –  भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी  

● इस दिन स्त्रियाँ उपवास करती हैं तथा अपने सास – ससुर को घी, गुड़, लवण आदि से बना भोजन कराती हैं।

‘चतड़ा या चतरा चौथ’ या गणेश चतुर्थी  –  भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी  

● भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

● गणेश – चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद ‘अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त’ होता है।

● यह त्योहार ‘चतरा चौथ’ के नाम से भी जाना जाता है।

ऋषि पंचमी  –  भाद्रपद शुक्ल पंचमी 

● इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है।

● इस दिन विशेष रूप से सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है।

● माहेश्वरी समाज में राखी इसी दिन मनाई जाती है।

● भूल – चूक में हुए पापों से मुक्ति के लिए व्रत रखते हैं।

● इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

राधाष्टमी – भाद्रपद शुक्ल अष्टमी

 कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाजी के जन्म के रूप में मनाया जाता है।

● इस दिन अजमेर की निम्बार्क पीठ ‘सलेमाबाद’ में मेला भरता है।

तेजा दशमी – भाद्रपद शुक्ल दशमी

● इसे तेजाजी का निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

● इस दिन मेला – खरनाल (नागौर)

● इस दिन विश्वकर्मा जयंती भी मनाते हैं।

देवझूलनी एकादशी – भाद्रपद शुक्ल एकादशी

● उपनाम – डोल ग्यारस, जलझूलनी एकादशी

● इस दिन भगवान विष्णु के ‘वामन अवतार’ का व्रत व पूजन किया जाता है।

● इस दिन देव प्रतिमाओं को तालाब में शाही स्नान करवाया जाता है।

● ठाकुर जी को बेवाण (विमान) में विराजमान कर गाजे-बाजे के साथ जलाशय पर ले जाकर स्नान करवाया जाता है।

अनंत चतुर्दशी – भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी

● इसे ‘अनंत व्रत’ भी कहते हैं जिसका अनुष्ठान स्त्री – पुरुष दोनों ही करते हैं।

● अनंत देव भगवान विष्णु का एक विशेषण है।

● अनंत व्रत के प्रभाव से ही पांडव महाभारत युद्ध में विजयी हुए थे।

● इस दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन होता है।

● इस दिन का  व्रत दोपहर तक ही किया जाता है।

श्राद्धपक्ष – भाद्रपद पूर्णिमा

● भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक सनातन में पितृों या पूर्वजों की पूजा की जाती हैं।

● इन दिनों में ब्राह्मणों को भोजन करवाना ही श्राद्ध पक्ष कहलाता है।

साँझी – भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या

● इस त्योहार में 15 दिन तक कुँवारी कन्याएँ भाँति-भाँति की साँझी बनाती है व पूजा करती हैं।

आश्विन माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

आश्विन कृष्ण  प्रतिपदा – श्राद्ध पक्ष का दूसरा दिन

आश्विन अमावस्या  –  श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन।

शुक्ल पक्ष

शारदीय नवरात्र –  प्रारम्भ

दुर्गाष्टमी – आश्विन शुक्ल अष्टमी

● इस दिन नौ कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।

● दुर्गाष्टमी का त्योहार बंगालियों का प्रसिद्ध पर्व है।

● उपनाम – माता अष्टमी या वीर अष्टमी या महाष्टमी।

 आश्विन शुक्ल नवमी  –  नवरात्रा का नवाँ दिन।

दशहरा या विजय दशमी – आश्विन शुक्ल दशमी

● दशहरे के दिन रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।

● भारत में मैसूर तथा कुल्लू का दशहरा प्रसिद्ध है।

● राजस्थान में कोटा का दशहरा मशहूर है।

● इस दिन दशहरे पर शमी वृक्ष (खेजड़ी) की पूजा की जाती है

 –  लीलटांस पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है।

● इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था अर्थात् बुराई पर अच्छाई की विजय हुई इसलिए इसे विजय दशमी कहा जाता है।

शरद पूर्णिमा – आश्विन पूर्णिमा

● इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ या ‘रास पूर्णिमा’ भी कहते हैं।

● इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।

● इसे सभी पूर्णिमाओं में से सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा मानी जाती है।

कार्तिक माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

करवा चौथ – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी

● करवा चौथ को ‘कर्क चतुर्थी’ भी कहा जाता है।

● विवाहित स्त्रियों द्वारा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अपने पति की दीर्घ आयु के लिए यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विवाहिता स्त्रियाँ व्रत रखती है और चाँद देखने के बाद ही भोजन करती है।

तुलसी एकादशी – कार्तिक कृष्ण एकादशी

● तुलसी एकादशी को ‘रमा एकादशी’ भी कहते हैं।

● इस दिन तुलसी का व्रत व पूजन किया जाता है।

● तुलसी को विष्णु प्रिया भी माना जाता है।

धनतेरस – कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी

● इस दिन को भगवान धन्वंतरी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

● इस दिन यमराज की पूजा की जाती है।

● इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

रूप चतुर्दशी – कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी

● इसे ‘नरक चतुर्दशी’ भी कहते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति स्नान – ध्यान व दीपदान करता है उसे नरक नहीं जाना पड़ता है।

● विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर का वध किया था।

● इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।

● इस दिन का सम्बन्ध सुन्दरता और सौन्दर्य से है इसलिए इसे ‘रूप चतुर्दशी’ कहा जाता है।

दीपावली – कार्तिक अमावस्या

● यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है।

● हिंदू मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात् लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या आए थे जब अयोध्या में घर – घर घी के दीपक जलाए गए थे।

● सिखों की मान्यता है कि जहाँगीर ने गुरु हरगोविंद को इसी दिन कैद से मुक्त किया। इस पर्व को दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

● इस दिन आर्य समाज संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती एवं भगवान महावीर का निर्वाण दिवस भी मनाया जाता है।

शुक्ल पक्ष

गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव – कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा

● दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा होती है।

● इस दिन गाय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गाय, देवी लक्ष्मी का स्वरूप है।

● राजस्थान में नाथद्वारा का ‘अन्नकूट महोत्सव’ प्रसिद्ध है।

● इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है।

● इस दिन वल्लभ सम्प्रदाय के सभी मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है।

● भारत में सबसे बड़ा अन्नकूट महोत्सव – श्रीनाथजी मंदिर (नाथद्वारा, राजसमन्द)

● इस दिन ‘भीलों की लूट’ प्रसिद्ध है।

भैयादूज – कार्तिक शुक्ल द्वितीया

● यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है।

● यह भाई – बहन के प्यार का प्रतीक है।

● इसे यम द्वितीया के रूप में भी मनाया जाता है।

● इस दिन बहन भाई के तिलक लगाकर पूजा करती है तथा मंगलकामना करती है।

गोपाष्टमी – कार्तिक शुक्ल अष्टमी

● यह हमारी कृषि संस्कृति की देन है।

● गायों के आदर, सत्कार व शृंगार हेतु यह पर्व मनाया जाता है।

● इस दिन गाय व बछड़ों की पूजा तथा गाय के दूध व दूध के बने पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता है।

आँवला नवम या अक्षय नवमी – कार्तिक शुक्ल नवमी

● इसे ‘धात्री नवमी’ या ‘कूष्माण्ड नवमी’ भी कहते हैं।

● इस दिन आँवले के वृक्ष का पूजन तथा उसकी परिक्रमा की जाती है।

देवउठनी ग्यारस – कार्तिक शुक्ल एकादशी

● उपनाम – ‘प्रबोधिनी या अल्पनिद्रा या देवोत्थान एकादशी’।

● इस दिन भगवान विष्णु चार माह उपरांत जागे थे।

● इस दिन से ही समस्त मांगलिक कार्य या शादी – विवाह शुरू किए जाते हैं।

● इस दिन तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन भी होता हैं।

● इसे ‘तुलसी एकादशी’ भी कहा जाता है।

देव दीपावली – कार्तिक पूर्णिमा

● इस दिन भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किए जाने के कारण इसे ‘त्रिपुरा पूर्णिमा’ भी कहते हैं।

