राजस्थानी मुहावरें

राजस्थानी मुहावरें

● कहावत, लोकप्रवाद, किंवदंती, जनश्रुति, गाथा आदि कई शब्द किंचित हेर-फेर के साथ लोकोक्ति के निकटवर्ती शब्द हैं। कहावत और लोकोक्ति ये शब्द आपस में समानार्थक हैं। ये सीधे हृदय को छूती हैं। मुहावरा लोकोक्ति का सहोदर प्रतीत होता है। जब कोई वाक्यांश अपने असली अर्थ को छोड़कर किसी लाक्षणिक और विलक्षण अर्थ की सृष्टि करता है तब उसे मुहावरे की संज्ञा दी जाती है। मुहावरा जिस रूप में होता है, उसी रूप में रहता है। उसमें परिवर्तन संभव नहीं होता हैं। कुछ राजस्थानी मुहावरें निम्न प्रकार है

1.  आग मूं मूतना ।

(कुनीति पर चलना)

2.  बाढ़ रै सहारे दूब बधै।

(कमजोर मनुष्य भी आश्रय पाकर बढ़ता है।)

3. गुड़ नी गुड़ की सी बात।

(केवल मीठी बातें बनाना ।)

4.  घोड़ा बेच ‘र सोना।

(काम से उदासीन रहकर निश्चित होकर समय बिताना)

5.  लोह रा चना चबाना।

(कठिनाई में पड़ जाना।)

6.  बड़े-बड़े गाँव जाँऊ, बड़ा बड़ा लाडू खाऊँ।

(मनुष्य को अपने परिश्रम का ही फल मिलता है, फिर भी वह अपनी आकांक्षाओं की तृप्ति के लिए हवाई किले बांधता रहता है।)

7.  पहाड़ टूटणा।

(भयंकर विपत्ति आ जाना।)

8. पाणी रै मोल ।

(बहुत सस्ता होना।)

9.  ईंट सूं ईंट बजाना

(डटकर मुकाबला करना।)

10.  छाती पै मूँग दलना।

(पास रहकर कष्ट पहुँचाना।)

11. अनहोनी होणी नहीं, होणी होय सो होय।

(जो होना है, वह होकर रहेगा।)

12.  आंख रो आंधो।

(अनभिज्ञ रहना ।)

13.  उँगली पै नाचना।

(इशारे पर चलना।)

14.  खेत रहना।

(मारा जाना)

15.  तूती बोलना।

(खूब प्रभाव होना)

16.  टेढ़ी खीर

(कठिन काम)

17. टें टें करना।

(व्यर्थ में बोलना)

18.  आड़ा आया, माँ का जाया।

(सहोदर भाई ही संकट के समय सहायक होते हैं।)

19.  खेती धणियाँ सेती।

(खेती मालिक की निगरानी में ही फलदायिनी होती है।)

20. भाड़ झौंकना।

(उपयुक्त कार्य न करके व्यर्थ समय बिताना।)

21.  नाक रगड़ना ।

(खुशामद करना।)

22.  ईद रो चाँद ।

(कई दिन में दिखाई देना।)

23.  एक अनार सौ बीमार

(वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक होना।)

24. इब तानी तो बेटी बाप कै ही है।

(अभी कुछ नहीं बिगड़ा।)

25.  रोयां राबड़ी कुण घालै?

(केवल रोने से कुछ नहीं होता। परिश्रम करने से ही कुछ मिलता है।)

26.  हांसी में खांसी हो ज्याय।

(हँसी-हँसी में लड़ाई हो जाया करती है।)

27. पूत का पग पालणे ही दीख्या।

(बाल्यावस्था में ही बालक के भविष्य की कल्पना कर ली जाती है।

28. कलेजा रो टूक।

(प्रिय, आत्मजन।)

29. कागद री नाव।

(क्षणभंगुर )

30. किण खेत री मूली।

(नगण्य व्यक्ति।)

31. कोल्हू रो बैल

(परिश्रम करते हुए निरन्तर पिसते रहना।)

32. राई रो पहाड़ बनाना।

(थोड़ी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।)

33.  आंगली पकड़र पूंचौ पकड़नू।

(धीरे-धीरे अधिकार कर लेना।)

34.  नगाड़ा मूं तूती री आवाज कुण सुणै?

(जहाँ बड़े आदमियों की चलती है, वहाँ छोटे को कौन पूछता है)

35. न्यारा घरां का न्यारा बारणा।

(अपने-अपने घर की अपनी-अपनी रीति होती है।

36. गड़े मुरदे उखाड़ना।

(पिछली बातों को याद करना।)

37. गुदड़ी रो लाल।

(छिपी हुई अमूल्य वस्तु।)

38. सबरी रा बेर।

(प्रेमपूर्वक दी गई तुच्छ भेंट।)

39. रंगा सियार।

(धोखेबाज व्यक्ति।)

40. वां री जूती वां री चाँद।

 (किसी मनुष्य की वस्तु से उसी को हानि पहुँचाना।)

41. सै धान बाईस पँसेरी।

(अच्छे और बुरे व्यक्ति या वस्तुएं बराबर होना ।)

42. सोने री चिड़िया।

(धनवान होना।)

43.  हाथ रो मैल।

(तुच्छ वस्तु ।)

44.  नाक पै सुपारी तोड़ना।

(बहुत तंग करना।)

45. अपनी करणी पार उतरणी।

(कर्मों का फल प्राप्त करना।)

46.  नीं घर रो नीं घाट रो।

(किसी तरफ का न होना।)

47. सीधा रो मुँह कुत्तो चाटै। (सीधे मनुष्यों से कोई नहीं डरता है।)

48. पेट पै लात मारना। (आजीविका के साधन से अलग कर देना।)

49. पापड़ बेलना। (विषम परिस्थितियों से गुजरना।)

50. खूँटै रै बल कूदना। (किसी अन्य व्यक्ति की सहायता पर अभिमान करना।)

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