● इस दिन पुष्कर (अजमेर) में मेला भरता है।

माघ माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

मकर संक्रांति

● सामान्यत: यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है।

● संक्रांति के एक दिन पूर्व तिल के लड्डू, पपड़ी, बरफी, फीनी इत्यादि बनाए जाते हैं।

● इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्त्व होता है।

● इस दिन रूठी सास को मनाए जाने की भी प्रथा है।

 तिल चौथ – माघ कृष्ण चतुर्थी

● इसे ‘संकट चौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी तथा तिलकुटा चौथ’ भी कहते हैं।

● इस दिन सवाई माधोपुर में चौथ माता का भव्य मेला भरता है।

षट्तिला एकादशी – माघ कृष्ण एकादशी

● इस दिन 6 प्रकार के तिलों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण इसका नामकरण ‘षट्तिला एकादशी’ पड़ा है।

मौनी अमावस्या – माघ अमावस्या

● इस दिन मौन व्रत रखा जाता है।

● इस दिन पवित्र नदी खास तौर पर गंगा का जल अमृत बन जाता है।

● माघ स्नान के लिए मौनी अमावस्या बहुत ही प्रसिद्ध है।

● इस दिन मनुस्मृति के लेखक आचार्य मनु का जन्म हुआ था।

शुक्ल पक्ष

बसंत पंचमी – माघ शुक्ल पंचमी

● बसंत पंचमी को ज्ञान की देवी सरस्वती और प्रेम के देवता रतिदेव (कामदेव) का पूजन करने की परम्परा रही है।

● यह दिन ऋतुराज बसंत के आगमन का प्रथम दिवस माना जाता है।

● इस दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।

● इस पर्व के अधिदेवता भगवान कृष्ण है।

● यह पर्व ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है।

● इस दिन पीले रंग का विशेष महत्त्व होता है।

● इस दिन लोग पीले कपड़े धारण करते हैं और पीले रंग के चावलों का सेवन करते हैं।

अचला सप्तमी – माघ शुक्ल सप्तमी

● उपनाम – सौर सप्तमी, भानु सप्तमी और बसंत सप्तमी  

● भगवान सूर्य नारायण को प्रसन्न करने के लिए इस दिन सप्तमी का व्रत किया जाता है।

● जयपुर का सूर्य सप्तमी का मेला राजस्थान में प्रसिद्ध है।

माघ पूर्णिमा

● इस दिन बेणेश्वर में विशाल मेला भरता है।

फाल्गुन माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

महाशिवरात्रि – फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी

● इस दिन शिव की दुग्ध व बेल पत्रों से पूजा – अर्चना की जाती है।

● इस दिन भगवान शिव व पार्वती का विवाह हुआ था।

● इस दिन भगवान शिव ने राक्षसों द्वारा तैयार किए गए जहर को अपने कंठ में रख लिया था, इसलिए भगवान शिव, नीलकंठ कहलाए।

शुक्ल पक्ष

ढूँढ – फाल्गुन शुक्ल एकादशी

● बच्चा होने पर होली से पहली वाली ग्यारस को पूजते हैं।

● इस दिन छोटे बच्चों के लिए ननिहाल से नानी के द्वारा जो मिठाई कपडे़ खिलौने लाए जाते हैं उसे ढूँढ कहते हैं।

होली – फाल्गुन पूर्णिमा – रंगों का त्योहार

● इस दिन हिरण्यकश्यप की आज्ञा पर उसकी बहन होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हुई थी लेकिन प्रह्लाद बच गया था तथा होलिका जल गई थी।

● यह फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे ‘फाल्गुनी’ भी कहते हैं।

● बाड़मेर की पत्थर मार होली में इल्लोजी की बरात भी निकाली जाती है।

चैत्र माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

 धुलंडी – चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा

● होली के दूसरे दिन धुलंडी मनाई जाती है।

● इसी दिन गणगौर पूजन प्रारम्भ होता है।

● इस दिन होलिका की राख की पूजा और वंदना की जाती है तथा रंग और गुलाल से होली खेलते हैं।

राजस्थान की प्रसिद्ध होलियाँ

लट्‌ठमार होली – महावीर जी, करौली
बेंतमार होली – जोधपुर
देवर –भाभी की होली – ब्यावर, अजमेर
कोड़ामार होली – भिनाय, अजमेर
पत्थर मार होली – बाड़मेर
भगोरिया होली – मेवाड़ क्षेत्र
न्हाण – आवां व सांगोद, कोटा

जमरा बीज – चैत्र कृष्ण द्वितीया ।   

घुड़ला का त्योहार – चैत्र कृष्ण अष्टमी

● यह त्योहार राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में चैत्र कृष्ण अष्टमी से लेकर चैत्र शुक्ल तृतीया तक 16 दिनों तक मनाया जाता है।

● इस त्योहार पर घुड़ला नृत्य तथा घुड़ला गीत गाया जाता है।

शीतलाष्टमी – चैत्र कृष्ण अष्टमी

● इस दिन शीतला माता का व्रत व पूजन किया जाता है।

● होली के आठवें दिन अर्थात् चैत्र कृष्ण अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है।

● इस दिन बास्योड़ा भोजन (एक दिन पहले बनाया गया भोजन) किया जाता है।

● इस  दिन शील की डूँगरी चाकसू, जयपुर, वल्लभनगर (उदयपुर) व कागा, जोधपुर में शीतला माता का विशाल मेला भरता है।

शुक्ल पक्ष

नवसंवत्सर – चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा

● इस दिन नया विक्रम संवत् का पहला दिन होता है।

● हिन्दुओं का नववर्ष इसी दिन से प्रारम्भ होता है।

● महाराष्ट्र में इस दिन ‘गुड़ी पड़वा’, आंध्र प्रदेश में उगादि (युगादि), कश्मीर में ‘नवरेह’ के नाम से नववर्ष मनाया जाता है।

● ऐतिहासिक दृष्टि से सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसी दिन शकों पर विजय प्राप्त की थी।

● नवरात्र आरम्भ – इस दिन या नवरात्रों में माँ दुर्गा के नव रूपों की नव दिनों तक पूजा की जाती है 

पहले दिन – शैलपुत्री देवी 
दूसरे दिन – ब्रह्मचारिणी देवी
तीसरे दिन – चन्द्र घटा देवी
चौथा दिन – कुष्माण्डा देवी
पाँचवाँ दिन – स्कन्द माता
छठा दिन – कात्यायनी देवी
सातवाँ दिन – कालरात्रि देवी
आठवाँ दिन – महागौरी देवी
नवाँ दिन – सिद्धिदात्री देवी

अरुन्धति व्रत – चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा

●  यह व्रत चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से आरम्भ होता है और चैत्र शुक्ल तृतीया को समाप्त होता है।

गणगौर – चैत्र शुक्ल तृतीया

●  गणगौर में ‘गण’ महादेव का व ‘गौर’ पार्वती का प्रतीक है।

●  यह ‘सौभाग्य तृतीया’ के रूप में भी प्रसिद्ध है।

●  यह सुहागिन स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय त्योहार है।

● अविवाहित युवतियाँ इस त्योहार के दौरान पन्द्रह दिन तक एक समय भोजन करती या व्रत रखती हैं। व्रत होलिका-दहन से आरम्भ होकर चैत्र शुक्ल एकम् या कहीं-कहीं तृतीया तक चलता है।

●  यह शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है।

●  इस दिन गणगौर माता की सवारी निकाली जाती है।

●  गणगौर का त्योहार राजस्थानी त्योहारों में सबसे अधिक गीतों वाला त्योहार हैं।

● जैसलमेर में गणगौर का त्योहार नहीं मनाया जाता केवल सवारी निकाली जाती है।

● कर्नल टॉड ने उदयपुर में मनाए जाने वाले गणगौर पर्व का बहुत रोचक वर्णन किया है।

● इस त्योहार की तुलना मिस्र के त्योहारों से की जाती है।

शाही गणगौर की सवारी – जयपुर
केवल ईसर की या बिना गवर की गणगौर–बीकानेर
केवल गवर या बिना ईसर की गणगौर – जैसलमेर
गुलाबी गणगौर – नाथद्वारा

अशोकाष्टमी – चैत्र शुक्ल अष्टमी

●  इस दिन अशोक के वृक्ष का पूजन किया जाता है।

रामनवमी – चैत्र शुक्ल नवमी

●  भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है।

●  महाकवि तुलसीदास ने भी इसी दिन ‘रामचरितमानस’ की रचना प्रारंभ की।

हनुमान जयंती – चैत्र पूर्णिमा

वैशाख माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

आखा तीज या  अक्षय तृतीया – वैशाख शुक्ल तृतीया

● अबूझ सावा (पण्डित से बिना मुहूर्त निकलवाए विवाह सम्पन्न किया जा सकता है।)

● इस दिन को बीकानेर स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

● इस दिन किसान सात अनाजों की खेत में बुवाई करता है और अच्छी वर्षा की कामना करता है।

●  इस तिथि को ‘सतुआखातीज, परशुराम जयंती एवं देव-पितृतारिणी पर्व’ भी मनाया जाता है।

● राजस्थान में सर्वाधिक बाल – विवाह इसी दिन होते हैं।

शुक्ल पक्ष

बुद्ध पूर्णिमा या  पीपल पूर्णिमा – वैशाख पूर्णिमा

● इस दिन पीपल पूजा का महत्त्व है।

● इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण हुआ था।

ज्येष्ठ माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

वट सावित्री व्रत या  बड़मावस – ज्येष्ठ अमावस्या

● यह सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है।

● इस व्रत के अंतर्गत स्त्रियाँ वट वृक्ष की पूजा करती है।

● इस दिन वे सत्यवान सावित्री की कथा सुनती है।

● इसे ‘बड़ अमावस्या’ कहा जाता है।

शुक्ल पक्ष

गंगा दशहरा – ज्येष्ठ शुक्ल दशमी

निर्जला एकादशी – ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी

●        सभी एकादशी में यह सर्वोत्तम हैं। इसका व्रत करने से अन्य सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है।

● इस दिन निर्जल रहकर व्रत किया जाता है।

आषाढ़ माह के त्योहार

कृष्ण पक्ष

योगिनी एकादशी – आषाढ़ कृष्ण एकादशी

● इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

शुक्ल पक्ष

देवशयनी एकादशी – आषाढ़ शुक्ल एकादशी

●  इस दिन से चार महीनों तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में अन्नत शैय्या पर शयन करते हैं। इसलिए इस दिन से चार महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य विवाहादि सम्पन्न नहीं किए जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा – आषाढ़ पूर्णिमा

● इस दिन गुरु-पूजन की विशेष महत्ता है।

मुस्लिम समाज के त्योहार

हिजरी संवत् –

● हिजरी संवत् चन्द्रमा पर आधारित होता है।

● हिजरी संवत् का पहला महीना मुहर्रम तथा अंतिम महीना जिल्हिज होता है।

                   हिजरी सन् के 12 माह है

1. मुहर्रमनवम्बर
2. सफर                दिसम्बर
3. रबी –उल- अव्वलजनवरी
4. रबी- उस्सानि                  फरवरी
5. जमादि -उल -अव्वल        मार्च
6. जमादि- उस्सानि          अप्रैल
7. रज्जबमई
8. शाबानजून
9. रमजान- उल –मुबारकजुलाई
10. शव्वाल –उल- मुर्करम        अगस्त
11. जुल्कदा         सितम्बर
12. जिल्हिज                      अक्टूबर

मुहर्रम

● यह इस्लामी वर्ष यानी हिजरी संवत् का पहला महीना है।

● इसे ‘अल्लाह का महीना’ भी कहा जाता है। 

● इस माह में हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अनुयायियों ने सत्य और इंसाफ के लिए यजदी की फौज फौज से लड़ते हुए कर्बला के मैदान में शहादत पाई थी लेकिन धर्म विरोधियों के आगे सिर नहीं झुकाया था। उसी की याद में मोहर्रम माह की 10 तारीख को यह त्योहार मनाया जाता है।

●  इस दिन को ‘अशुरा’ कहा जाता है।

●  इस दिन ताजिए निकाले जाते हैं। इन ताजियों को कर्बला के मैदान में दफनाया जाता है।

ईद-उल-मिलादुलनबी या बारावफात – रबी उल- अव्वल माह की 12वीं तारीख

●  यह त्योहार पैगम्बर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है।

  मोहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का (सउदी अरब) में हुआ था।

●  यह दिन इबादत दान-पुण्य, भलाई और पैगम्बर साहब की नेकियों पर मनन करने और उन्हें जीवन में उतारने का दिन है।

ईद-उल-फितर या मीठी ईद – शव्वाल माह की पहली तारीख

●  इसे ‘सिवैयों की ईद’ भी कहा जाता है।

● ‘ईद’ शब्द का अर्थ ‘खुशी या हर्ष’ होता है।

●  मुस्लिम लोग रमजान के पवित्र माह में 30 दिन तक रोजे करने के बाद शुक्रिया के तौर पर इस त्योहार को मनाते हैं।

●  मीठी सिवैयाँ व अन्य पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं।

●  यह भाईचारे का त्योहार है।

ईद-उल-जुहा – जिल्हिज की 10वीं तारीख

●  इसे ‘बकरीद’ के नाम से भी जाना जाता है।

●  यह कुर्बानी का त्योहार है जो पैगम्बर हजरत इब्राहिम द्वारा अपने लड़के हजरत इस्माइल की अल्लाह को कुर्बानी देने की स्मृति में मनाया जाता है।

●  इदुलजुहा के माह में ही मुसलमान हज करते हैं।

शबे बारात – शाबान माह की 14वीं तारीख

● इस दिन हजरत मुहम्मद साहब की आकाश में ईश्वर से मुलाकात हुई थी।

शबे कद्र – रमजान की 27वीं तारीख

● इस्लाम के मुताबिक अकीदत और ईमान के साथ कद्र की शब (रात) में इबादत करने वालों के पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं

चेहल्लुम  

● यह मोहर्रम के चालीस दिनों के बाद सफर माह की बीसवीं तारीख को मनाया जाता है।

● हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में शाहदत के 40वें दिन चेहल्लुम मनाया जाता है।

जैन समाज के पर्व

दशलक्षण पर्व- चैत्र, भाद्रपद व माघ माह की शुक्ल पंचमी से पूर्णिमा तक

● यह पर्व किसी व्यक्ति से संबंधित न होकर आत्मा के गुणों से संबंधित है।

● भाद्रपद माह में दशलक्षणों का विशेष महत्त्व है।

पर्युषण पर्व

● जैन धर्म में पर्युषण पर्व महापर्व कहलाता है।

● पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है ‘निकट बसना’।

●  दिगम्बर परम्परा में इस पर्व का नाम दशलक्षण के साथ जुड़ा हुआ है। जिसका प्रारंभ भाद्रपद सुदी पंचमी से होता है और समापन चतुर्दशी को।

● श्वेताम्बर परम्परा में इस पर्व का प्रारम्भ भाद्रपद कृष्ण बारस से होता है व समापन भाद्रपद शुक्ल पंचमी को होता है।

●  इसके दूसरे दिन अर्थात् आश्विन कृष्ण एकम को क्षमापणी पर्व मनाया जाता है तथा जैन समाज के सभी लोग आपस में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं।

ऋषभ जयन्ती

●   प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण नवमी को ऋषभ जयन्ती पर्व मनाया जाता है।

●  इस दिन जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) का जन्म हुआ था।

महावीर जयन्ती – चैत्र शुक्ल त्रयोदशी

●  जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को महावीर जयन्ती के रूप में मनाते हैं।

●  इस दिन भगवान महावीर के जीवन से संबंधित झाँकियाँ निकाली जाती हैं।

●  श्री महावीर जी (करौली) में इस दिन विशाल मेला भरता है।

सुगंध दशमी पर्व – भाद्रपद शुक्ल की दशमी

● सुगंध दशमी के अलावा इसे ‘धूप-दशमी’ भी कहा जाता है।

रोट तीज-भाद्रपद शुक्ल तृतीया

● भाद्रपद शुक्ल तृतीया को जैन मतानुयायी रोट तीज का पर्व मनाते हैं जिसमें खीर व रोटी ‘मोटी मिस्सी रोटियाँ’ बनाई जाती है।

रत्नत्रय  

● भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णमासी तक रत्नत्रय का त्योहार मनाया जाता है।

● इन तीन दिनों में सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र के स्वरूप पर प्रकाश डाला जाता है।

अष्टाह्रिका  

●  जैन लोग प्रति चौथे माह आषाढ़, कार्तिक एवं फाल्गुन शुक्ल पक्ष में अष्टमी से पूर्णमासी तक अष्टाह्रिका का त्योहार मनाते हैं।

पड़वा ढोक  

● यह दिगम्बर जैन समाज का क्षमायाचना पर्व है जो आश्विन कृष्ण प्रतिपदा (एकम्) को मनाया जाता है।

सिंधी समाज के पर्व

थदड़ी या बड़ी सातम – भाद्रपद कृष्ण सप्तमी

● इस दिन सिंधी समाज के लोग पूरे दिन गर्म खाना नहीं खाते हैं।

चालीहा महोत्सव

● सिंध प्रांत के बादशाह मृखशाह के जुल्मों से परेशान होकर सिन्धी समाज के लोगों ने 40 दिन तक व्रत किया तथा चालीसवें दिन झूलेलाल का अवतार हुआ।

● झूलेलाल  की स्मृति में प्रतिवर्ष सूर्य के कर्क राशि में आ-जाने पर 16 जुलाई से 24 अगस्त तक की अवधि में चालीहा महोत्सव मनाया जाता है।

चेटीचण्ड या झूलेलाल जयन्ती

● सिंध प्राप्त के थट्टा नगर में झूलेलाल जी का चैत्र माह में जन्म हुआ।

● झूलेलाल वरुण के अवतार माने जाते हैं।

● सिंधी समाज द्वारा उनका जन्मदिवस ‘चेटीचण्ड’ के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

असूचंड पर्व

● फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान झूलेलाल के अंतर्धान होने पर यह पर्व मनाया जाता है।

सिख समाज के पर्व

लोहड़ी -13 जनवरी

● लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या पर 13 जनवरी के दिन मनाया जाता है।

 वैशाखी – 13 अप्रैल

● सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह द्वारा इसी दिन आनन्दपुर साहिब, रोपड़ (पंजाब) में ‘खालसा पंथ’ की स्थापना (13 अप्रैल, 1699) की गई थी। इसलिए 13 अप्रैल को यह त्योहार मनाया जाता है।

● सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह ने ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ को 13 अप्रैल, 1669 सिखों का धार्मिक ग्रन्थ घोषित किया ।

गुरुनानक जयन्ती  – कार्तिक पूर्णिमा

गुरु गोविन्द सिंह जयन्ती – पौष शुक्ल सप्तमी

● गुरु गोविन्द सिंह सिखों के 10वें व अंतिम गुरु थे।

ईसाई समाज के त्योहार

क्रिसमस –

● 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्मदिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है।

नववर्ष दिवस

● ईस्वी सन् की पहली जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है।

ईस्टर

● ईसाइयों की मान्यता है कि इस दिन ईसा मसीह पुनर्जीवित हुए थे।

● यह पर्व रविवार (इस दिन ईसा मसीह का पुनर्जीवित हुआ) को मनाया जाता है।

गुड फ्राइडे

● ईस्टर के रविवार के पूर्व वाले शुक्रवार को यह त्योहार मनाया जाता है।

● इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था।

असेन्सनडे

● ईस्टर के 40 दिन बाद ईसा मसीह के स्वेच्छा से पुन: स्वर्ग लौट जाने के उपलक्ष्य में ईसाई समाज द्वारा हर्षोल्लास के साथ यह दिन मनाया जाता है।

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